सोशल मीडिया पर रोड पर बिखरी हुई सब्ज़ियों की एक तस्वीर काफ़ी वायरल है. 8 दिसम्बर 2020 को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया था. ये तस्वीर इसी के चलते शेयर की जा रही है. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ नाम के एक इंस्टाग्राम यूज़र ने ये तस्वीर पोस्ट की. आर्टिकल लिखे जाने तक इसे 24 हज़ार से ज़्यादा बार लाइक किया गया है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

ट्विटर यूज़र नैना भारद्वाज ने भी ये तस्वीर ट्वीट करते हुए ऐसे ही दावे किये और भारत बंद का समर्थन करने वालों को किसानों के भेस में छिपे गद्दार भी कहा. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक और ट्विटर पर ये तस्वीर वायरल है.

ये तस्वीर क्रियेटली के 8 दिसम्बर के आर्टिकल में भी शेयर की गई है. इस आर्टिकल का टाइटल है – “लानत है ऐसे बंद पर… और धिक्कार है ऐसे बंद करने वालों पर…!!” इस वेबसाइट का ज़िक्र कई बार भाजपा नेता कपिल मिश्रा करते हैं. आर्टिकल में ‘भारत बंद’ को एक ‘एंटी-नेशनल’ ऐक्टिविटी के तौर पर दिखाया गया है.

एक ट्विटर यूज़र ने इस तस्वीर की सच्चाई के बारे में पूछते हुए ऑल्ट न्यूज़ को टैग किया.ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) पर भी इस तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए रीक्वेस्ट आई है.

फ़ैक्ट-चेक

आसान से रिवर्स इमेज सर्च से हमें ये तस्वीर 5 मई 2020 को ट्वीट की हुई मिली.

5 मई 2020 को इंडियन नेशनल कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट सुरेन्द्र राजपूत ने रोड पर बिखरी हुई सब्ज़ियों की 2 तस्वीरें ट्वीट की थीं.

तस्वीर में दिख रही लाल रंग की गाड़ी की नंबर प्लेट पर ‘WB’ लिखा हुआ है. ये पश्चिम बंगाल की गाड़ियों के लिए इस्तेमाल होने वाला कोड है. इसके अलावा, सड़क से सटी हुई दुकानों के बोर्ड पर बंगाली भाषा में दुकानों के नाम लिखे हुए हैं.

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इस आधार पर सर्च करने से हमने पाया कि एक फ़ेसबुक यूज़र ने ये तस्वीरें पश्चिम बंगाल के बरसात, हेलबटाला बाज़ार का बताते हुए 4 मई, 2020 को पोस्ट किया था.

लॉकडाउन के वक़्त सरकार ने कन्टेंमेंट ज़ोन से बाहर शराब की दुकानें खोलने का फैसला किया था. उस वक़्त सोशल मीडिया यूज़र्स ये तस्वीर शेयर करते हुए सरकार के इस फैसले पर निशाना साध रहे थे. उनका कहता था कि सरकार सब्ज़ियों की दुकानें तहस-नहस कर रही है जबकि शराब की दुकानें खोल दी गई हैं. लॉकडाउन के दौरान सब्ज़ीवालों के ठेले पलटने की कुछ घटनाएं भी सामने आई थीं.

कुल मिलाकर, ये तस्वीर 4 मई 2020 से इंटरनेट पर शेयर की जा रही है. इस तस्वीर का 8 दिसम्बर 2020 को हुए भारत बंद से कोई लेना-देना नहीं है.

इसके अलावा, क्रियेटली के आर्टिकल में शेयर की गई बाकी की तस्वीरें 8 दिसम्बर के भारत बंद से संबंधित नहीं हैं. हम बारी-बारी से इन तस्वीरों की असलियत आपके सामने रखेंगे:

1. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये तस्वीर 8 सितंबर 2018 के आउटलुक के आर्टिकल में मिली. तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन के मुताबिक, “पटना में पेट्रोल के दामों में बढ़त और रुपये में आई गिरावट के विरोध में किये गए ‘भारत बंद’ के दौरान जन अधिकार पार्टी के समर्थकों ने गाड़ियों में तोड़फोड़ की.”

2. दूसरी तस्वीर भी आउटलुक के इसी आर्टिकल में शेयर की गई है. तस्वीर के साथ लिखे गए कैप्शन के मुताबिक, “लेफ़्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने भुवनेश्वर के जयदेव विहार में ‘भारत बंद’ के दौरान एक बाइक सवार व्यक्ति को रोका. ‘भारत बंद’ का ऐलान कांग्रेस और बाकी की पार्टियों ने पेट्रोल के दामों में बढ़त और रुपये में आई गिरावट के चलते किया था.”

3. तीसरी तस्वीर भी आउटलुक के 2018 के इस आर्टिकल में मौजूद है. कैप्शन के मुताबिक, तस्वीर में जन अधिकार पार्टी के समर्थक तोड़फोड़ करते हुए दिख रहे हैं.”

4. चौथी तस्वीर 27 जुलाई 2018 के DNA के आर्टिकल में पब्लिश हुई है.

5. पांचवी तस्वीर हकीकत में तीसरी तस्वीर से ही क्रॉप की गई है जिसे आउटलुक के सितंबर 2018 में शेयर किया गया था.

तो इस तरह, पुरानी घटनाओं की तस्वीरें हाल के भारत बंद से जोड़कर शेयर की गई.


इस हफ़्ते के टॉप 5 फ़ैक्ट-चेक देखें:

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