सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल है जिसमें कुछ लोगों को बंदूक लहराते हुए देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो कानपुर का है जहां हाल ही में पैगंबर मुहम्मद पर भाजपा प्रवक्ता के बयान के खिलाफ़ मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़क उठी थी.

ट्विटर यूज़र @VISHNUK35030487 ने ये वीडियो कानपुर का बताया. उन्होंने आगे कहा कि ये “जिहादी” अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग कर रहे हैं और पुलिस उनके खिलाफ़ सिर्फ आंसू गैस का इस्तेमाल कर रही है.

मेजर सुरेंद्र पूनिया सहित कई बीजेपी समर्थक यूज़र्स और बीजेपी सदस्यों ने ये वीडियो कानपुर का बताते हुए ट्वीट किया.

This slideshow requires JavaScript.

ये वीडियो फ़ेसबुक पर ऐसे ही दावे के साथ वायरल है.

पुराना वीडियो

ऑल्ट न्यूज़ ने वीडियो की असलियत का पता लगाने के लिए वीडियो के फ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें मई 2021 का एक ट्वीट मिला. कैप्शन के अनुसार, धौरा टांडा गांव में गाय के मांस को लेकर हिंसा हुई थी. यानी ये वीडियो हाल का नहीं है और इसका कानपुर में हाल में हुई हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.

की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें अमर उजाला की न्यूज़ रिपोर्ट मिली. आर्टिकल के मुताबिक, यूपी के बरेली के भोजीपुरा के धौरा टांडा गांव के रहने वाले जलेश अहमद और सलीम कुरैशी के बीच कहासुनी हुई थी.

जलीश अहमद ने सलीम कुरैशी को अपनी दुकान इस शर्त पर किराए पर दी थी कि दुकान में मांस “कानूनी रूप से” बेचा जाएगा. विवाद के दिन, ये आरोप लगाया गया कि कुरैशी ने कथित तौर पर गाय के मांस की कीमत 150 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी. इस वजह से ये विवाद हुआ था. जलीश अहमद ने सलीम कुरैशी को जगह खाली करने के लिए कहा था. और बंजारा समुदाय के लोगों ने सलीम कुरैशी पर हमला भी किया था. इसके बाद सलीम कुरैशी के परिवार के सदस्य ने लाइसेंस और अवैध हथियारों के साथ मौके पर पहुंचकर खुले में फायरिंग की थी. इससे भगदड़ मच गई थी. गौर करें कि जलीश अहमद बंजारा समुदाय से है.

ऑल्ट न्यूज़ को इस मामले में पुलिस का बयान भी मिला है. पुलिस के अनुसार, विवाद मांस की कीमत में अंतर की वजह से हुआ था.

कुल मिलाकर, कानपुर में नूपुर शर्मा के खिलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शन का बताकर धौरा टांडा गाँव का एक साल पुराना वीडियो शेयर किया गया. ये वीडियो एक ही समुदाय के दो गुटों के बीच मांस की कीमतों को लेकर हुई लड़ाई का है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Kalim is a journalist with a keen interest in tech, misinformation, culture, etc