इस साल मई के आखिरी हफ़्ते में बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने नेशनल न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी की थी. इसके बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया. कई मुस्लिम देशों ने उनके बयान की निंदा की और भारत से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा. 5 जून को बीजेपी ने नुपुर शर्मा को सस्पेंड कर दिया था.

इसके 5 दिन बाद, 10 जून को पूरे भारत में जुमे की नमाज के बाद नुपुर शर्मा के बयान पर विरोध प्रदर्शन हुआ. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रांची में दो लोगों की मौत भी हो गई. इसके अलावा, देश के कई हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 144 लागू कर दी गई थी.

उसी दिन, महाराष्ट्र से AIMIM के सांसद इम्तियाज़ जलील ने नुपुर शर्मा के बयान की आलोचना की. ANI ने इम्तियाज़ जलील के बयान को कोट करते हुए उनका एक वीडियो अपलोड किया – “इस्लाम जो है वो अमन का मज़हब है. इस्लाम जो है वो शांति का मज़हब है. यकीनन लोगों के अंदर गुस्सा है हम भी ये मांग …करते है कि नूपुर शर्मा को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए. वरना अगर उसे आसानी से छोड़ दिया गया तो उसका कोई अंत ही नहीं रहेगा. हम तो ये कह रहे हैं कि किसी भी जाती किसी भी धर्म किसी भी धार्मिक गुरु किसी भी हमारे नबी के खिलाफ़ अगर कोई बोलता है तो ऐसा कानून लाया जाए की उसके उपर सख्त कारवाई होनी चाहिए, फ़ोरन कारवाई होनी चाहिए, नहीं हो रही है. इस वजह से उसे पार्टी से निकालना ये कारवाई है? आज पुरी दुनिया”. इसे 10 लाख के करीब व्यूज़ मिले हैं.

इसके तुरंत बाद, ट्विटर पर यूज़र्स ने इम्तियाज़ जलील के बयान को “गलत तरीके से पेश” करने के लिए ANI की आलोचना की. पत्रकार रोहिणी सिंह ने ANI को कोट-ट्वीट करते हुए लिखा, “इम्तियाज़ जलील साफ तौर पर नूपुर शर्मा को फांसी देने के लिए नहीं कह रहे हैं और कानून को अपना काम करना चाहिए. @ANI ने उन्हें इतना ग़लत तरीके से क्यों पेश किया? उन्हें इस झूठे बयान के लिए ज़िम्मेदार बताने से तनाव और भड़क सकता है.” [आर्काइव्ड लिंक]

ऐसे ही NDTV की पत्रकार गार्गी रावत और स्वतंत्र पत्रकार अलीशान जाफ़री ने भी इसी तरह का दावा किया. बाद में दोनों ने अपने ट्वीट हटा लिए. [आर्काइव्ड लिंक]

This slideshow requires JavaScript.

ट्विटर अकाउंट ‘टीम साथ’ ने भी दावा किया कि ANI ने इम्तियाज़ जलील के बयान को ग़लत तरीके से पेश किया. [आर्काइव्ड लिंक]

तो क्या ANI ने वाकई में इम्तियाज़ जलील के बयान को ग़लत तरीके से पेश किया?

इसका जवाब है नहीं.

ANI के वीडियो में इम्तियाज़ जलील कहते हैं: “इस्लाम जो है वो अमन का मज़हब है. इस्लाम जो है वो शांति का मज़हब है. यकीनन लोगों के अंदर गुस्सा है हम भी ये मांग …करते है कि नूपुर शर्मा को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए. वरना अगर उसे आसानी से छोड़ दिया गया तो उसका कोई अंत ही नहीं रहेगा. हम तो ये कह रहे हैं कि किसी भी जाती किसी भी धर्म किसी भी धार्मिक गुरु किसी भी हमारे नबी के खिलाफ़ अगर कोई बोलता है तो ऐसा कानून लाया जाए की उसके उपर सख्त कारवाई होनी चाहिए, फ़ोरन कारवाई होनी चाहिए, नहीं हो रही है. इस वजह से उसे पार्टी से निकालना ये कारवाई है? आज पुरी दुनिया…” इस संबंधित हिस्से को ग़लत तरीके से पेश किए जाने का दावा किया गया है.

कई लोगों द्वारा ग़लत समझे गए भाषण के इस हिस्से को इम्तियाज़ जलील की मूल भाषा (मराठी) में समझते हैं. उन्होंने कहा, “इस्लाम जो है वो शांति का मज़हब है. यकीनन लोगों के अंदर गुस्सा है. हम भी ये मांगणी करते हैं कि नूपुर शर्मा को फांसी की सज़ा मिलनी चाहिए.“

वाक्य “हम भी मांगणी करते हैं” को गलत समझा गया है. ये मुहावरा हिंदी और मराठी भाषाओं में कहा जाता है. मांगणी शब्द मराठी है. इसका मतलब मराठी और गुजराती दोनों में “मांग” होता है. यहां ध्यान दें कि मांगणी सुनने में हिंदी वाक्यांश “मांग नी” या “मांग नहीं” की तरह लगता है जिसका मतलब है “मांग नहीं करना”.

ऑल्ट न्यूज़ ने गुजराती और मराठी में प्रशिक्षित भाषा के जानकार से बात की. नाम न उजाकर करने की रिक्वेस्ट पर उन्होंने बताया, “मैंने कई बार वीडियो सुना और मैं साफ़ तौर पर कह सकता हूं कि इम्तियाज़ जलील ने मांगणी कहा था.” उन्होंने कहा, “ये ‘मांग नी” नहीं हो सकता क्यूंकी आमतौर पर हिंदी में ‘मांग’ में ‘ए’ पर नासिकाकरण कम नहीं होता है. चूंकि जलील के बयान में नासिका ‘अ’ कम है, इसलिए ‘मांग नी’ बताना ग़लत है.”

गौर करें कि इम्तियाज़ जलील ने “हम भी मांगणी करते हैं” नुपुर शर्मा की फांसी की मांग करने के लिए ही कहा है. उन्होंने कहा कि नुपुर को फांसी दी जानी चाहिए “वरना अगर उसे आसानी से छोड़ दिया गया तो उसका कोई अंत ही नहीं रहेगा”.

नीचे दिए गए वीडियो में वो हिस्सा दिखाया गया है. यहां साफ़ तौर पर “हम भी मांगणी करते हैं” सुना जा सकता है.

वेरीफ़ाईड यूट्यूब चैनल गलीन्यूज़ ने 10 जून से इम्तियाज़ जलील का एक और वीडियो अपलोड किया था. इसमें उन्हें माइक पर भड़काऊ भाषण देते हुए देखा जा सकता है. उन्होंने वही क्रीम रंग की शर्ट पहनी हुई है जो ANI की वीडियो क्लिप में उन्होंने पहनी है. वीडियो में लगभग 25 सेकंड पर इम्तियाज़ जलील ने कहा, “… औरंगाबाद के इसी चौराहे के अंदर उसे [नूपुर शर्मा] फांसी दो…”

कुल मिलाकर, AIMIM के इम्तियाज़ जलील के बयान को ANI द्वारा ग़लत तरीके से पेश करने का दावा बिल्कुल झूठा है. क्यूंकि उन्होंने हिंदी और मराठी मिलाकर बोला था. इसलिए कई लोगों ने मान लिया कि उन्होंने “मांग नी” कहा था. जबकि असल में, उन्होंने “मांगणी” कहा था जिसका मतलब मराठी में “मांग करना” होता है.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: