कथित तौर पर बेंगलुरु का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. इसमें दावा किया जा रहा है कि बेंगलुरु पुलिस पॉपकॉर्न बनाने के लिए पेशाब का इस्तेमाल करने के आरोप में एक शख्स को पकड़ रही है. कई सोशल मीडिया यूज़र्स आरोपी के लिए ‘शांतिपूर्ण’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि मुस्लिम समुदाय को संदर्भित करने के लिए अक्सर राईटविंग द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक व्यंग्यात्मक तंज है.
प्रीमियम सब्सक्राइब्ड एक्स यूज़र ‘हम लोग वी द पीपल 🇮🇳’ (@ajaychauhan41), ने 22 जून को ये वीडियो शेयर किया और कैप्शन में लिखा: “बेंगलुरु में एक पॉपकॉर्न स्टॉल के शांतिप्रिय मालिक को नमक की जगह पेशाब से पॉपकॉर्न बनाते रंगे हाथों पकड़ा गया!” इस यूज़र को पहले भी कई बार सांप्रदायिक ग़लत सूचनाओं को शेयर और प्रचारित करते हुए पाया गया है. ट्वीट को 1.44 लाख से ज़्यादा बार देखा गया है और 3,700 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव)
बेंगलुरु में एक पॉपकॉर्न स्टॉल के शांतिप्रिय मालिक को नमक की जगह पेशाब से पॉपकॉर्न बनाते रंगे हाथों पकड़ा गया! pic.twitter.com/iUULYASOKd
— हम लोग We The People 🇮🇳 (@ajaychauhan41) June 22, 2024
एक्स और फ़ेसबुक पर कई अन्य यूज़र्स ने भी वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया कि पॉपकॉर्न स्टॉल के मालिक ने पॉपकॉर्न बनाने के लिए पेशाब का इस्तेमाल किया था.
फ़ैक्ट-चेक
सबंधित कीवर्ड सर्च करने पर हमें 2022 की कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट थे.
हमें द न्यूज़ मिनट की 14 जून, 2022 की रिपोर्ट मिली जिसके टाइटल का हिंदी अनुवाद है, “बेंगलुरु पुलिस ने लालबाग में मुस्लिम पॉपकॉर्न विक्रेता की लिंचिंग को रोका.” इस रिपोर्ट में लिखा है कि लालबाग में लगभग दस साल से पॉपकॉर्न बेचने वाले नवाज़ पाशा पर लोगों ने पॉपकॉर्न तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए गए तेल में थूकने का आरोप लगाया था. भीड़ उस पर हमला करने ही वाली थी कि तभी इलाके से गुज़र रहे एक पुलिस इंस्पेक्टर ने हस्तक्षेप किया और स्थिति को नियंत्रित कर हमले को रोका.
इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि स्थानीय लोगों के आरोपों के आधार पर पुलिस ने नवाज़ को पकड़ लिया और उसकी पॉपकॉर्न बनाने वाली मशीन ज़ब्त कर ली. हालांकि, लोगों ने पुलिस स्टेशन आने और FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया. पुलिस ने आख़िरकार उसके खिलाफ धारा 269 (लापरवाही से काम करना जिससे जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना हो), 270 (घातक कार्य जिससे जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना हो), 272 (बिक्री के लिए खाद्य या पेय पदार्थ में मिलावट) और आईपीसी की धारा 273 (हानिकारक भोजन या पेय की बिक्री) के तहत स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया. हालांकि, नवाज़ ने कहा कि उसने तेल में नहीं थूका. उसने कहा कि सिर्फ तेल के पैकेट को काटने के लिए उसे दांत से काटा था.
न्यूज़ मिनट की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि नवाज़ को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. लेकिन जब उसने पुलिस से उसके खिलाफ़ लगे आरोप हटाने का अनुरोध किया, तो उन्होंने कहा, “ये एक बड़ा मुद्दा बन गया है और मीडिया में है, और उनके पास उसके खिलाफ़ मामला दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”
इस रिपोर्ट में नवाज़ के हवाले से कहा गया कि उसने “अपने स्टॉल पर तेल की खाली बोतल भरते समय अपने हाथ से एक तेल का पैकेट फाड़कर पैकेजिंग का फटा हुआ टुकड़ा अपने मुंह में डाल लिया और बाद में उसे थूक दिया. इस पर एक अन्य व्यक्ति का ध्यान ग़या, जो एक जॉगर था. वो मेरे पास आया और मेरा नाम पूछा. जैसे ही उसने सुना, “मेरा नाम नवाज़ है,” उसने चिल्लाकर भीड़ इकट्ठा कर ली, “देखो, इस मुस्लिम लड़के ने तीन बार तेल में थूक दिया है.”
जांच के आधार पर, ये साफ़ है कि वायरल वीडियो पुराना है. साथ ही ये दावा ग़लत है कि पॉपकॉर्न विक्रेता को पॉपकॉर्न पकाने के लिए पेशाब का इस्तेमाल करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था. पॉपकॉर्न बेचने वाले नवाज़ पाशा पर असल आरोप ये था कि उसने तेल में थूक दिया था. हालांकि, उन शिकायतकर्ताओं के पास दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं था और उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया था.
‘थूक जिहाद‘ या ये सिद्धांत अक्सर राईटविंग मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की कोशिश है जिसमें मुस्लिम रसोइया या विक्रेता द्वारा खाने में थूकने का आरोप लगाया जाता है. इससे पहले, ये झूठा दावा किया गया था कि मुसलमानों ने अदालत में स्वीकार किया कि थूकना ये सुनिश्चित करने का एक तरीका था कि भोजन हलाल है.
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