सोशल मीडिया में एक शख्स को ज़िंदा जलाने का वीडियो इस दावे के साथ प्रसारित किया जा रहा है कि वह विष्णु गोस्वामी नामक हिंदू युवक है, जिसकी उत्तर प्रदेश के गोंडा में इमरान, तुफैल, निजामुद्दीन और रमजान ने जान ले ली।

ट्विटर यूज़र निधि गुप्ता ने यह वीडियो, इस कैप्शन के साथ शेयर किया, “हिंदुओं हथियार न उठा सको तो आवाज तो बन सकते हो ! उत्तर प्रदेश के गोंडा के, चिश्तीपुर गांव में ,विष्णु गोस्वामी को इमरान, तोफेल, निजामुद्दीन, रमजान ने, पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया मीडिया में कोई खबर नहीं मुस्लिम मरे तो मोब लिंचिंग, हिंदू मरे तो सन्नाटा ज़रा देखें वीडियो”।

एक अन्य ट्विटर यूज़र उमेश तिवारी ने भी यह वीडियो, इस कैप्शन के साथ पोस्ट किया, “अखलाक पे रोने वाले भड़वों कहाँ मर गये विष्णु गोस्वामी पर।”

इस महीने के शुरू से ही इसी वीडियो का एक स्क्रीनग्रैब चल रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अभिजात मिश्रा ने 16 मई को ट्वीट किया था, “उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक हिन्दू युवा #विष्णुगोस्वामी को चार शांतिदूतों इमरान-रमज़ान-निज़ामुद्दीन-तुफैल ने पहले पेट्रोल से नहलाया फिर आग लगा दी हालांकि चारों जिहादी गिरफ्तार हैं पर #मॉब_लिंचिंग चिल्लाने वाला गैंग कहाँ है”। मिश्रा ने अब अपना ट्वीट हटा लिया है।

जामनगर जिला भाजपा आईटी सेल के सह-संयोजक, रंजीतसिंह चुदास्मा ने भी यह तस्वीर शेयर की थी।

सच क्या है?

ट्वीट के माध्यम से किए गए दावे के शब्द सही हैं। उत्तर प्रदेश के गोंडा में एक विवाद में विष्णु गोस्वामी नामक एक व्यक्ति को ज़िंदा जला दिया गया। इलाज के लिए युवक को लखनऊ के एक अस्पताल में ले जाया गया। दैनिक जागरण के अनुसार, गोस्वामी अपने पिता की पिटाई कर रहा था, जिसमें चार लोगों के हस्तक्षेप करने पर यह विवाद हुआ। जल्द ही इस विवाद ने खराब मोड़ ले लिया। उन लोगों ने गोस्वामी पर पेट्रोल डाला और उसे आग लगा दी। पुलिस ने इमरान, तुफैल, निजामुद्दीन और रमजान नामक अपराधियों को गिरफ्तार किया।

अमर उजाला में बाद की एक रिपोर्ट के अनुसार, वे अपराधी तेल टैंकरों के चालक थे। घायल विष्णु ने 19 मई को दम तोड़ दिया।

इस घटना की हिंदुस्तान टाइम्स ने भी खबर की थी, जिसके अनुसार, “पीड़ित के चचेरे भाई, राज कुमार गोस्वामी ने बताया कि यह घटना, मंगलवार को रात्रि लगभग 8.30 बजे, कोतवाली देहात पुलिस क्षेत्र में तब हुई, जब विष्णु और उसके भाई महेश, गाँव के पास शौच कर रहे अपने शराबी पिता रामगीर गोस्वामी, को लेने गए थे। उन्होंने कहा कि चारों आरोपियों का इन भाइयों से विवाद हो गया, जब वे अपने पिता को घर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। इस विवाद के बाद विष्णु जब अपना चेहरा धो रहा था, तभी आरोपियों ने उस पर पेट्रोल डालकर उसे आग लगा दी।” -(अनुवाद)

लेकिन, जिंदा जलते हुए आदमी का शेयर किया गया वीडियो उक्त घटना से संबंधित नहीं है। गोंडा पुलिस ने 16 मई को इस गलत सूचना के बारे में ट्वीट किया। पुलिस ने लिखा, “हमारे संज्ञान में आया है कि लोग इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर अफवाह फैलाने के लिए जिससे व्यवधान उत्पन्न हो, एक भ्रामक तस्वीर का उपयोग कर रहे हैं। यह गैरकानूनी और गैरजिम्मेदार है।”

ऑल्ट न्यूज़ से फोन पर बातचीत में गोंडा पुलिस ने दोहराया कि यह घटना सांप्रदायिकता से प्रेरित नहीं थी। हमने, विष्णु के चचेरे भाई राज कुमार गोस्वामी और उनके भाई महेश के साथ भी बात की, जो घटना के समय अपने भाई के साथ थे। दोनों ने हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा बताई गई कहानी ही सुनाई।

इस बीच, यान्डेक्स खोज परिणामों से पता चला कि सोशल मीडिया में वायरल वह वीडियो कम से कम 2013 से इंटरनेट पर मौजूद है।

फ़ैक्ट चेकिंग वैबसाइट SM Hoaxslayer ने पाया कि यह वीडियो 2010 में मेहसाना, गुजरात में हुई घटना को दर्शाता है। 9 सितंबर, 2010 को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मृतक (कल्पेश) ने पुलिस स्टेशन में खुद को आग लगा लिया था, जिसके बाद दो पत्रकारों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया क्योंकि उन्होंने घटना का वीडियो बनाया था। पत्रकारों ने एक याचिका में कहा, “आग को बुझाने के लिए, हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था कैमरों के अलावा। पुलिस द्वारा असहनीय मानसिक तनाव के कारण, कल्पेश ने उनकी उपस्थिति में आत्महत्या कर ली। हमने यही दिखने के लिए फुटेज लिया है। कमलेश रावल, विनोद रावल और चंद्रेश परमार द्वारा भी इस घटना को रिकॉर्ड किया गया था।” -(अनुवाद)

इस प्रकार, हालिया घटना के संदर्भ में शेयर किया गया वीडियो पुराना था। यही नहीं, इस अपराध के सांप्रदायिकता से प्रेरित होने का दावा किया गया, जबकि पुलिस और पीड़ित के परिवार के सदस्यों, दोनों ने इससे इनकार किया।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.