सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को आधार मामले की अंतिम सुनवाई शुरू कर दी। UID प्रोजेक्ट, जो शुरूआत से ही विवाद के केंद्र में रही है, इसने दोनों तरफ से महत्वपूर्ण बहस देखे हैं- पक्ष में भी और विपक्ष में भी। हाल ही में, कई ऐसे उदाहरण सामने आये हैं, जहां आधार डेटा लीक हुआ है या निहित स्वार्थ के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। हर बार, आधार परियोजना के समर्थकों ने इसके दुरुपयोग के डर को हटाने का प्रयास किया है, जिसमें कहा गया कि यह प्रणाली पूरी तरह से विश्वसनीय और सुरक्षित है। UIDAI के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणी जो इस परियोजना के समर्थक रहे हैं, उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ वर्गों द्वारा आधार को खराब करने के लिए एक ‘नियोजित अभियान‘ शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। निलेकणी का यह बयान द ट्रिब्यून द्वारा प्रकाशित एक लेख के मद्देनजर आया जिसमें बताया गया था कि किस तरह 1.2 अरब नागरिकों के जनसांख्यिकीय डेटा को मात्र 500 रूपये देकर प्राप्त किया जा सकता है।
Simultaneous edit-page pieces in TOI and HT by @NandanNilekani on the day SC begins final hearing on #Aadhaar. Critics are requested to not see this as an “orchestrated campaign” to save @UIDAI. pic.twitter.com/qtvEjoNL8r
— churumuri (@churumuri) January 17, 2018
आधार मामले पर सर्वोच्च न्यायालय की अंतिम सुनवाई के दिन, निलेकणी ने संपादकीय लेख लिखा था जिसे दो प्रमुख अखबार- टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स ने छापा है। इन अख़बारों में से किसी ने भी संपादकीय पृष्ठ पर एक जैसी राय नहीं दी।
नीलकेनी के लेख को सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों ने ट्वीट किया, 17 जनवरी की सुबह से, कई केंद्रीय मंत्रियों ने हैशटैग #AadhaarMythBuster का उपयोग करके ट्वीट किया है।
जैसा कि कई मामलों में पहले भी देखा गया है #DemonetisationSuccess हैशटैग का ट्रेंड चला था, ऐसे ही एक जैसे ट्वीट को लेकर गूगल दस्तावेज़ तैयार किया गया है।
TREND ALERT : #AadhaarMythBuster
TIME : 10.00 AMCongress with the help of secular section of Media has started…
Posted by Partha Pratim Das on Tuesday, 16 January 2018
ये एक जैसे ट्वीट हैशटैग #AadhaarMythBuster का उपयोग कर किया गया है, जिससे आधार के कथित लाभों को सूचीबद्ध करने और इस परियोजना से संबंधित ‘झूठ’ और ‘गलतफहमी’ को दूर करने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच, 16 जनवरी को UIDAI ने अंतिम सुनवाई के एक दिन पहले, प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में एक पुरे पेज पर विज्ञापन जारी किया था।
आधार परियोजना हमेशा से विवादों में रही है। UID परियोजना के समर्थकों का दावा है कि यह एक परिभाषित कदम है जो भ्रष्टाचार कम कर फर्जी खातों से परेशानी को समाप्त करेगा। साथ ही सटीक सेवाओं के साथ सेवा वितरण सुनिश्चित करेगा। दूसरी ओर आलोचकों ने बायोमेट्रिक डेटा से जुड़ी एक सार्वभौमिक पहचान संख्या पर चिंता व्यक्त की है। इससे गोपनीयता का अंत हो जाएगा और बड़े पैमाने पर निगरानी के परिणामस्वरूप, डाटा की सुरक्षा और इसके दुरुपयोग की संभावना बनी रहेगी।
यह ध्यान देने योग्य है कि UIDAI ने इस परियोजना के संबंध में हुए आलोचना को सही ढंग से नहीं लिया। इस महीने की शुरुआत में UIDAI ने द ट्रिब्यून और इसके रिपोर्टर पर पुलिस शिकायत दर्ज किया था। कुछ समय पहले, इसने (UIDAI) ट्विटर पर आलोचकों को ब्लॉक कर दिया था।
UIDAI परियोजना के संबंध में सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा उठाए गए वास्तविक शिकायतों को न केवल नकार दिया गया है, बल्कि इन चिंताओं का सुझाव देकर इसे एक राजनीतिक रंग दे दिया गया है। दूसरी तरफ, परियोजना के पक्ष में जनता की राय में हेरफेर करने के प्रयास पर विचार किया जा सकता है। राजनीतिक वर्ग, मुख्यधारा मीडिया और सोशल मीडिया पे काम करने वालों को एक तरह से संगठित किया गया है, और यह प्रयास कि आधार के पक्ष में सामूहिक राय बनाई जाए इसी संगठन का है ना कि आधार के मुद्दे पर सोशल मीडिया पे अपनी राय रखने वाले आम लोगों का।
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