साजिश से भरी कहानी सबको अच्छी लगती है। दिवंगत जस्टिस बृजगोपाल हरकिशन लोया के बेटे, अनुज लोया की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने ऐसी कई सिद्धांतों के लिए काफी अनुकूल जमीन प्रदान की। कॉन्फ्रेंस मुंबई की शीर्ष लॉ फर्म, नाइक एंड नाइक के कार्यालय में आयोजित की गई थी। अनुज लोया के साथ इस कॉन्फ्रेंस में उनके चचेरे भाई, प्रतीक भंडारी, नाइक एंड नाइक की ओर से एडवोकेट अमीत बी. नाइक और सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक्ट जज केबी कातके मौजूद थे जो जस्टिस लोया के पारिवारिक मित्र और सहकर्मी थे। इस कॉन्फ्रेंस में, अनुज लोया ने कहा कि उनके पिता की मृत्यु संदेहजनक नहीं थी और परिवार नहीं चाहता कि कोई जांच हो। जैसे ही यह कॉन्फ्रेंस टीवी पर प्रसारित हुई, आरोप लगने लगे कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अमित शाह ने कराया था। जस्टिस लोया की जब मृत्यु हुई थी तो वे उस सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें अमित शाह एक आरोपी थे।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को आयोजित कराने में अमित शाह की भूमिका के बारे में संदेह सबसे पहले न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार जस ओबेरॉय ने व्यक्त किया। उन्होंने साक्ष्य के तौर पर एबीपी न्यूज की एक वीडियो क्लिप साझा की।

यही आरोप कई अन्य लोगों ने भी लगाए जिनमें गौरव पांधी और प्रशांत भूषण शामिल थे।

दिलचस्प बात यह रही कि सबसे पहले ऑपइंडिया द्वारा ध्यान दिया गया, संजीव भट्ट ने प्रशांत भूषण के ट्वीट को सीधे कॉपी किया और इन्हीं आरोपों को दोहरा दिया।

हालांकि यह वीडियो सुनने पर पहली बार ऐसा लगता है कि अमित शाह का नाम लिया गया था लेकिन ऐसा नहीं है। इसके बारे में सबसे पहले @swamv39 द्वारा ध्यान दिलाया गया और इसकी पुष्टि कई पत्रकारों ने भी की। यह बात भी गौर करने लायक है कि यदि अमित शाह का नाम वाकई प्रेस कॉन्फ्रेंस में लिया जाता तो यह संभव नहीं था कि कॉन्फ्रेंस में शामिल मीडियाकर्मियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया होता।

एबीपी न्यूज के अभिसार शर्मा ने स्पष्ट किया कि उनकी क्लिप में जज केबी कातके द्वारा उल्लेखित नाम अमित शाह का नहीं बल्कि अमीत सर यानी एडवोकेट अमीत नाइक का था जिन्होंने यह कॉन्फ्रेंस आयोजित कराने में मदद की थी।

आज तक/इंडिया टूडे के पत्रकार, आशुतोष मिश्रा ने भी बताया कि यह भ्रम शायद अस्पष्ट ऑडियो की वजह से पैदा हुआ है।

इसी बात को जनता का रिपोर्टर के रिफत जावेद ने भी स्पष्ट किया।

बैंगनी रंग की टाई पहने हुए, अमीत नाइक को एबीवी न्यूज द्वारा प्रसारित इस वीडियो में बोलते हुए देखा जा सकता है।

हालांकि कई पत्रकारों द्वारा स्पष्टीकरण दिये जाने के बावजूद, अपने ट्वीट में आरोप लगाने वाले उपरोक्त लोगों में से किसी ने भी अभी तक इन्हें डिलीट नहीं किया है। ना ही इस गलती को स्वीकार करने की कोई बात नजर आई है। बल्कि साजिश की कुछ नई कहानियाँ जन्म लेने लगी हैं।

जब कोई अप्रिय मुद्दा हो तो अक्सर दोनों पक्षों की ओर से साजिश की कहानियाँ सामने लाई जाती हैं। यह गलत अर्थ लगाने का एक विशिष्ट उदाहरण है चाहे इसे जानबूझकर किया गया हो या ऐसा अनजाने में हुआ हो। इस विवाद ने सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोरी और गड़बड़ी का पता लगने और रिपोर्टरों द्वारा स्पष्टीकरण दिए जाने के बावजूद अभी भी यह लगातार फैलाई जा रही है। हालांकि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय को लेकर हैरानी जताई जा सकती है क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा जज लोया की अप्रत्याशित तरीके से हुई मृत्यु के बारे में संदेह जताने के ठीक दो दिन बाद आयोजित की गई लेकिन फिर भी अफवाह फैलाने वाले लोगों ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। जस्टिस लोया की मृत्यु एक संवेदनशील और गंभीर मामला है और इसे महत्वहीन बनाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

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