सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें लोग सड़क के ऊपर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लेटे हुए दिख रहे हैं. इसके साथ में दावा किया जा रहा है कि ये चीन में कोरोनावायरस के कहर का परिणाम है.

ऑल्ट न्यूज़ को व्हाट्सऐप (+91 76000 11160) और हमारे ऑफ़िशियल मोबाइल ऐप पर इस तस्वीर का फ़ैक्ट-चेक करने की कई रिक्वेस्ट्स मिली हैं.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने यानडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर पाया कि वायरल हो रही तस्वीर 2014 में हिंदुस्तान टाइम्स के एक फ़ोटो निबंध में पब्लिश हो चुकी है. रिपोर्ट के अनुसार,“कुज़बाख़ नाज़ी यातनागृह के 528 पीड़ितों की याद में फ्रैंकफ़र्ट में लोग पैदल यात्रियों के ज़ोन में लेटे हुए हैं. ये लोग एक आर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं.” ये तस्वीर रॉयटर्स से ली गई थी.

ऑल्ट न्यूज़ ने एक और कीवर्ड सर्च करने पर पाया कि ये तस्वीर 24 मार्च 2014 को रॉयटर्स पर पब्लिश हुई थी. कैप्शन में लिखा था, “24 मार्च 2014. ‘कुज़बाख़’ नाज़ी यातनागृह के 528 पीड़ितों की याद में फ्रैंकफ़र्ट में लोग पैदल यात्रियों के ज़ोन में लेटे हुए हैं. ये लोग एक आर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. कुज़बाख़ यातनागृह के कैदियों, जो एडलर इंडस्ट्रियल फ़ैक्ट्री का हिस्सा थे,को 24 मार्च, 1945 की तारीख को जबरदस्ती अंतिम मार्च पर निकलने के लिए कहा गया. इन लोगों को बुहेनवाल्ड और दाहाउ के यातना शिविर तक ले जाया गया. कुज़बाख़ के लगभग 528 पीड़ित फ्रैंकफ़र्ट के मुख्य श्मशान में दफ़्न हैं.”

वायरल फोटो छह साल पुरानी है और चीन की नहीं है. ये जर्मनी के फ्रैंकफ़र्ट शहर के एक आर्ट प्रोजेक्ट की तस्वीर है.

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.