जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्रों की एक तस्वीर, जिसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान चटर्जी दिख रहे हैं, ट्वीटर पर इस दावे के साथ साझा की जा रही है कि 76 केंद्रीय रिज़र्व पुलिस फाॅर्स (CRPF) की मौत का जेएनयू परिसर में जश्न मनाया गया था।

तस्वीर में ‘सोशल तमाशा’ नामक एक फेसबुक पेज का चिन्ह दिखाई दे रहा है, जो कि अक्सर गलत सूचनाएं प्रसारित करते हुए पाया जाता है। तस्वीर में अंकित किया हुआ सन्देश इस प्रकार है, “कैसे भूल सकते हो। जब छत्तीसग़ढ में 76 जवान शहीद हुए थे तब इसी JNU में जश्न मनाया गया था।”

तथ्य जांच

2016 की तस्वीर

ऑल्ट न्यूज़ ने तस्वीर को गूगल पर रिवर्स सर्च किया और हमें यह समान तस्वीर 13 मई, 2019 के आउटलुक के एक लेख में प्रकाशित की हुई मिली, जिसमें तस्वीर का श्रेय फोटो पत्रकार संजय रावत को दिया गया है।

ऑल्ट न्यूज़ ने रावत से संपर्क किया, जिन्होंने इस बात पुष्टि की कि यह तस्वीर उन्होंने 10 सितम्बर, 2016 को खींची थी। तस्वीर में 2016 के जेएनयू छात्र संघ के चुनाव में CPI (ML) के छात्रों को उनकी जीत का जश्न मनाते हुए देखा जा सकता है, जो कि ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और सीपीआई के स्टूडेंट विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से संबंधित है।

इसके अलावा, कन्हैया कुमार जेएनयू के 2011 से 2019 तक छात्र थे। जबकि दंतेवाड़ा की घटना 2010 में हुई थी।

2010 की दंतेवाड़ा की घटना

76 जवानों की मृत्यु की घटना छतीससगढ़ में 6 अप्रैल, 2010 को हुई थी। NDTV की 12 अप्रैल, 2010 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘फोरम अगेंस्ट वॉर ऑन पीपल’ नामक एक ग्रुप ने नक्सलियों की हत्या का विरोध करते हुए जेएनयू में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम नरसंहार के दिन ही आयोजित किया गया था, जिसके कारण विश्वविद्यालय परिसर में झड़पे भी हुई थी। भाजपा और कांग्रेस से जुड़े छात्रसंघों ने कथित तौर पर यह आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम में दंतेवाड़ा में हुए नरसंहार का जश्न मनाया गया है। हालांकि, ‘फोरम अगेंस्ट वॉर ऑन पीपल’ ने दावा किया कि यह कार्यक्रम 5 अप्रैल को ही आयोजित होने वाला था लेकिन यह किसी कारणवश स्थगित हो गया था।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, “इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले समूह [फोरम अगेंस्ट वॉर ऑन पीपल] ने जेएनयू के अधिकारियों से इस कार्यक्रम की पूर्व अनुमति नहीं मांगी थी। लेकिन उन्होंने दावा किया कि इस कार्यक्रम का दंतेवाड़ा की घटना से कोई लेना-देना नहीं है।” (अनुवाद)

2016 की एक तस्वीर इस झूठे दावे से साझा की गई कि 2010 में हुए एक नरसंहार में CRPF जवानों पर हुए हमले के बाद जेनयू के छात्र, जिसमें कन्हैया कुमार भी शामिल थे, ने परिसर में इसका जश्न मनाया था। हालांकि, 2010 में कन्हैया कुमार जेएनयू के छात्र नहीं थे।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.