कर्नाटका में कोरोना महामारी के कारण 8 मई को करीब 600 लोगों की मौत हुई है जो महामारी की शुरुआत से अब तक सबसे ज़्यादा है. 8 मई की रिपोर्ट के मुताबिक़, बीते 24 घंटों में राज्य में कोरोना के 48,781 केस दर्ज हुए. इसके बाद संक्रमण के कम होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. लेकिन कर्नाटका में महामारी के साथ-साथ सांप्रदायिक और ग़लत सूचनाएं भी बढ़ती जा रही हैं. भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने हाल ही में दक्षिण बेंगलुरू में कोविड वॉर रूम के मुस्लिम कर्मचारियों पर बेड के लिए भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था. फ़िलहाल इन 17 कर्मचारियों को इस मामले में क्लीन चीट मिल चुकी है और ये लोग वापस अपने काम पर लौट सकते हैं. इस बीच, सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय के लोगों की आलोचना करने का दौर भी जारी है.
फ़र्ज़ी ख़बरें शेयर करने के तंत्र में सबसे बड़ा नाम पोस्टकार्ड न्यूज़ कन्नड़ा (जिसके इंग्लिश आउटलेट को फ़ेसबुक पर बैन कर दिया गया है) ने दावा किया कि 5-8 मुस्लिम किसी एजेंसी से जुड़ गए हैं और कोरोना मरीज़ों का अंतिम संस्कार कर 7 से 8 हज़ार कमा रहे हैं. ये एजेंसी हर डील पर 35 हज़ार रुपये कमा रही है.
[पढ़े : पोस्टकार्ड न्यूज़ – फ़र्ज़ी खबरों की फैक्ट्री जो हमेशा ज़हर उगलती है]
Posted by Postcard ಕನ್ನಡ on Thursday, 6 May 2021
इस दावे को पोस्टकार्ड न्यूज़ के फ़ाउन्डर महेश विक्रम हेगड़े ने भी शेयर किया है. आर्टिकल लिखे जाने तक इस पोस्ट को 2 हज़ार से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है. साल 2018 में हेगड़े को बेंगलुरू क्राइम ब्रांच ने एक जैन साधु पर मुस्लिमों के हमला करने की झूठी खबर चलाने के लिए गिरफ़्तार किया था.
Posted by Mahesh Vikram Hegde on Friday, 7 May 2021
ग्राफ़िक पर जो लिखा है, उसके मुताबिक, “क्या आपको पता है? बेंगलुरू में एजेंसी एक कोरोना मरीज़ का अंतिम संस्कार करने के लिए 35 हज़ार रुपये वसूल कर रही है. ये एजेंसी इन शवों को बाहर किसी मुस्लिम व्यक्तियों को 7 से 8 हज़ार रुपये में दे देती है. शमशान घाट पर मुस्लिम धर्म से जुड़ी टोपी पहने लोग अंतिम संस्कार की तस्वीरें खींच कर सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. ये एक बड़ा घोटाला है, सरकार को इसकी जांच कर इन्हें तुरंत गिरफ़्तार करना चाहिए.”
महेश विक्रम हेगड़े ने ये दावा इंग्लिश में भी ट्वीट किया है.
Agencies in Bangalore cracked deal & charge Rs 35000 for covid funeral
Agency gives Rs 7 to 8000 to 5-8 peacefuls to do it
Peacefuls share images as if they doing social work
Now PFI-SDPI filed case against me
It’s 13th case against me
I consider it 13th star on my shoulder
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) May 8, 2021
फ़ैक्ट-चेक
पोस्टकार्ड न्यूज़ ने ग्राफ़िक में इस दावे को समर्थन देने के लिए 2 तस्वीरें इस्तेमाल की हैं. इस ग्राफ़िक में शामिल पहली तस्वीर PTI के चीफ़ फ़ोटोजर्नलिस्ट मनविंदर वशिष्ठ ने 2 मई को ट्वीट की थी.
पोस्टकार्ड न्यूज़ ने झूठी कहानी के साथ इस तस्वीर का इस्तेमाल किया. इसके अलावा, ये अंतिम संस्कार कर्नाटका में नहीं बल्कि दिल्ली की पुरानी सीमापुरी के शमशान घाट में किया गया था.
अब आते हैं दूसरी तस्वीर पर. कर्नाटका के सोशल मीडिया पर इस ग्राफ़िक के वायरल होने के बाद मृत व्यक्ति के बेटे लोकेश ने वीडियो के ज़रिए इस ग़लत जानकारी का खुलासा किया.
लोकेश ने कहा, “मेरा नाम लोकेश है. मैं ये पोस्ट देख कर काफ़ी दुखी हुआ था क्योंकि ये तस्वीर मेरे पिता की है जिनकी कोविड के कारण मृत्यु हो गई. उस समय हमारे पास डर के कारण मदद करने के लिए कोई नहीं था. मुझे PFI का नंबर मिला और मैंने उन्हें रात के 2 बजे फोन किया. वो सुबह 6 बजे आए और हिन्दू रीति-रिवाज़ों से उन्होंने मेरे पिता का अंतिम संस्कार किया. वो अपनी गाड़ियों से पहुंचे थे और उन्होंने इसके लिए 1 रुपया भी चार्ज नहीं किया. वो अपने साथ ज़रूरत की सारी चीज़े लाए थे. आखिर में, उन्होंने बताया कि वो सामाजिक सेवा कर रहे हैं और इसके लिए 1 रुपया भी नहीं लेंगे. उन्होंने डीज़ल के लिए भी 1 रुपया तक चार्ज नहीं किया. हमने अपने कई दोस्तों को भी उनके बारे में बताया है. वो बिना किसी चार्ज के एम्बुलेंस भी लाए थे और अंतिम संस्कार किया था.”
लोकेश ने आगे बताया, “ऐसे समय में फ़र्ज़ी पोस्टर शेयर करना गलत है. मुझे नहीं पता कि आप ये राजनीति के लिए कर रहे हैं या उन्हें नफ़रत करते हैं इसलिए लेकिन ये गलत है. आप मदद करे अगर कर सकते हैं तो करिए. अगर नहीं तो ऐसे पोस्ट क्यों शेयर कर रहे हैं? आपसे किसने कहा पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के लिए? आप जो कोई भी हो, नेलमंगल आइए. लेकिन फ़र्ज़ी वीडियोज़ या पोस्टर्स शेयर कर दूसरों को परेशान न करें.”
ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए लोकेश ने कहा कि उनके पिता का अंतिम संस्कार 5 मई को किया गया था. उनकी मौत इससे एक दिन पहले हुई थी.
लोकेश को PFI के बारे में उसके कज़िन मुनिराजू ने बताया था. मुनिराजू ने ऑल्ट न्यूज़ से कहा, “PFI के लोग 6 बजे सुबह अपने साथ PPE सूट, एम्बुलेंस और अंतिम संस्कार के लिए ज़रूरी सामान लेकर आए थे. हमारा परिवार शव को छूने से डर रहा था. लेकिन PFI के लोगों ने हिन्दू रीति-रिवाज़ों के साथ अंतिम संस्कार किया.”
उन्होंने शमशान घाट की कुछ तस्वीरें भी भेजी. तस्वीर में कपड़े का मास्क पहना व्यक्ति लोकेश है.
ऑल्ट न्यूज़ ने PFI के सदस्य फ़रहान पाशा से बात की. उन्होंने बताया, “मुझे 5 मई को रात 2 बजे के करीब कॉल आया था. मरीज़ की मृत्यु नेलमंगल के अस्पताल के ICU में हुई थी. अस्पताल के स्टाफ़ ने परिवारवालों को बताया था कि दूसरे मरीज़ डरे हुए हैं इसलिए जल्द से जल्द शव को ले जाने का इंतज़ाम करें. हमें इस काम के लिए कम से कम 6 लोगों की ज़रूरत थी. हमारे साथ जुड़े लोग सुबह से पहले नहीं आ सकते थे. इसलिए हम सुबह 6 बजे वहां पर गए थे. अंतिम संस्कार की क्रिया हिन्दू रिवाज़ों के हिसाब से की गई थी. मुझे मिलाकर कुल 8 लोग श्मशान घाट पर मौजूद थे.” फ़रहान ने बताया कि महामारी की पहली लहर में उन्होंने 4 अंतिम संस्कार किये थे. इस बार, दूसरी लहर के दौरान उन्होंने कुल 15 अंतिम संस्कार किये हैं. वॉलंटियर तमाम धर्मों के लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
पोस्टकार्ड न्यूज़ कन्नड़ा ने कहानी को फ़र्ज़ी रूप देकर मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधा. उन्होंने कोरोना से मरे एक मरीज़ के शव की तस्वीर का इस्तेमाल कर झूठा दावा शेयर किया. मृत व्यक्ति के परिवारवालों ने इस फ़र्ज़ी दावे के वायरल होने के बाद इसका खंडन किया.
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