अक्सर फ़र्ज़ी ख़बर और खबरों को सांप्रदायिक रंग देकर फैलाने वाली राइट-विंग प्रॉपगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया ने 23 अक्टूबर को एक आर्टिकल पब्लिश किया. ये आर्टिकल ऑपइंडिया के ‘एडिटर इन चीफ़’ नूपुर झुनझुनवाला शर्मा ने लिखा था जिसमें दावा किया कि लीगल रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ ने छात्र एक्टिविस्ट शरजील इमाम के केस को रिपोर्ट करते समय फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई और रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्य जोड़े जो वास्तविक नहीं हैं.
दरअसल, लाइव लॉ ने 22 अक्टूबर को एक ट्वीट में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला लेने में दिल्ली हाईकोर्ट की देरी वाले मामले पर सुनवाई करेगा. लाइव लॉ ने इस ट्वीट में जानकारी दी कि मामले की सुनवाई जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और एससी शर्मा की बेंच करेगी. इसके कुछ घंटे बाद लाइव लॉ ने फिर ट्वीट कर जानकारी दी कि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं हुई, अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होने की संभावना है.
Student activist #SharjeelImam‘s petition assailing delay in hearing of his bail plea in the Delhi Riots Larger Conspiracy case not taken up today by the #SupremeCourt
Next hearing likely on Friday ie 25th October https://t.co/9tWYIYuE7Z
— Live Law (@LiveLawIndia) October 22, 2024
लाइव लॉ की इस रिपोर्ट को ग़लत बताते हुए ऑपइंडिया ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कोई सुनवाई नहीं होने वाली थी और शरजील इमाम से जुड़ा कोई भी मामला जस्टिस बेला त्रिवेदी और एससी शर्मा की बेंच के सामने लिस्ट ही नहीं हुआ था. ऑपइंडिया ने आगे दावा किया कि लाइव लॉ ने शरजील इमाम से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई को गलत तथ्य के तौर पर पेश किया और कहा कि 22 अक्टूबर को शरजील इमाम की एक अन्य याचिका पर सुनवाई थी, लेकिन यह सुनवाई शरजील इमाम की जमानत के बारे में नहीं थी और ना ही यह हाईकोर्ट में देरी के बारे में थी.
ऑपइंडिया ने अपने आर्टिकल में डायरी नंबर 4730/2020 के साथ एक मामले का हवाला दिया जिसे 22 अक्टूबर 2024 को कोर्ट नंबर 2 में जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार के पास शरजील इमाम के एक अन्य केस में एफआईआर को क्लब करने के मामले में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था. साथ ही दावा किया कि यह वही मामला था जिसके बारे में लाइव लॉ ने ट्वीट किया था. ऑपइंडिया ने दावा किया कि 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका पर फैसला करने में दिल्ली हाईकोर्ट की देरी के बारे में लाइव लॉ द्वारा प्रकाशित जानकारी सरासर झूठी है. ऑपइंडिया ने दावा किया कि लाइव लॉ ने न केवल मामले के डिटेल्स के बारे में बल्कि मामले की सुनवाई करने वाले जज के बारे में भी गलत जानकारी प्रकाशित की – ‘विशेष रूप से जस्टिस बेला त्रिवेदी को निशाना बनाते हुए.’
प्रॉपगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया की कथित ‘एडिटर’ नूपुर झुनझुनवाला शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एमए राशिद के लाइव लॉ ने सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम की सुनवाई के बारे में फ़र्ज़ी खबर फैलाई, जस्टिस बेला त्रिवेदी को मामले में घसीटा जबकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.
MA Rashid’s LiveLaw spreads fake news about Sharjeel Imam hearing in SC, drags Justice Bela Trivedi in the case when she has nothing to do with it: Details
Here is how easy it was for @LiveLawIndia to publish the truth. They chose not to.
My report https://t.co/c0eGJEmZX3
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) October 23, 2024
एक अन्य ट्वीट में नूपुर शर्मा ने प्रूफ़ दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से दूसरी याचिका का एक स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए लिखा कि बेला त्रिवेदी का नाम कहां से आया.
Here is proof. All @LiveLawIndia, a supposed ‘law’ portal had to do was check Supreme Court listing. Where did Justice Bela Trivedi’s name come from? Was it fed up Kapil Sibal? Or someone else? And how did LiveLaw conclude it’s a bail hearing when it’s not? https://t.co/SCIj0kV1kF pic.twitter.com/NxdD0qpdRO
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) October 23, 2024
फ़ैक्ट-चेक
हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 22 अक्टूबर 2024 का डेली कॉज़ लिस्ट चेक किया. हमें इसमें 2 कॉज़ लिस्ट मिले:
1. मेन कॉज़ लिस्ट
2. सप्लीमेंट्री कॉज़ लिस्ट
हमने इन दोनों कॉज़ लिस्ट को चेक किया तो पाया कि दोनों में शरजील इमाम की पेटीशन लिस्टेड है. एक पेटीशन (डायरी नंबर 4730/2020) कोर्ट नंबर 2 में 22 अक्टूबर को जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार के पास लिस्टेड थी. इसी का ज़िक्र ऑपइंडिया ने किया है. जबकि दूसरे सप्लीमेंट्री कॉज़ लिस्ट में भी शरजील इमाम की पेटीशन लिस्टेड है, यह पेटीशन (केस नंबर 422/2024) कोर्ट नंबर 13 में 22 अक्टूबर को ही जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा के पास लिस्टेड थी. असल में यही वह केस था जिसके बारे में लाइव लॉ ने ट्वीट किया था. जबकि ऑपइंडिया ने पहले केस से जुड़ी जानकारी लिखते हुए लाइव लॉ की रिपोर्ट को फ़र्ज़ी बता दिया.
इस मामले में 22 अक्टूबर को ही कोर्ट नंबर 13 में जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने ऑर्डर दिया कि समय की कमी के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट ने मामले को 25 अक्टूबर 2024 को लिस्ट करने का ऑर्डर दिया. इससे ये साफ हो जाता है कि लाइव लॉ की रिपोर्टिंग पूरी तरह से तथ्यों पर आधातीत थी.
इस मामले पर लीगल रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ के मैनेजिंग एडिटर मनु सेबास्टियन ने ट्वीट करते हुए ऑपइंडिया के रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण, तथ्यात्मक रूप से गलत और अदालती कार्यवाही का ग़लत प्रस्तुतीकरण बताया. मनु अपने ट्वीट के थ्रेड में लिखते हैं कि ऑपइंडिया ने यह नहीं बताया कि शरजील इमाम की दोनों याचिकाएँ सुप्रीम कोर्ट में एक ही दिन अलग-अलग बेंचों के समक्ष सूचीबद्ध की गई थीं. उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना के समक्ष सूचीबद्ध याचिका के बारे में बात करके, एक गलत और भ्रामक कहानी पेश की कि जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच के समक्ष इमाम के मामले के बारे में लाइव लॉ के अपडेट झूठे थे. इतना ही नहीं, ऑपइंडिया ने लाइव लॉ के संस्थापकों में से एक की पहचान को चुनिंदा रूप से उजागर करके इसे एक सांप्रदायिक मोड़ देने की भी कोशिश की.
OpIndia @OpIndia_com has published an article written by its Chief Editor Nupur Sharma @UnSubtleDesi targeting LiveLaw @LiveLawIndia. The article is malicious, factually wrong & a blatant misrepresentation of the court proceedings, which can amount to contempt of court. Thread pic.twitter.com/7Rn7b8aAtP
— Manu Sebastian (@manuvichar) October 23, 2024
बाद में ऑपइंडिया ने अपना आर्टिकल पूरी तरह से अपडेट कर दिया. टाइटल में पहले लिखा था कि लाइव लॉ ने फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई और बेला त्रिवेदी को जानबूझ कर इस मामले में घसीटा जबकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं था. अपडेटेड टाइटल में ऑपइंडिया ने बेला त्रिवेदी का ज़िक्र हटा दिया.
इसके अलावा, ऑपइंडिया ने अपने पहले के आर्टिकल में लाइव लॉ के ट्वीट से 4 पॉइंट्स सामने रखकर इनमें से 3 पॉइंट्स को पूर्णतया फ़र्ज़ी ख़बर बताया था. अपने अपडेटेड आर्टिकल में ऑपइंडिया ने ये हिस्सा ही हटा दिया.
कुल मिलाकर, राइट-विंग प्रॉपगेंडा वेबसाइट ऑपइंडिया ने तथ्यों पर आधारित लाइव लॉ की रिपोर्टिंग को फ़र्ज़ी बताया और अपने कथित फ़ैक्ट-चेक में एक ही दिन सुप्रीम कोर्ट में लिस्टेड दूसरी याचिका के आधार पर दावा कर दिया कि लाइव लॉ की रिपोर्टिंग तथ्यों पर आधारित नहीं है.
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