कोरोना वायरस का संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ रहा है. इसी बीच कन्नडा चैनल ‘पब्लिक TV’ ने 14 मार्च को एक न्यूज़ बुलेटिन दिखाया. इसमें दावा किया गया कि कर्नाटका, भटकाल में चार मुस्लिम युवक दुबई से लौटे हैं और उन्होंने धार्मिक कारणों से कोरोना का टेस्ट करवाने से मना किया है. हालांकि, प्रसारण का वीडियो ऑफिशियल यूट्यूब चैनल से अब डिलीट कर दिया गया है मगर आप इसे नीचे देख सकते हैं.

वीडियो में एंकर बताती हैं -“कोरोना वायरस टेस्ट नहीं करवायेंगे. हमारे धर्म में टेस्ट करवाने की कोई जगह नहीं है. ये बात दुबई से लौटने वाले चार युवकों ने कही है कि वो कोरोना का टेस्ट नहीं करवायेंगे. ये लोग विदेश से भटकाल लौटे हैं. विदेश से लौटने के बाद जब उन्हें कोरोना वायरस का टेस्ट करवाने को कहा गया तब उन्होंने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि हमारे धर्म में टेस्ट करवाने की कोई जगह नहीं हैं.”

चैनल ने ये दावा, एक लोकल व्यक्ति के बयान के आधार पर किया. उस स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “ये लोग विदेश से लौटे हैं. जब हेल्थ ऑफ़िसर ने उनसे मुलाकात की तब वो उन पर चिल्लाने लगे.” इस बात पर एंकर ये कहती है कि इन चार लड़कों को हिरासत में लेकर इनका टेस्ट करवाना चाहिए.

दक्षिणपंथी वेबसाइट ‘ऑपइंडिया’ ने भी ऐसी ही ख़बर शेयर करते हुए ट्वीट किया, “इस्लाम इस बात की इजाज़त नहीं देता है. चार लड़कों ने विदेश से लौटने के बाद टेस्ट करवाने से किया इनकार.” ऑपइंडिया का ये आर्टिकल पब्लिक टीवी के प्रसारण पर आधारित था. लेकिन इस वीडियो के हटाए जाने के बाद भी ऑपइंडिया ने अपनी स्टोरी नहीं हटाई. उन्होंने आर्टिकल के अंत में एक अपडेट दे दिया कि हम इस ख़बर की वेरीफाई कर रहे हैं.

एक और दक्षिणपंथी वेबसाइट ‘माय नेशन’ ने भी ‘पब्लिक टीवी’ के प्रसारण के आधार पर एक रिपोर्ट शेयर की.

यही दावा महेश हेगड़े ने भी शेयर किया जो कि न्यूज़ ब्लॉग ‘पोस्टकार्ड’ के फ़ाउंडर हैं. कंचन गुप्ता ने ‘पब्लिक टीवी’ के प्रसारण को रीट्वीट करते हुए इन लड़कों के व्यवहार को “minorytism” बताया.

फ़ैक्ट-चेक

ये बात गौर करने लायाक है कि ये पूरा प्रसारण एक स्थानीय व्यक्ति के बयान पर आधारित है न कि हेल्थ ऑफ़िसर या ज़िला अधिकारी के बयान पर. इस पूरे शो में एक अनजान व्यक्ति का दावा है और उसके बाद एंकर को उन चार लड़कों की “गैर ज़िम्मेदाराना” हरकत पर आलोचना करने हुए देखा जा सकता है. आश्चर्य की बात ये है कि सांप्रदायिक एंगल की बात सबसे पहले एंकर करती है. वीडियो में स्थानीय व्यक्ति को उन लड़कों की धार्मिक पहचान या उनके टेस्ट न करवाने के बारे में बात करते हुए नहीं सुना जा सकता है.

इन सब के बाद ऑल्ट न्यूज़ ने इस बात की तह तक जाने की कोशिश की.

ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब पर भटकाल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट और असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा एक साथ की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक वीडियो मिला. वीडियो में वो बताते है कि भटकाल में कोरोना वायरस का कोई केस दर्ज़ नहीं हुआ है और इन अफ़वाहों के खिलाफ़ सख्ती से काम किया जाएगा.

ऑल्ट न्यूज़ ने उत्तर कन्नडा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट डॉक्टर हरीश कुमार के. से बात की. उन्होंने बताया कि उनके जिले में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है जिसमें चार लोगों ने दुबई से लौटने के बाद धार्मिक कारणों की वजह से टेस्ट करवाने से मना किया हो. उन्होंने कहा कि जो लोग विदेश से आए हैं, उनकी जांच शांतिपूर्वक हो रही है और सभी इस काम में अपना सहयोग कर रहे हैं.

उन्होंने बताया – “जो कोई भी पिछले 20 दिनों के अंदर ज़िले में आया है उस पर नज़र रखी जा रही है. हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी उनकी हर रोज़ जांच करते है और उनके शरीर के तापमान और अन्य लक्षणों को चेक करते है. जब लोग ये सोचते हैं कि उनके बीच में कोई वायरस से संक्रमित व्यक्ति मौजूद है और वो विदेश से यात्रा कर के लौटा है तो वो उसके खिलाफ़ विरोध करते है. इसके बाद लोग उस व्यक्ति को अस्पताल भेजने की बात करते है.” ऑफ़िसर ने बताया कि ये डर की वजह से हुआ है न कि किसी धार्मिक आशंका की वजह से. वो आगे बताते हैं – “हेल्थ कर्मचारी द्वारा मुझे अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है जिसमें किसी ने धार्मिक कारणों से टेस्ट करवाने से इनकार किया हो. लोग इस काम में पूरी तरह से सहायता कर रहे हैं. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होने के नाते मैं ये कह सकता हूं कि इसका सांप्रदायिक कारणों से कोई लेना-देना नहीं है.”

असिस्टेंट कमिश्नर एस भरत से हुई बातचीत में उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को फ़र्ज़ी बताया. उन्होंने कहा -“मैंने धार्मिक कारणों से टेस्ट करवाने से इनकार करने वाली ऐसी किसी भी घटना के बारे में नहीं सुना है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने भटकाल के एक सोशल वेलफ़ेयर संगठन ‘मजलिस इस्लाह वा तानज़ीम’ के प्रेसिडेंट सैयद परवेज़ से बात की. उनका संगठन ज़िला अधिकारियों के साथ मिल कर विदेशों से लौटने वाले लोगों की जांच करने में मदद करता है. उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ को बताया -“स्वास्थ्य विभाग यहां पर NGO के साथ मिलकर काम करते हैं. हमें विदेश से लौटने वाले लोगों की एक लिस्ट दी जाती है और हम उन सभी को चेक करते हैं. ऐसा भी एक केस था जिसमें घर का कोई व्यक्ति विदेश नहीं गया था मगर उनके परिवार में से कोई विदेश में गया था. टेस्ट करवाने की गंभीरता को न समझने के कारण ये लोग जांच करवाने में आना-कानी कर रहे थे. हमने उन्हें समझाया कि विदेश से लौटे लोगों के संपर्क में आने के कारण उनका भी ये टेस्ट करवाना ज़रूरी है. फिर उन्होंने बताया कि वो सुल्तानपुर में ही रहते हैं और वहां ऐसी कोई घटना दर्ज़ नहीं की गई है. मखदूम कॉलोनी में कुछ लोग बाहर से आए थे लेकिन उन सभी ने जांच में सहयोग किया है. भटकाल में ऐसा कोई भी मामला दर्ज़ नहीं किया गया है.

इस तरह, ‘पब्लिक टीवी’ के कर्नाटक के भटकाल में विदेशों से लौटे चार मुस्लिम लोगों द्वारा कोरोना का टेस्ट करवाने से मना करने का दावा गलत साबित होता है. ये दावा चैनल ने लोकल लोगों के बयान के आधार पर किया था. चैनल ने वहां के हेल्थ अफ़सरों से बात किये बगैर ही ये दावा प्रसारित किया. ऑल्ट न्यूज़ ने वहां के कई अधिकारियों से बात की और पाया कि ये दावा सरासर गलत है. पुलिस ने 14 मार्च को ही इस ग़लत जानकारी के बारे में बताया था. इसके बावजूद अगले ही दिन ‘ऑप इंडिया’ और ‘माय नेशन’ ने ये खबर प्रकाशित की. ये कोई पहली बार नहीं है कि ‘पब्लिक टीवी’ऑपइंडिया‘ और ‘माय नेशन’ ने गलत खबर शेयर की हो.

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