9 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में RG कर मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने CJI की अगुवाई वाली बेंच को सूचित किया कि जूनियर डॉक्टरों के काम बंद करने के विरोध के कारण 23 लोगों की जान चली गई. बेंच ने अपने आदेश में जूनियर डॉक्टरों को अगले दिन शाम 5 बजे तक अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने को कहा और राज्य सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया.

10 सितंबर को जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों के चार्टर के साथ दोपहर में सेक्टर V, साल्ट लेक में स्वास्थ्य भवन (राज्य स्वास्थ्य विभाग कार्यालय) तक मार्च किया. समाज के अलग-अलग क्षेत्रों के लोग एकजुटता के साथ इस मार्च में शामिल हुए.

इस संदर्भ में एक युवती के इंटरव्यू की वीडियो क्लिप वायरल हुई है. क्लिप में ABP न्यूज़ की पत्रकार पूछती है कि किस कारण से वो जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई है. महिला ने जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को अपने काम पर वापस जाने के लिए कहा है क्योंकि उनके काम बंद करने के कारण कई लोगों की जान चली गई है. वो आगे कहती हैं कि उन्हें ये एकतरफा तर्क लगता है. फिर वो कहती हैं, ”ये सच है कि लोगों की जान गई है. लेकिन लोग हर दिन मरते हैं – इसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. इस पॉइंट पर, वीडियो को साफ तौर पर एडिट किया गया है और – लोग हर दिन मरते हैं – वाली लाइन को धीमा कर दिया गया है और इसे दोहराया गया है.

वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि इसमें दिख रही युवती एक डॉक्टर है जो स्वीकार करती है कि जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के कारण लोग मर रहे हैं और उसे इससे कोई परेशानी नहीं है.

वेरिफ़ाईड एक्स यूज़र संघमित्रा बंधोपाध्याय (@SanghamitraLIVE) ने वीडियो ट्वीट किया और लिखा, “वो एक डॉक्टर है जो मान रही है कि जूनियर डॉक्टरों के विरोध के कारण लोगों की मौत हो रही है. उसे इससे कोई दिक्कत नहीं है.”

इस आर्टिकल के लिखे जाने तक ट्वीट को 16 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया है.

एक अन्य X यूज़र, स्पंदन गेन (@GainSpananLIVE) ने भी इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया है. ये खुद को पत्रकार बताते हैं.

X यूज़र सौविक रॉय चौधरी  (@SRC_Offic) ने ये वीडियो शेयर किया और डॉक्टर का लाइसेंस रद्द करने की मांग की.

फ़ैक्ट-चेक

हमने देखा वीडियो में चैनल का लोगो माइक पर दिखाई दे रहा है. इसके बाद हमने एबीपी आनंद के इस इंटरव्यू में दिख रही युवती की पहचान की. इनका नाम देबोप्रिया बंद्योपाध्याय है. और ये एक डॉक्टर नहीं बल्कि एक थिएटर कलाकार और कलकत्ता विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा है जहां से उसने MA की डिग्री हासिल की. नीचे देबोप्रिया की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल का स्क्रीनशॉट है:

हमने ये भी देखा कि देबोप्रिया ने खुद फ़ेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया था जिसमें कहा गया था कि उसे ग़लत तरीके से कोट किया गया था. पोस्ट में लिखा है कि टीवी चैनल को दिए गए उसके बयान का एक हिस्सा काट दिया गया था और इसे संदर्भ से हटाकर शेयर किया गया था. फ़ेसबुक पोस्ट में उसने @SanghamitraLive के ट्वीट का स्क्रीनशॉट अटैच किया.

फिर हमने साल्ट लेक में 10 अगस्त के प्रदर्शन का ABP आनंद का कवरेज देखा जिससे हमें असली क्लिप मिली. इसमें पत्रकार संदीप सरकार को देबोप्रिया का इंटरव्यू करते देखा जा सकता है.

बातचीत इस प्रकार है:

पत्रकार: आप कौन से अस्पताल से हैं?

देबोप्रिया: मैं एक नागरिक हूं, डॉक्टर नहीं.

पत्रकार: ठीक है. तो, आप डॉक्टरों के जुलूस में शामिल होना चाहते हैं?

देबोप्रिया: हां, निश्चित रूप से.

पत्रकार: आज स्वास्थ्य भवन के सामने डॉक्टरों के विरोध अभियान में आपकी भागीदारी और समर्थन के क्या कारण हैं?

देबोप्रिया: कल सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को जल्द ही अपने काम पर वापस लौटने को कहा क्योंकि उनके काम बंद करने के विरोध के कारण लोगों की जान जा रही है. ये एकतरफ़ा तर्क है. ये सच है कि लोग अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन इस फ़ैक्ट पर भी विचार करना होगा कि लोग हर दिन मर रहे हैं. क्या ये सभी मौतें जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण हुईं? अगर 7,300 जूनियर डॉक्टरों ने काम करना बंद कर दिया है तो क्या बाकी सभी डॉक्टर काम नहीं कर रहे हैं? वे निश्चित रूप कर रहे हैं. इसके अलावा, ऐसी जानकारी है कि RG कर में चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं. इसलिए, हम इस एकतरफा सोच को स्वीकार नहीं करेंगे.

यानी, ये साफ़ है कि बातचीत का बाद वाला हिस्सा एडिट किया गया था. इतना ही नहीं, शुरुआत में ही देबोप्रिया ने साफ कर दिया कि वो डॉक्टर नहीं, बल्कि एक आम नागरिक हैं. ये हिस्सा भी एडिट कर दिया गया.

हमने देबोप्रिया से भी बात की. उसने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “उन 23 मौतों में से सभी दुर्भाग्यपूर्ण और हृदय विदारक है. मैंने बस ये बात कही कि ये दावा करने से पहले किसी तरह का वेरिफ़िकेशन होना चाहिए कि ये सभी मौतें जूनियर डॉक्टरों द्वारा काम बंद करने के कारण हुईं. इसे पूरी तरह सच्चाई माना जा रहा है और इसके आधार पर जूनियर डॉक्टरों के विरोध को बदनाम किया जा रहा है. कोई ये कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि सिर्फ डॉक्टरों का विरोध ही उन मौतों का कारण बना? मेरे बयान को एडिट किया गया, तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और इस तरह से पेश किया गया जो एक विशेष एजेंडे के अनुकूल हो.”

कुल मिलाकर, ये साफ़ है कि डॉक्टरों की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए शेयर किया जा रहा वीडियो एडिटेड और भ्रामक है. वायरल वीडियो क्लिप में दिख रही युवती कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि एक स्टेज ऐक्टर है. एक टीवी चैनल को दिए गए उसके बयान का एक हिस्सा बिना संदर्भ के शेयर किया जा रहा है.

अंकिता महालनोबिश ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: