यह खबर आने पर सोशल मीडिया पर काफी विवाद हो गया कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर में अपनी यात्रा के दौरान गैर-हिंदू के रूप में हस्ताक्षर किये। इस खबर को मूल रूप से जी गुजराती द्वारा प्रकाशित किया गया जिसके बाद इसके पत्रकार तेजस मोदी ने इस पर ट्वीट किया और तबसे यह विवाद शुरू हो गया। तेजस मोदी के ट्वीट में दावा किया गया, “Hकांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सोमनाथ मंदिर गए। मंदिर ट्रस्ट के गैर-हिंदूओं वाले रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये। अहमद पटेल ने भी एंट्री दर्ज की। (अनुवाद)”
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस ट्वीट को लपक लिया और कुछ ही पलों में बीजेपी का समर्थन करने वाले कई दूसरे ट्विटर हैंडल ने इसे वायरल कर दिया।
Ambassador Meera Shankar, UPA’s representative in US, had referred to Sonia Gandhi as a Christian leader. The reference was soon deleted. Now Rahul Gandhi declares he is a non-Hindu but their election affidavits claim that they are Hindus. Gandhis lying about their faith? pic.twitter.com/iFE4AhVnRM
— Amit Malviya (@malviyamit) November 29, 2017
टीवी न्यूज़ चैनलों ने भी यही काम किया। जी न्यूज़ ने हैशटैग #RahulHinduVivad के साथ इस शीर्षक से स्टोरी चलाई, “राहुल को हिंदू होने का गर्व नहीं?” जबकि रिपब्लिक टीवी ने हैशटैग #RahulHinduorCatholic चलाया और प्रश्न पूछे जैसे “जब आप 27 वर्ष के थे तो न्यूयार्क टाइम्स ने आपको कैथोलिक बताया था। क्या आपने उन्हें सुधार करने के लिए कहा?” और “क्या आपने न्यूयार्क टाइम्स द्वारा रोमन कैथोलिक के रूप में अपना वर्णन स्वीकार करने के बावजूद, वर्ष 2012 में अपने को ‘ब्राह्मण’ कहा? अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग परिचय?” (अनुवाद)। टाइम्स नाउ ने रात 8 बजे से 9 बजे के बीच हैशटैग #RagaSomnathSelfGoal के साथ एक प्राइम टाइम डिबेट चलाई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे अपने मुख्यपृष्ठ की पहली खबर बनाया।
हस्तलेखन विश्लेषण
किसी लिखित टैक्स्ट को किसी व्यक्ति से जोड़ा जा सकता है या नहीं जोड़ा जा सकता है, यह निश्चित करने का सबसे आसान तरीका हस्तलेखन विश्लेषण करना है। इस तकनीक का उपयोग व्यापक रूप से पूरी दुनिया में फोरेंसिक संस्थाओं द्वारा किया जाता है। यह ध्यान में रखते हुए कि राहुल गांधी ने विभिन्न आयोजनों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया है, गूगल पर एक सामान्य खोज से उनके कई हस्तलिखित नोट्स सामने आ जाते हैं। आइए इन कुछ सैम्पल पर नजर डालें और इनकी तुलना सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर में की गई उस एंट्री से करें जिसे चारों तरफ फैलाया जा रहा है।
उपरोक्त फोटो से साफ तौर पर दिखाई देता है कि राहुल गांधी के हस्तलेखन के नमूने सार्वजनिक वेबसाइटों पर मौजूद हैं जो रजिस्टर के उस हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते हैं जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि यह सोमनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान उनके द्वारा की गई एंट्री है।
असल में, अगर “राहुल गांधी जी” और “अहमद पटेल” की प्रविष्टियों से मिलती-जुलती दो पंक्तियों के हस्ताक्षर की तुलना की जाए तो यह पता चलता है कि ये दोनों पंक्तियाँ किसी एक ही व्यक्ति ने लिखी हैं।
साथ ही, अहमद पटेल के नाम की वर्तनी भी “Ahemad Patel” के तौर पर गलत लिखी गई है जबकि राहुल गांधी को “Rahul Gandhiji” लिखा गया है। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि श्री अहमद पटेल द्वारा अपने ही नाम की गलत वर्तनी लिखी जाए या कांग्रेस उपाध्यक्ष अपने नाम को “राहुल गांधी जी” के रूप में लिखेंगे।
हस्तलेखन के आसान विश्लेषण से स्वाभाविक रूप से पता चलता है कि श्री राहुल गांधी ने स्वयं अपना नाम नहीं लिखा था। यह ध्यान में रखते हुए कि बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय एक पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए एक एजेंडे पर काम कर रहे हैं और कई बार गलत सूचना फैलाते हुए पकड़े जा चुके हैं (1, 2, 3, 4, 5), उनकी कारगुजारी समझी जा सकती है लेकिन कई सारे समाचार संस्थानों को यह सामान्य विश्लेषण करने से कौन रोक रहा है?
कांग्रेस पार्टी का स्टैंड
कांग्रेस पार्टी ने तेजी से प्रतिक्रिया दी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता ने मूल दस्तावेज प्रस्तुत किये जिसमें सोमनाथ मंदिर की विजिटर बुक में राहुल गांधी के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि राहुल गांधी को वह रजिस्टर कभी नहीं दिया गया जिसके बारे में यह दावा किया गया कि उन्होंने स्वयं के हस्ताक्षर एक गैर-हिंदू के रूप में किये थे।
Rahul ji made an entry into the visitor's book, The signature which is being talked of is different,neither it is the signature of Rahul Gandhi nor was this register ever given to him: RS Surjewala,Congress pic.twitter.com/8w6hkKxRHQ
— ANI (@ANI) November 29, 2017
कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह ट्वीट किया।
Clarification: There is only one visitor's book at Somnath Temple that was signed by Congress VP Rahul Gandhi. Any other image being circulated is fabricated.
Desperate times call for desperate measures? pic.twitter.com/KOokFOH83z
— Congress (@INCIndia) November 29, 2017
ऑल्ट न्यूज़ ने दिव्या स्पंदन से बात की जो कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया और डिजिटल कम्यूनिकेशन इंचार्ज हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी के मीडिया संयोजक, मनोज त्यागी को रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था ताकि कांग्रेस दल के साथ जा रहे मीडिया कर्मी मंदिर के परिसर में प्रवेश कर सकें। दिव्या ने यह भी बताया कि “राहुलगांधी जी और अहमद पटेल” जैसी एंट्री उस समय नहीं थीं जब श्री त्यागी ने रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये थे और इन एंट्री को बाद में जोड़ा गया है। श्री त्यागी से इस बात की पुष्टि करने हेतु संपर्क करने की कोशिश ऑल्ट न्यूज़ ने की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
कुछ और हस्तलेखन विश्लेषण
क्या विजिटर बुक की वह हैंडराइटिंग राहुल गांधी के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हस्तलेखन नमूनों से मेल खाती है जिसके बारे में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की सोमनाथ मंदिर की वास्तविक एंट्री होने का दावा कर रही है? हमने नये और पिछले नमूनों की छवियों को आमने-सामने रखा और पाया कि यह हस्तलेखन मेल खाता है।
दिव्या स्पंदन का यह तर्क कि “राहुल गांधी जी” और “अहमद पटेल”h के नाम श्री त्यागी ने स्वयं नहीं लिखे थे, इस बात का संकेत एंट्री के तिथि वाले खंड और मोबाइल फोन नंबर की संख्याओं के अलग-अलग शैलियों में लिखे होने से भी मिलता है जिन्हें श्री त्यागी ने स्वयं अपने हस्ताक्षर के नीचे लिखा था।
मीडिया फॉलो-अप
फर्स्टपोस्ट ने सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के सचिव श्री पीके लहरी से बात की जिन्होंने यह बताया कि राहुल गांधी ने केवल विजिटर बुक पर हस्ताक्षर किये थे और किसी भी अन्य जगह पर हस्ताक्षर नहीं किये, यह बात कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से मेल खाती है।
गुजरात चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, यह साफ तौर पर देखा जा रहा है कि राज्य के सामने मौजूद असली मुद्दों से ध्यान हटाकर जनमानस को भटकाने का निर्लज्ज प्रयास चल रहा है जिसमें ओझेपन से चीजें संचालित की जाती हैं। साथ ही धर्म को लगातार संदर्भ में रखते हुए सांप्रदायिक मुद्दे पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का एक संगठित प्रयास भी दिखाई दे रहा है। मुख्यधारा का मीडिया और खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसे विषयों पर अपनी अथक कवरेज के माध्यम से इस प्रयास में बराबर का भागीदार बना हुआ है। सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर में राहुल गांधी की एंट्री पर हुए विवाद से एक बार फिर जनता की आम राय का ध्यान भटकाने की कोशिश सामने आती है और यह भारतीय राजनीति पर एक दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी है।
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