26 नवंबर, को दैनिक जागरण, दैनिक भास्‍कर, अमर उजाला और जनसत्ता ने एक वीडियो के आधार पर एक स्‍टोरी चलाई जिसमें दावा किया गया कि गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में AIMIM की रैली में ‘पाकिस्‍तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए। इसके बाद इस रैली का वीडियो वायरल हो गया। सोशल मीडिया पर व्‍यापक रूप से साझा की गई इस क्लिप में मोटरसाइकिल पर सवार AIMIM के कार्यकर्ता नारे लगाते दिख रहे हैं जो जनसत्ता और अमर उजाला के अनुसार ‘पाकिस्‍तान जिंदाबाद’ जैसे सुनाई दिए। अमर उजाला ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए दर्शकों को यह भी कहा कि इस रैली में भाग लेने वाले लोगों की पहचान करके इस बारे में पुलिस को सूचित करें।

This is horrifying as this is not happening in pakistan, its India and the constituency of Owaisi.

Posted by Ajit Kumar Doval on Sunday, 26 November 2017

दैनिक भास्‍कर की हेडलाइन कहती है, ”गाजियाबाद में AIMIM कैंडिडेट की रैली में लगा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे, वीडियो वायरल’ जबकि जागरण ने इसी शीर्षक के साथ यह स्‍टोरी चलाई, ”गाजियाबाद में AIMIM प्रत्याशी की रैली में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे।”

इस स्‍टोरी की सच्‍चाई की पुष्टि करने के लिए, ऑल्‍ट न्‍यूज़ ने साहिबाबाद डिवीजन, गाजियाबाद के एसएचओ से बात की जिन्‍होंने कहा कि रैली में कोई भी पाकिस्‍तान समर्थक नारे नहीं लगे थे। उन्‍होंने बताया कि, ”मैंने ऑडियो की आवाज सुनी है। ऐसा कोई नारा नहीं लगा था। कार्यकर्ता स्‍थानीय AIMIM प्रत्‍याशी हाजी शाहिद के पक्ष में नारे लगा रहे थे। हालांकि, फिलहाल जाँच चल रही है।”

ऑल्‍ट न्‍यूज़ ने AIMIM के गाजियाबाद यूनिट प्रमुख, परवेज पाशा से भी बात की जिन्‍होंने पुष्टि की कि नारे हाजी शाहिद के समर्थन में लगे थे। स्‍वयं हाजी शाहिद ने ऑल्‍ट न्‍यूज़ के साथ बातचीत में पुष्टि की कि कार्यकर्ताओं ने ‘हाजी जीशान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए थे। हाजी जीशान उस इलाके के एक दुकानदार हैं जहाँ से यह रैली गुजर रही थी। AIMIM के उत्‍साही समर्थकों ने ‘हाजी जीशान जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए जिन्‍हें ‘हाजी शान जिंदाबाद’ के रूप में सुना जा सकता है। इसी नारे को ‘पाकिस्‍तान जिंदाबाद’ के नारे के तौर पर जानबूझकर गलत मंशा के साथ पेश किया गया। जबकि वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मोटरसाइकिल सवार कार्यकर्ताओं के हाथ में तिरंगा और AIMIM का झंडा था। इस भड़काऊ लेख को बाद में अमर उजाला ने तो अपनी वेबसाइट से हटा लिया लेकिन बाकी समाचारपत्रों ने इस खबर को यथावत पहले जैसा बनाए रखा।

यह समाचार उन शरारतपूर्ण रिपोर्टों के केवल एक दिन बाद आया जिनमें दावा किया गया था कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में ‘हाफ़िज सईद जिंदाबाद’ के नारे लगे थे। ऑल्‍ट न्‍यूज़ ने इस अफवाह का पर्दाफाश किया था जिसे यहाँ पढ़ा जा सकता है।

एक ऐसे वीडियो के आधार पर तनाव और नफरत पैदा करने का सोचा-समझा प्रयास किया गया जिससे छेड़छाड़ भी नहीं की गई थी। क्‍या यह राज्‍य में हाल में संपन्‍न हुए स्‍थानीय निकाय चुनावों को ध्‍यान में रखते हुए सांप्रदायिक मुद्दे को गरमाये रखने के लिए कुटिल तत्‍वों द्वारा अपनाई गई एक सुनियोजित रणनीति थी?

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