30 नवम्बर को टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने एक वीडियो रिपोर्ट में बताया कि किसान प्रदर्शन के दौरान गाज़ीपुर में बिरयानी बांटी जा रही है. गाज़ीपुर UP-दिल्ली का बॉर्डर है जहां किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि इस वीडियो में खाने की जो भी चीज़ है, उसे बिरयानी तो नहीं कहा जा सकता मगर हां, पुलाव की याद ज़रूर आती है. इस वजह से टाइम्स ऑफ़ इंडिया की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना भी हुई. इसके बाद 1 दिसम्बर को कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने पत्रकार रवीश कुमार की एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया कि वो एक पार्टी के बैनर तले बिरयानी के लिए पद यात्रा करते हुए नज़र आये. पार्टी के बैनर तले का मतलब यहां तस्वीर में दिख रहे AIKS यानी ऑल इंडिया किसान सभा के झंडों से है जो CPIM की किसान विंग है. ये तस्वीर 11 हज़ार की फ़ॉलोअर्स रखने वाले @reaal_sachin नाम के एक यूज़र ने शेयर करते हुए ये दावा किया है. (ट्वीट का आर्काइव)
फ़ेसबुक पर भी कुछ यूज़र्स ये तस्वीर शेयर करते हुए यही दावा कर रहे हैं. एक यूज़र ने रवीश कुमार का मज़ाक उड़ाते हुए लिखा है, “चलो जल्दी बिरयानी उधर मिल रही है.”
चलो जल्दी बिरयानी उधर मिल रही है 🤣 pic.twitter.com/8WKsdcWbfH
— 𝑯𝒂𝒓𝒅𝒊𝒌 𝑩𝒉𝒂𝒗𝒔𝒂𝒓 (@Bittu_Tufani) December 1, 2020
अगस्त महीने में भी इस तस्वीर को शेयर करते हुए एक यूज़र ने लिखा था, “अरनब गोस्वामी BJP के पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं.” इस ट्वीट को 3400 लाइक्स मिले थे.
Arnab Goswami is biased towards BJP. pic.twitter.com/oTyJ9psp8y
— Liberal Slayerr (@liberal_slayerr) August 3, 2020
फ़ैक्ट-चेक
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने से 2018 के कुछ ट्वीट्स में ये तस्वीर मिलती है. मतलब ये हाल की तो बिलकुल भी नहीं है. नवम्बर, 2018 के इस ट्वीट में बताया गया है कि रवीश कुमार किसान रैली को कवर कर रहे थे.
NDTV Ravish Kumar Covering Kisan Rally !!!! @ravishndtv pic.twitter.com/Pa25Mr5TFq
— Shilpa Bodkhe (@BodkheShilpa) November 30, 2018
इन तस्वीरों में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के लाल झंडे दिख रहे हैं जिसपर AIKS यानी ऑल इंडिया किसान सभा लिखा हुआ है. इस आधार पर जब हमने की-वर्ड्स सर्च किया तो 29 नवम्बर, 2018 को अपलोड किया गया NDTV का एक ब्रॉडकास्ट मिला. NDTV के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “अपनी विभिन्न मांगों को लेकर देश के कई राज्यों के किसान (Kisan Mukti March) दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे हैं. क़र्ज़ से पूरी तरह मुक्ति और फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवज़ा जैसी प्रमुख मांगें हैं. ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर लाल टोपी पहने और लाल झंडा लिए किसानों ने ‘अयोध्या नहीं, क़र्ज़ माफ़ी चाहिए’ जैसे नारे लगाए.”
यानी, 2018 की तस्वीर, जिसमें रवीश कुमार ने किसानों के प्रदर्शन को कवर किया था, उसे अभी उनका मज़ाक उड़ाने के लिए शेयर किया जा रहा है. देश में किसी प्रदर्शन या इवेंट को कवर करना एक पत्रकार की ज़िम्मेदारी होती है. ऐसे में उसकी चलती फिरती तस्वीरें खींच कर उसे उस प्रदर्शन का समर्थक बताना कहीं से सही नहीं है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी पत्रकार का इस तरह से मज़ाक उड़ाया गया हो. इससे पहले पत्रकार अंजना ओम कश्यप की भी एक ऐसी तस्वीर शेयर की गयी थी जिसमें उन्हें BJP के झंडे के साथ देखा गया था.
Anjana Om Kashyap of AAJTAK with BJP Leaders waving victory sign. Media is really unbiased!!! #AAPVision4Delhi pic.twitter.com/sScJsQR2Sc
— Abinash Mishra (@Abinash_2K) January 22, 2015
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