अप्रैल 2022 में ट्विटर ने ये घोषणा की थी कि कंपनी के अधिकार के लिए टेक प्रमुख एलन मस्क की 44 अरब डॉलर की पेशकश को स्वीकार कर लिया जिसके बाद ये एक प्राइवेट कंपनी बन जाएगी. इससे एक महीने पहले, एलन मस्क ने सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) फ़ाइलिंग के दौरान कंपनी में एक बड़ी हिस्सेदारी का खुलासा किया था. शुरुआत में कंपनी ने घोषणा की थी कि एलन मस्क बोर्ड में शामिल होंगे. लेकिन मस्क ने कथित तौर पर मना कर दिया था.
बाद में उन्होंने 44 बिलियन डॉलर में कंपनी खरीदने की पेशकश की जो उनकी ‘बेस्ट एंड फ़ाइनल’ ऑफ़र थी. अगले कुछ दिनों में एलन मस्क और ट्विटर के बीच समझौता हो गया. हालांकि, 13 मई को एलन मस्क ने ट्वीट किया कि ट्विटर पर बॉट और स्पैम एकाउंट्स के बढ़ोतरी से संबंधित मामले की वजह से ये सौदा रोक दिया गया था. कुछ घंटों बाद उन्होंने ट्वीट किया कि वो “अभी भी अधिकार पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
आखिरकार अक्टूबर के आखिर में ये अधिग्रहण पूरा हुआ. लेकिन एलन मस्क द्वारा वाकई में ट्विटर पर अधिकार पाने तक ये नाटक बड़ा अजीब था. इसमें एलन मस्क के अधिकार वाले ट्विटर के पास पेश करने के लिए अजीबोगरीब पॉलिसी मूव्स और फ्री स्पीच के दावे थे जो खुद ट्विटर के लिए पूरी तरह से हानिकारक हो सकते थे. और रैंडम मूव्स थे जो कि या तो एलन मस्क की सनक पर वापस लुढ़क गए या बने रहे.
मॉडरेशन काउंसिल जो कभी थी ही नहीं
इस अधिग्रहण के बाद एलन मस्क के सबसे पहले ट्वीट्स में से एक उनका खुद का एक वीडियो था जिसमें वो सिंक लेकर ट्विटर मुख्यालय में चल रहे हैं. उसी दिन, उन्होंने ऐडवरटाइज़र्स को एक ओपन लेटर लिखा जिसमें कहा गया, “सभ्यता के भविष्य के लिए एक आम डिजिटल टाउन स्क्वायर होना महत्वपूर्ण है जहां हिंसा का सहारा लिए बिना, स्वस्थ तरीके से विश्वासों की एक विस्तृत रेंज पर बहस की जा सके. वर्तमान में बड़ा खतरा है कि सोशल मीडिया फ़ार राईट विंग और फ़ार लेफ़्ट विंग के इको चैम्बर में बिखर जाएगा जिससे नफ़रत पैदा होती है और ये हमारे समाज को बांटते हैं.”
28 अक्टूबर को एलन मस्क ने ये घोषणा की कि ट्विटर में एक मॉडरेशन काउंसिल होगी और “इस काउंसिल से पहले कोई बड़ा कंटेंट डिसीज़न या अकाउंट बहाली नहीं होगी.” विडंबना ये है कि पदभार ग्रहण करने के बाद एलन मस्क द्वारा किए गए पहले निर्देशों में से एक बेबीलोन बी की बहाली थी. ये एक व्यंग्यात्मक साइट थी जिसे एक ट्रांस-विरोधी ट्वीट के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. एक महीने बाद, बेबीलोन बी, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कई अन्य हस्तियों का ट्विटर पर वापस स्वागत किया गया.
इस बीच, मॉडरेशन काउंसिल कभी हुआ ही नहीं जिसका वादा किया गया था. एक ट्वीट का जवाब देते हुए, एलन मस्क ने कहा कि मॉडरेशन काउंसिल इस फ़ैक्ट पर आधारित थी कि ‘राजनीतिक/कार्यकर्ता’ का ग्रुप इस पर सहमत हुआ था कि ऐडवरटाइज़र्स को ट्विटर छोड़ने के लिए प्रोत्साहित न किया जाये. एलन मस्क ने दावा किया कि ग्रुप ने ये सौदा तोड़ दिया था इसलिए काउंसिल कभी हुआ ही नहीं. CNBC से बात करते हुए इस गठबंधन के अलग-अलग सदस्यों ने भी इस तरह के सौदे से इनकार किया.
कंटेंट मॉडरेशन के बारे में एलन मस्क की समझ शायद उस वक्त स्पष्ट हो गई थी जब उन्होंने ‘ये’ (जिन्हें फ़ॉर्मली कान्ये वेस्ट के नाम से जाना जाता है) के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया. इस म्यूज़िशियन का अकाउंट इसलिए सस्पेंड कर दिया था क्योंकि उन्होंने स्टार ऑफ़ डेविड के साथ स्वास्तिक की एक तस्वीर शेयर की थी. एक यूज़र को रिप्लाई देते हुए एलन ने लिखा, “मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की. इसके बावजूद उन्होंने फिर से हिंसा भड़काने के खिलाफ हमारे नियम का उल्लंघन किया. अकाउंट सस्पेंड कर दिया जाएगा.”
नाम न छापने की शर्त पर द वाशिंगटन पोस्ट से बात करने वाले दो पूर्व कर्मचारियों के मुताबिक, ‘ये’ के ट्वीट से हेटफ़ुल कंटेंट पर ट्विटर के नियमों का उल्लंघन हो सकता था, न कि हिंसा के लिए उकसाने के नियम का. उसी सप्ताह, एलन मस्क ने घोषणा की कि ट्विटर एक ट्विटर पोल के आधार पर सभी सस्पेंडेड एकाउंट्स को बहाल करेगा.
कुछ हफ्ते बाद, जब एलन मस्क ने इस मामले पर एक सर्वेक्षण (पोल) किया कि क्या उन्हें CEO का पद छोड़ देना चाहिए, तो उनके उत्साही समर्थकों ने सुझाव दिया कि ट्विटर चुनावों में ‘बॉट्स’ की भरमार हो सकती है, और सिर्फ ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबर्स को पॉलिसी-संबंधी निर्णयों में वोट देने की अनुमति दी जानी चाहिए. दिलचस्प बात ये है कि फ़ैक्ट ये है कि ट्विटर पोल में हेरफेर का खतरा पहले से ही पूर्व कर्मचारियों और शोधकर्ताओं ने उठाया था. बात ये है कि जब तक सर्वेक्षण (पोल) से अनुकूल परिणाम आ रहे थे तब तक इन मामलों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
जब एलन मस्क पोल्स के आयोजन में व्यस्त थे, भारत में 18 नवंबर को भाजपा समर्थक प्रचार चैनल सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने अपने 6,00,000 फ़ॉलोवर्स को एक अंतर्धार्मिक जोड़े की शादी के रिसेप्शन का इनवीटेशन कार्ड ट्वीट किया, इस तरह वेन्यू की जगह का खुलासा करना, युगल और उनके परिवारों को शारीरिक हिंसा के जोखिम में डालना, ट्विटर की पॉलिसी के उल्लंघन का एक स्पष्ट मामला था.
आखिरकार शादी का ये कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. ये ट्वीट अभी भी ट्विटर पर मौजूद है. सुरेश चव्हाणके को कभी किसी परिणाम का सामना नहीं करना पड़ा. दिलचस्प बात ये है कि लगभग एक महीने बाद, ट्विटर ने कई पत्रकारों के एकाउंट्स को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया. क्योंकि उन्होंने पॉपुलर जेट ट्रैकिंग अकाउंट ‘@ElonJet’ के बारे में रिपोर्ट या पोस्ट शेयर करके एलन मस्क की वास्तविक लोकेशन को ‘डॉक्स’ कर दिया था.
ग़लत सूचना, नफ़रत और धमकियों का प्रसार करें, सब कुछ ₹650 प्रति महीने में
ये शुरुआत से ही स्पष्ट था कि बहुत कम प्रमुख ट्विटर यूज़र ट्विटर ब्लू की सदस्यता लेने के दबाव में झुकेंगे. एलन मस्क के पदभार संभालने के बाद से फ़ीचर में फ्लिप-फ्लॉप, ट्विटर पर मजाक का विषय बना रहा. हाल ही में ये स्पष्ट हो गया कि सभी ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबरों में से आधे के 1 हज़ार से भी कम फॉलोवर्स थे (ये डेटा 20 अप्रैल, 2023 के लेगेसी ब्लू टिक पर्ज से पहले का है). इतना ही नहीं, ट्विटर पर हेटफ़ुल कंटेंट, कांस्पीरेसी थ्योरी और यहां तक कि डिनायलिस्म भी बढ़ गया है. (रिपोर्ट यहां, यहां और यहां देखी जा सकती हैं).
ऑल्ट न्यूज़ ने लगभग दो दर्ज़न ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबर एकाउंट्स की जांच की जिनके 10 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं और जो मुख्य रूप से भारत से संबंधित कंटेंट से जुड़े हुए हैं. हमने पाया कि इन एकाउंट्स ने न सिर्फ खतरनाक सांप्रदायिक ग़लत सूचनाओं को बढ़ाया बल्कि नियमित रूप से ट्रोलिंग, राजनीतिक प्रचार को भी बढ़ाया है, डॉक्सिंग करना और ऐसे कंटेंट शेयर किए जिसमें हाशिये पर रहने वाले समुदायों को रूढ़िबद्ध किया गया है. पिछले साल एक ट्विटर पोल के आधार पर दी गई ‘सामान्य माफी’ के कारण इनमें से कुछ एकाउंट्स को ट्विटर पर बहाल कर दिया गया है.
26 दिसंबर को ट्विटर द्वारा बहाल किए गए एकाउंट्स में से एक ‘@MrSinha_‘ नामक अकाउंट ने ट्विटर पर सक्रिय होने के चार दिनों के भीतर खतरनाक सांप्रदायिक ग़लत सूचना शेयर की थी. 30 दिसंबर को जब भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत एक घातक कार दुर्घटना का शिकार हुए, ‘@MrSinha_’ ने ट्वीट किया कि क्रिकेटर रोहिंग्या बहुल क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए थे और स्थानीय लोगों ने उनकी मदद करने के बजाय उनका सारा सामान लूट लिया और वहां से दूर भाग गए.
ये पूरी तरह से झूठ दावा था जैसा कि पुलिस ने एक वीडियो स्टेटमेंट में स्पष्ट भी किया गया था. दरअसल ऋषभ पंत को हरियाणा रोडवेज के बस संचालक सुशील कुमार और परमजीत नैन ने बचाया था. दोनों ने पुलिस से संपर्क किया था. उन्होंने ऋषभ पंत की जान बचाई और जब पैरामेडिक्स उन्हें ले जा रहे थे, उन्होंने उनका कीमती सामान उन्हें सौंप दिया.
इस यूज़र ने वापस प्लेटफॉर्म पर आने के बाद कई बार सांप्रदायिक और राजनीतिक ग़लत सूचनाएं शेयर की हैं जिन्हें आप आगे पढ़ सकते हैं: लिंक 1, लिंक 2, लिंक 3 और लिंक 4 पढ़ सकते हैं
इस साल मार्च में जब तमिलनाडु में प्रवासी संकट का मामला ग़लत सूचनाओं से भर गया, तो वेरीफ़ाईड ट्विटर ब्लू यूज़र मोहम्मद तनवीर, सोशल मीडिया पर आतंक फ़ैलाने वाले प्रमुख लोगों में से एक थे. इस यूज़र ने तीन ग्राफ़िक वीडियोज़ शेयर करते हुए दावा किया कि ये तमिलनाडु के विज़ुअल्स हैं जहां बिहारी प्रवासी मजदूरों को पीट-पीट कर मार डाला जा रहा है. ऑल्ट न्यूज़ ने तनवीर द्वारा शेयर की गई तीन में से दो क्लिप्स स्वतंत्र रूप से खारिज की. तमिलनाडु पुलिस ने भी इन दावों को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया था.
हरियाणा का एक गौरक्षक, मोनू मानेसर, जिस पर दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या का आरोप लगाया गया है और फिलहाल फरार है, भी एक वेरीफ़ाईड ट्विटर ब्लू यूज़र था, जब तक कि चीजें हाथ से बाहर नहीं निकलीं और उसके कथित कार्य सुर्खियों में नहीं आए. सुरेश चव्हाणके के मामले में जो हुआ ये उसका उलट है. सुरेश चव्हाणके ने एक अंतर्धार्मिक विवाह समारोह के पते को ट्वीट किया था. उन्होंने अपना ट्वीट नहीं हटाया क्योंकि इस मामले ने कभी अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान नहीं खींचा.
2021 में रितेश झा यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम करने के लिए फ़ेमस हुए थे. इस लाइव स्ट्रीम में चैनल के दर्शकों ने पाकिस्तानी महिलाओं को ‘रेट’ किया, उन्हें एक-दूसरे के सामने ‘नीलाम’ किया, और उनके रूप और कपड़ों पर अश्लील कमेंट्स पोस्ट किए. रितेश झा भी एक वेरिफ़ाइड ट्विटर ब्लू यूज़र में से एक थे. रितेश झा जिन्हें उपनाम ‘लिबरल डोगे’ से जाना जाता है, दो साल से ज़्यादा समय से यहां मौजूद हैं. साथ ही यही गिटहब ऐप ‘बुल्ली बाई’ और ‘सुल्ली डील’ के लिए प्रेरणा थे जिससे भारतीय मुस्लिम महिलाओं के ट्विटर एकाउंट्स की ऐसी ही नीलामी की गई थी.
नीचे ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबर के रूप में रितेश झा उर्फ़ लिबरल डोगे द्वारा किए गए कुछ ट्वीट्स और रिप्लाई का कोलाज दिया गया है.
उन्होंने हाल ही में एक वीडियो क्लिप भी शेयर की थी जिसमें एक नाबालिग का यौन उत्पीड़न होते देखा जा सकता है. इस क्लिप में एक टेक्स्ट है जिस पर लिखा है, “मदरसा में पढ़ाया जा रहा पाठ.” रितेश झा ने ट्विटर पर इस्तेमाल इस झूठे दावे को बढ़ाने के लिए भी किया कि बुलंदशहर में हाल ही में एक मुस्लिम व्यक्ति के घर में रासायनिक विस्फ़ोट हुआ था, जबकि इस दावे को पुलिस ने साफ़ तौर पर खारिज कर दिया था.
खुद को एक न्यूज़ एग्रीगेटर के रूप में बताने वाले, मेघ अपडेट्स नामक एक और अकाउंट को 12 जनवरी को बहाल कर दिया गया था. तब से इस अकाउंट ने कम से कम 10 बार ग़लत जानकारी शेयर की है.
इन एकाउंट्स की गतिविधियां सिर्फ ग़लत सूचना फ़ैलाने तक ही सीमित नहीं हैं. ये पत्रकारों और राजनेताओं को उनके पते पर आइटम्स भेजकर ट्रोल करना, परेशान करना और डराने की कोशिश भी करते हैं. कम से कम तीन अलग-अलग मौकों पर, ‘@Cyber_Hunts’ नाम के एक सशुल्क वेरिफ़ाइड यूज़र ने ऐसे ट्वीट्स किए हैं जिसमें वो कहता है कि वो अपने टारगेट को किराने का सामान भेज रहा है. उसके निशाने पर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल थे. (आर्काइव लिंक 1, लिंक 2 और लिंक 3)
इन एकाउंट्स ने डॉ B R अंबेडकर और पत्रकार दानिश सिद्दीकी को भी निशाना बनाया हैं. पत्रकार दानिश सिद्दीकी को तालिबान ने मार डाला था. और पैगंबर मुहम्मद और आइशा की AI-जनरेट की गई तस्वीरों को भी शेयर किया.
ऐसे ही एक अकाउंट ने ये झूठा दावा किया कि डॉ B R अंबेडकर ‘स्वतंत्र भारत के पहले बलात्कारी’ थे. इस दावे का आधार एक मीडियम पोस्ट है और कुछ नहीं. (आर्काइव)
भारत में पत्रकारों पर हमले
पत्रकार हमेशा ट्विटर पर अपशब्दों के निशाने पर रहे हैं, खासकर अल्पसंख्यक समुदायों से आने वाले. 2018 में एमेंस्टी इंटरनेशनल ने US और UK में 778 महिला पत्रकारों और राजनेताओं के बारे में पाया कि उन्हें भेजे गए 7.1% ट्वीट अपमानजनक या परेशान करने वाले थे. 2020 में एमेंस्टी इंटरनेशनल ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें उन्होंने 3 महीने की अवधि में 95 भारतीय महिला राजनेताओं का ज़िक्र करते हुए 1,14,716 ट्वीट्स का विश्लेषण किया. और ये पाया कि अध्ययन में 95 महिला राजनेताओं का ज़िक्र करने वाले 13.8% ट्वीट या तो ‘परेशान करने वाले’ या ‘अपमानजनक’ थे. अध्ययन में ये भी पाया गया कि मुस्लिम महिला राजनेताओं को अन्य धर्मों की महिला राजनेताओं की तुलना में 94.1% अधिक जातीय या धार्मिक अपशब्द कहे गए थे.
अनुचित और अपमानजनक कंटेंट का मुद्दा पुराने रेजिमी में मौजूद था. लेकिन एलन मस्क के अधिकार वाले ट्विटर में इन एकाउंट्स को न सिर्फ एक वेरीफ़ाईड टिक (जो अप्रूवल के मुहर की तरह दिखता है) दिया जाता है, बल्कि नए मालिक के दावों के मुताबिक उनके इंगेजमेंट्स को भी प्राथमिकता दी जाती है.
भारतीय मुस्लिम पत्रकार राणा अय्यूब, आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, मोहम्मद ज़ुबैर और एक रेडियो जॉकी सायमा, इन ट्रोल्स के सबसे पसंदीदा लोगों में से हैं. अय्यूब, जो अपनी इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग और कॉलम के लिए फ़ेमस हैं, नरेंद्र मोदी सरकार की मुखर आलोचक रही हैं. हाल के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि “अय्यूब पर किए गए सभी स्पष्ट एब्यूज में, 62% व्यक्तिगत हमले थे जिनमें सेक्सिस्ट, स्त्री विरोधी, यौन एब्यूज और नस्लवादी एब्यूज (जैसे ‘प्रोस्टीट्यूट’, ‘ISIS सेक्स स्लेव’, ‘जिहादी जेन’ आदि) शामिल थे. और 35% एक पत्रकार या कॉलमिस्ट के रूप में उनकी विश्वसनीयता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. शोध में ये भी कहा गया है कि “अय्यूब के सभी ट्वीट्स में से लगभग 42% अपमानजनक (एब्यूजिव) रिप्लाई आते हैं, ये एक काफी हाई रेट (42%) है, और एब्यूज की स्पीड काफी असामान्य है. कभी-कभी उसके पोस्ट के कुछ सेकंड के भीतर ही ऐसे रिप्लाई किए जाते हैं जो कि संभावित रूप से समन्वित अभियान का संकेत देती है.”
राणा अय्यूब ने शोधकर्ताओं को बताया कि न सिर्फ उनकी पत्रकारिता के लिए बल्कि उनकी आस्था के कारण भी उन पर हमले हो रहे थे, इसलिए उन्हें ‘एक मुस्लिम पत्रकार के रूप में’ अपना बचाव करना पड़ा. पत्रकार आरफ़ा ख़ानम शेरवानी और RJ सायमा ने जितना एब्यूज झेला है, वो भी लगभग राणा अय्यूब के बराबर ही है. इस साल फ़रवरी में राईट विंग इन्फ्लुएंसर ने 2020 के वक्ताओं की लिस्ट का एक पोस्टर शेयर करके कथित रूप से आरफ़ा के हार्वर्ड इंडिया सम्मेलन में वक्ता होने पर हंगामा खड़ा करने की कोशिश की. आरफ़ा ने 2023 के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया. यहां तक कि राइट विंग आउटलेट्स ने भी इस दावे को खारिज कर दिया. (आर्काइव)
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर उन कुछ मुस्लिम पुरुष पत्रकारों में से हैं जिन्हें लगातार ट्रोल किया जाता है. ऐसे वेरिफ़ाइड एकाउंट्स हैं जो उनके लगभग सभी ट्वीट्स पर गाली देने या धमकी देने का काम मैनेज करते हैं. जुबैर ने पिछले साल 23 दिन जेल में बिताए थे, जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें 2018 के एक ट्वीट के बिनाह पर गिरफ़्तार किया था. ट्वीट को एक गुमनाम शिकायतकर्ता ने ‘आपत्तिजनक’ पाया था. मार्च की शुरुआत में ऑल्ट न्यूज़ द्वारा तमिलनाडु में प्रवासी बिहारी श्रमिकों पर जानलेवा हमलों के बारे में एक दुष्प्रचार अभियान को खारिज करने के बाद, जुबैर को हिंदुत्व समर्थक प्रभावशाली लोगों से ऑनलाइन धमकियां मिलीं. नीचे कुछ वेरीफ़ाईड ट्विटर ब्लू यूज़र्स द्वारा इन पत्रकारों की लगातार ट्रोलिंग के स्क्रीनशॉट दिए गए हैं.
कम्युनिकेशन की एक स्पष्ट लाइन भी गायब है क्योंकि ट्विटर अब स्वचालित रूप से एक पूप इमोजी के साथ मीडिया के सवालों का जवाब देता है. अन्य कारक भी ये स्पष्ट करते हैं कि एक बहुत छोटी टीम डे टू डे मॉडरेशन कर रही है और कोई डायरेक्ट कम्युनिकेशन नहीं है जब तक कि ये कोई हंगामे का कारण न बने.
हाल ही में जब न्यूज़ एजेंसी ANI को ट्विटर ने बंद कर दिया था, तो संगठन के संपादक ने एलन मस्क को टैग करके इस बात की घोषणा करते हुए एक ट्वीट किया था. उसी शाम NDTV को ट्विटर द्वारा ‘ब्लॉक’ कर दिया गया और उन्होंने भी एलन मस्क को टैग करते हुए इसकी घोषणा की. दोनों हैंडल कुछ ही घंटों में बहाल कर दिए गए. ये काफी असामान्य था, क्योंकि इस तरह की ग़लती को ज़ल्दी से ठीक करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों के पास कॉनटेक्ट के लिए एक व्यक्ति होता है. ट्विटर 2.0 में शिकायतों को सीधे मालिक को टैग करके संबोधित किया जा सकता है. सिर्फ उन एकाउंट्स को ही इसका फायदा मिलता है जिनके फ़ॉलोवर्स की संख्या बड़ी हैं.
जब एलन मस्क ने पिछले साल ट्विटर संभाला, तो उन्होंने शिकायतों का जवाब देने के लिए अपने निजी एकाउंट्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. एक समय पर, उन्होंने अभ्यास को सामान्य करते हुए अपने ट्विटर बायो को ‘ट्विटर क्म्प्लेन हॉटलाइन ऑपरेटर‘ में बदल दिया. पिछली व्यवस्था में, यूज़र्स ने ट्विटर सपोर्ट अकाउंट और/या कुछ प्रमुख कर्मचारियों को टैग करके ट्विटर के बारे में मुद्दे उठाते थे. वर्तमान समय में उस व्यवस्थित दृष्टिकोण को खत्म कर दिया गया है. ट्विटर यूज़र्स के मामले में विश्व स्तर पर भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है और ये आश्चर्य की बात है कि इतने बड़े यूज़र आधार के संपर्क लिए एलन मस्क खुद ही वास्तविक संपर्क बिंदु हैं. भारत जैसे बाजार के लिए इस तरह का लापरवाह रवैया एलन मस्क के ट्विटर में सिर्फ नीतिगत पक्षाघात को बढ़ाता है.
1 मिलियन से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स वाले एक ट्विटर ब्लू यूज़र ने 30 अप्रैल रविवार को एक के बाद एक दो फ़िल्में अपलोड कीं. पहली फ़िल्म को हटाने में ट्विटर को तीन घंटे लगे और दूसरी फ़िल्म सात घंटे तक प्लेटफॉर्म पर मौजूद रही जिससे ये साफ़ हो गया ट्विटर वर्तमान में अवैध कंटेंट का पता लगाने और उसे हटाने में आश्चर्यजनक रूप से काफी धीमा है. एलन मस्क के अन्डर में ट्विटर चाइल्ड एब्यूज कंटेंट को रोकने के लिए भी संघर्ष कर रहा है, जबकि ये उनके द्वारा वादा की गई टॉप प्राथमिकताओं में से एक है. यहां तक कि AI स्पैम बॉट्स का एक नेटवर्क, चैट GPT का इस्तेमाल दक्षिणपूर्व एशिया में राजनीति को ट्वीट करने के लिए करता है, और क्रिप्टोकरेंसी तब तक रडार के अधीन रहा जब तक कि इस महीने की शुरुआत में एक शोधकर्ता द्वारा इसे हरी झंडी नहीं दी गई.
फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिज्म – शुरु से ही बनावटी
ट्विटर पर अधिकार पाने के बाद, एलन मस्क ने कुछ मुट्ठी भर पत्रकारों को ट्विटर के आंतरिक डॉक्यूमेंट तक एक्सेस दिया जिन्होंने ‘ट्विटर फ़ाइल्स’ पब्लिश की. ट्विटर फ़ाइल्स में साफ तौर पर मंच पर हो रहे पक्षपात, सरकारी हस्तक्षेप और सेंसरशिप का खुलासा किया गया था. इन प्रकाशनों के आधार पर, एलन मस्क ने पिछले नेतृत्व के अंदर मौजूद ट्विटर की पॉलिसी की खुले तौर पर आलोचना की. लगभग उसी वक्त, ‘सेंसरशिप’ की बात आने पर कई मौकों पर एलन मस्क ने अपनी स्थिति स्पष्ट की. दरअसल ट्विटर के अधिग्रहण के बारे में बातचीत के दौरान, एलन मस्क ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से उनका मतलब सिर्फ स्पीच से है जो कानून के अनुरूप हो. शुरू से ही ये साफ था कि कंटेंट मॉडरेशन के बारे में उनकी समझ में काफी भोलापन था और इससे भी जरूरी बात ये है कि वो बिना किसी चुनौती के किसी भी सरकारी अनुरोध का पालन करेंगे.
My commitment to free speech extends even to not banning the account following my plane, even though that is a direct personal safety risk
— Elon Musk (@elonmusk) November 7, 2022
इस साल जनवरी में BBC ने UK में अपनी दो-पार्ट की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पब्लिश की थी. इसमें 2002 के गुजरात हिंसा के दौरान नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में बताया गया था, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस डॉक्यूमेंट्री क्लिप के अनऑथोराइज्ड सर्कुलेशन की वजह से तेजी से इसने भारतीय दर्शकों ध्यान आकर्षित किया.
भारत सरकार ने एक आपातकालीन कानून लागू किया और यूट्यूब और ट्विटर को आदेश जारी कर मांग की कि वो डॉक्यूमेंट्री से संबंधित किसी भी कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म पर पब्लिश होने से रोकें. इस आदेश का पालन करते हुए, ट्विटर ने डॉक्यूमेंट्री के लिंक देने वाले दर्जनों ट्वीट्स को ब्लॉक कर दिया. एक यूज़र द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर, एलन ने ये कहते हुए जवाब दिया कि “मेरे लिए रातोंरात दुनिया भर में ट्विटर के हर पहलू को ठीक करना संभव नहीं है जहां अभी भी अन्य चीजों के साथ टेस्ला और स्पेसएक्स चल रहा है.”
फिर लगभग डेढ़ महीने बाद, ट्विटर ने भारत सरकार की लीगल रिक्वेस्ट के आधार पर भारत में पत्रकार, लेखक और राजनेताओं से संबंधित 122 एकाउंट्स को ब्लॉक कर दिया. इसके आलावा 23 मार्च को, 23 एकाउंट्स को लीगल डिमांड के आधार पर ट्विटर द्वारा ब्लॉक कर दिया गया था. 28 मार्च को BBC की पंजाबी न्यूज़ सर्विस को सरकारी रिक्वेस्ट के आधार पर भारत में कुछ घंटों के लिए ‘रोक’ दिया गया था. 7 अप्रैल को इनवेस्टिगेटिव पत्रकार सौरव दास ने ट्वीट किया कि गृह मंत्री अमित शाह के बारे में उनके एक ट्वीट को वैश्विक स्तर पर रोक दिया गया है. ये साफ़ तौर पर ट्विटर के लिए एक पहला कदम था जहां प्लेटफ़ॉर्म आम तौर पर सिर्फ उन ट्वीट्स को ब्लॉक कर रहा था जिसकी सरकार ने लीगल रिक्वेस्ट की थी.
My tweets have been withheld not just in India, but worldwide. I don’t remember the context of tweeting this, can anyone figure out? pic.twitter.com/lUwCfV1870
— Saurav Das (@OfficialSauravD) April 7, 2023
सरकार की रिक्वेस्ट का पालन करना ट्विटर की पिछली लीडरशिप में भी सामान्य ही था. लेकिन व्यापक अनुपालन न सिर्फ एलन के ‘फ्री स्पीच’ के प्रति प्रतिबद्धता बल्कि उस कल्चर का खंडन भी है जो पिछली प्रणाली द्वारा स्थापित की गई थी. उदाहरण के लिए, जुलाई 2022 में एलन मस्क के कार्यभार संभालने से लगभग तीन महीने पहले, ट्विटर ने भारत सरकार को उस कंटेंट की न्यायिक समीक्षा के लिए अदालत ले गई जिसे देश में ब्लाक करने के लिए कहा गया था. 12 अप्रैल 2023 को BBC के साथ एकइंटरव्यू के दौरान, ये स्पष्ट हो गया कि एलन मस्क के ट्विटर को ऐसा रास्ता अपनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारत के नियम ‘काफी सख्त’ थे और वो ट्विटर कर्मचारियों को जेल भेजने के जोखिम के बजाय सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन करेंगे.
इन सभी घटनाक्रमों के बीच, एलन मस्क ने 10 अप्रैल, 2023 को ट्विटर पर भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को फॉलो किया.
Elon Musk is now following Narendra Modi (@narendramodi)
— ELON ALERTS (@elon_alerts) April 10, 2023
वेरिफ़ाई करना है या नहीं करना है, ये सवाल है
ट्विटर पर एलन मस्क के अधिग्रहण की शुरुआत से ही ऐसा लगता है कि मेट्रिक्स और लेबल के स्पष्ट जुनून के अलावा, एक कंसिस्टेंट विज़न भी गायब है. एलन मस्क के तहत ट्विटर द्वारा लॉन्च किया गया पहला प्रोडक्ट, एक पेड-फॉर ब्लू वेरिफ़िकेशन मार्क, को कई सारे ग़लत सूचना फ़ैलाने वाले फर्जी वेरिफ़ाईड एकाउंट्स की वजह से लॉन्च के तुरंत बाद ही रोकना पड़ा. इसके बाद, ट्विटर ने उस डिवाइस को इंडीकेट करने वाले लेबल हटा दिए जिससे एक ट्वीट भेजा गया था क्योंकि उनके अनुसार ये “स्क्रीन स्पेस और कंप्यूट की बर्बादी” थी. फिर आख़िरकार ‘व्यू काउंट‘ बटन आया, हालांकि उन्होंने रीट्वीट और लाइक बटन के पोजीशन के साथ प्रयोग किया. उन्होंने कलर-कोडेड चेक मार्क भी पेश किए जिसमें पीले चेक मार्क कॉर्पोरेट एकाउंट्स को इंगित करते हैं. जबकि ग्रे चेक मार्क सरकारी अधिकारियों के एकाउंट्स को दिए गए हैं. “ऑफ़िशियल” नामक एक एडीशनल लेबल को किसी पॉइंट पर पेश किया गया था और ट्विटर ब्लू लॉन्च से कुछ घंटों के भीतर ही खत्म भी कर दिया गया था जिसमें यूज़र्स को नीले चेक मार्क के भुगतान के लिए आवेदन करने का विकल्प दिया गया था.
Update: It’s now gone https://t.co/5C0t7txi14
— Marques Brownlee (@MKBHD) November 9, 2022
पिछले साल अक्टूबर में एलन मस्क के ट्विटर के अधिग्रहण को विश्व स्तर पर राइट विंग के आंकड़ों से खुश किया गया था. कई प्रमुख रूसी और चीनी हस्तियों ने एलन मस्क को चुनौती दी कि वो अपने एकाउंट्स से लेबल हटाकर और ट्विटर पर उनकी विजिबलटी और पहुंच को सीमित करने वाली पॉलिसी को वापस लेकर फ्री स्पीच के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर खड़े उतरें. इस साल के अप्रैल में उनकी इन इच्छाओं वाले रिमार्क्स तब शुरू हुए जब एलन मस्क के ट्विटर ने नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) को ‘राज्य-संबद्ध मीडिया’ के रूप में लेबल किया जिसे बाद में NPR टेक रिपोर्टर बॉबी एलिन और एलन मस्क के बीच एक लंबे ईमेल एक्सचेंज के बाद ‘गवर्मेंट फ़ंडेड’ में बदल दिया गया. इस अवधि के दौरान, ट्विटर ने चीनी और रूसी प्रचार की पहुंच को सीमित करने के लिए बनाई गई पॉलिसियों को लागू करना भी बंद कर दिया.
New: while Twitter slapped a state-affiliated label on NPR, it’s stopped enforcing policies designed to limit the reach of Chinese and Russian propaganda https://t.co/nbxfDH2cUj
— Louise Matsakis (@lmatsakis) April 5, 2023
ट्विटर ने विकिपीडिया लिस्ट के आधार पर कई खातों को ‘सरकार द्वारा वित्तपोषित’ के रूप में विश्व स्तर पर लेबल करना जारी रखा जिनमें से कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (सीबीसी) था. संगठन ने तर्क दिया कि ये ‘70% से कम सरकार द्वारा वित्त पोषित’ था जिसके बाद ट्विटर ने इसे ‘69% सरकार द्वारा वित्त पोषित’ करार दिया. फर्जी लेबल को लेकर एनपीआर और सीबीसी दोनों ने ट्विटर का इस्तेमाल बंद कर दिया है.
Canadian Broadcasting Corp said they’re “less than 70% government-funded”, so we corrected the label pic.twitter.com/lU1EWf76Zu
— Elon Musk (@elonmusk) April 18, 2023
21 अप्रैल तक, ट्विटर ने रूस और चीन सहित सभी एकाउंट्स से लेबल हटा दिए. पूछताछ किए जाने पर, एलन मस्क ने संवाददाताओं से कहा कि एस्पेन इंस्टीट्यूट के पूर्व अध्यक्ष और CEO वाल्टर इसाकसन के एक सुझाव के आधार पर सभी मीडिया लेबल हटा दिए गए थे.
The labels on Twitter for state-backed media organizations from Russia and China appear to have disappeared pic.twitter.com/dLNWHbA5QU
— Louise Matsakis (@lmatsakis) April 21, 2023
राज्य-नियंत्रित मीडिया को अचानक प्लेटफॉर्म पॉलिसी में बदलाव की घोषणा के बिना ट्विटर गेन्स का अनुभव होने की खबर आई, और DFR लैब की रिसर्च ने इसकी पुष्टि की. ट्विटर ने 20 अप्रैल, 2023 को सभी लीगेसी वेरिफ़ाईड एकाउंट्स को हटा दिया. इस बदलाव का लाभ उठाते हुए, कुछ ही घंटों के भीतर, ट्विटर ब्लू की सदस्यता लेने वाले एक फ़ेक एकाउंट ने सूडान के नियंत्रण के लिए लड़ने वाले अर्धसैनिक समूह का प्रतिनिधित्व करने का झूठा दावा ट्वीट किया कि उसका नेता लड़ाई में मारा गया था. एक वेरिफ़ाईड ट्विटर ब्लू अकाउंट ने भी ट्वीट किया कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को ज़हर दिया गया था, जब वो बिना किसी विश्वसनीय साईटेशंस के एक रूसी अधिकारी से मिले थे जैसा कि ट्विटर कम्युनिटी नोट्स के स्वयंसेवकों ने बताया.
हाल ही में ट्विटर ने अपने ‘एनफ़ोर्समेंट फ़िलॉस्फ़ी’ के बारे में एक अपडेट जारी की जिसमें कहा गया था कि विजिबलिटी फ़िल्टरिंग की मौजूदा पॉलिसी के आधार पर, सार्वजनिक रूप से दिखाई देने वाले लेबल के माध्यम से उन ट्वीट्स को अतिरिक्त विवरण प्रदान किया जाएगा जो ‘हेटफ़ुल कंडक्ट’ पर ट्विटर की पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं. ट्विटर इस कदम को “फ्रीडम ऑफ़ स्पीच, नॉट रीच” के रूप में संदर्भित करता है. 10 दिन से भी कम समय में ट्विटर इस पॉलिसी को लागू करने में विफल हो गया. जब सिविल राईट अटॉर्नी (वकील) और क्लिनिकल इंस्ट्रक्टर अलेजांद्रा काराबालो ने ट्रांस लोगों और उनके सहयोगियों के निष्पादन का आह्वान करते हुए वेरिफ़ाईड एकाउंट्स के स्क्रीनशॉट का एक कोलाज पोस्ट किया तो ट्विटर ने न सिर्फ उन ट्वीट्स को वेरिफ़ाईड हैंडल से हटा दिया. बल्कि अलेजांद्रा काराबालो के ट्वीट पर भी कार्रवाई की जो अब सिर्फ एक खाली पैनल दिखाता है. अलेजांद्रा काराबालो के ट्वीट में ऐसा कोई लेबल नहीं है जिसमें ये दिखाया गया हो कि इसे लिमिटेड कर दिया गया है.
We’re at the calling for executions of trans folks and the people that support them stage. This isn’t actually asking a question, this is incitement, especially when all the blue check replies are gleefully replying they want to execute trans people. pic.twitter.com/xqWwqx93bG
— Alejandra Caraballo (@Esqueer_) April 26, 2023
ये भी रिपोर्ट किया गया है कि ट्विटर साल 2022 के लिए एक ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट पब्लिश नहीं करेगा और उसने ये भी चुना है कि “कॉपीराइट के नियमित डिस्क्लोज़र और लुमेन डेटाबेस पर सरकारी टेकडाउन रिक्वेस्ट को पब्लिश नहीं किया जाएगा. 9 अप्रैल से ट्विटर ने किसी भी भारतीय टेकडाउन रिक्वेस्ट का खुलासा नहीं किया है, और यहां तक कि वैश्विक स्तर पर कॉपीराइट रिक्वेस्ट डिस्क्लोज़र 15 अप्रैल से आगे नहीं बढ़ रहे हैं. जब से एलन मस्क ने कार्यभार संभाला है, ट्विटर ने सरकारों और अदालतों की 971 रिक्वेस्ट का अनुपालन किया है. दरअसल, अपनी स्वयं की रिपोर्ट में एलन मस्क का ट्विटर ये दिखाता है कि उसने अदालतों और सरकारों की एक भी रिक्वेस्ट को चुनौती नहीं दी. इससे भी जरूरी बात ये है कि अधिग्रहण से पहले के साल में अनुपालन दर लगभग 50% थी. वर्तमान में ये आंकड़ा बढ़कर 83% हो गया है. जब ट्विटर भारत जैसे देशों में ऐसी टेक-डाउन रिक्वेस्ट को चुनौती देने में विफल रहता है, तो एंड यूज़र के लिए इन टेक-डाउन को कानूनी रूप से चुनौती देना लगभग असंभव हो जाता है.
As of April 15th, 2023, Twitter has not submitted copies of any of the takedown notices it receives to Lumen.
According to Lumen’s persons of contact there, Twitter’s 3rd party data sharing policies are under review, and they will update Lumen once there is more information.— Lumen (@lumendatabase) April 27, 2023
कुल मिलाकर, हटाए गए एकाउंट्स की बहाली और इसकी सबसे खराब पॉलिसी के साथ, एलन मस्क का ट्विटर बिल्कुल वैसा ही बन गया है जैसा उन्होंने वादा किया था – एक ‘फ्री-फॉर-ऑल हेलस्केप.’ पिछले कुछ हफ्तों में हुई एडीशनल डेवलपमेंट्स की लिस्ट नीचे दी गई है:
- ट्विटर ने कहा कि वो पब्लिक सेफ़्टी एकाउंट्स को अपनी नई लिमिटेड API योजनाओं से कोई छूट नहीं देगा.
- ट्विटर ने हैक मटेरियल पॉलिसी के ‘उल्लंघन’ के कारण पत्रकार डेल कैमरन के एकाउंट्स को स्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया.
- ट्विटर ने लीगेसी चेकमार्क हटा दिए और @BlockTheBlue ट्विटर अकाउंट को सस्पेंड कर दिया, जो कि ट्विटर यूज़र्स द्वारा ट्विटर ब्लू के लिए भुगतान करने वाले सभी एकाउंट्स को ब्लॉक करने के लिए पावरफुल अभियान शुरू किया गया था
- ट्विटर ने ये झूठा लेबल लगाया कि सेलिब्रिटी एकाउंट्स ने ट्विटर ब्लू के लिए भुगतान किया है.
- ट्विटर ने उन हस्तियों के एकाउंट्स में वेरिफ़ाईड चेक मार्क जोड़े, जो अब इस दुनियां में नहीं हैं, इससे वे भुगतान किए गए ट्विटर ब्लू सब्सक्राइबर्स की तरह दिखाई देने लगे.
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