भारत में कोरोना मरीज़ों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र परिवार के लोग रेमडेसिविर इन्जेक्शन खरीदने के लिए हज़ारों रुपये खर्च कर रहे हैं. रेमडेसिविर एक ऐंटी-वायरल ड्रग है जिसे अमेरिका के FDA ने प्रमाणित किया है. इसकी कीमत काला बाज़ार में 40 हज़ार तक पहुंच गयी है. कई डॉक्टरो और वैज्ञानिकों ने रेमडेसिविर इन्जेक्शन की प्रभावशीलता पर सवाल भी उठाए हैं. गुजरात पुलिस ने 1 मई को नकली रेमडेसिवीर इन्जेक्शन रैकेट का भांडाफोड़ कर मोरबी, अहमदाबाद और सूरत से 7 लोगों को गिरफ़्तार किया था. इस ऑपरेशन में पुलिस ने 60 हज़ार खाली शीशियां, 30 हज़ार फ़र्ज़ी स्टीकर और 90 लाख कैश बरामद किया था.

सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें इस घटना से जोड़कर शेयर की जा रही हैं. ट्विटर यूज़र नीता दोशी ने ये तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, “गुजरात में 6 लोग पकडे गए जिन्होंने नमक, ग्लुकोज और पानी मिलाकर 5,000 नकली रेमडेसीवीर बनाए और बेचे। वो 60,000 नकली रेमडेसीवीर बनाने वाले थे। जूहापूरा अहमदाबाद के रमीज कादरी और मोहम्मद आसिफ 1117 नकली रेमडेसीवीर वायल, 70 लाख केश, 55,000 फेक वायल और 30,000 फेक रेमडेसीवीर”. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 4,400 बार रीट्वीट किया गया है (आर्काइव लिंक). वायरल मेसेज में आरोपियों के नाम रमीज कादरी और मोहम्मद आसिफ़ बताया गया है.

ट्विटर हैन्डल @brijeshchaodhry ने भी ये तस्वीरें इसी वायरल मेसेज के साथ ट्वीट कीं. (आर्काइव लिंक)

ट्विटर और फ़ेसबुक पर ये दावा काफ़ी वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

2 मई 2021 को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने गुजरात के अहमदाबाद, मोरबी और सूरत से नकली रेमडेसिवीर इन्जेक्शन बनाने के आरोप में 6 लोगों की गिरफ़्तारी की खबर पब्लिश की थी. सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें इसी घटना से जुड़ी हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मोरबी पुलिस, अहमदाबाद और सूरत शहर के क्राइम ब्रांच के जॉइन्ट ऑपरेशन में नकली इन्जेक्शन, कैश और खाली शीशियां बरामद की गई थीं. पुलिस ने इस मामले में 6 लोग गिरफ़्तार किये जिसमें मोरबी से राहुल कोटेचा और रविराज उर्फ़ राज हिरानी, अहमदाबाद से मोहम्मद असीम उर्फ़ आसिफ़ पटनी और रमीज़ कादरी, सूरत से कौशल वोरा और मुंबई के ठाणे से पुनीत शाह शामिल हैं. आर्टिकल के अनुसार, आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि वो शीशियों में पानी, ग्लूकोज़ और नमक का मिश्रण भरते थे और बाद में उसपर रेमडेसिविर का स्टिकर लगा देते थे. रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों ने बताया था कि वो तकरीबन 10 दिनों से ये नकली इन्जेक्शन बना रहे थे और उन्होंने इसे राज्य के कई इलाकों में एजेंट द्वारा बेचा भी है.

राजस्थान पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, ये इन्जेक्शन अहमदाबाद से सूरत के कौशल वोरा के पास भेजे गए थे. पुलिस ने सूरत के फ़ार्म हाउस से कौशल वोरा और उसके पार्टनर पुनीत शाह को गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने वहां से 7 लाख 68 हज़ार रुपये की कीमत के 160 नकली रेमडेसिवीर इन्जेक्शन और 74 लाख 70 हज़ार नकद बरामद किये हैं.

डेक्कन हेरल्ड ने इस मामले में 7 लोगों की गिरफ़्तारी की ख़बर दी थी. लेकिन रिपोर्ट में सिर्फ़ 6 लोगों के नाम ही बताए गए हैं. अहमदाबाद मिरर के आर्टिकल में 7वें शख्स का नाम सिराज खान बताया गया है जो कि कौशल वोरा के साथ ही काम करता था.

ज़ी न्यूज़ गुजराती की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में आरोपियों के नाम हैं – कौशल महेंद्र वोरा (सूरत), राहुल अश्विन भाई कोटेचा (मोरबी), रविराज उर्फ़ राज राज मनोहर हिराणी (मोरबी), मोहम्मद आशिम उर्फ़ मोहम्मद आसिफ़ अब्बास पटनी (अहमदाबाद), रमीज़ सैयद हुसैन कादरी (अहमदाबाद), पुनीत गुणवंत शाह (मुंबई). इसके अलावा, भरूच और सूरत से 2 आरोपी फ़रार हैं.

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ‘देश गुजरात’ की शुरुआती रिपोर्ट में सिर्फ़ मुस्लिम आरोपियों के नाम ही दिए गए थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट बाद में अपडेट कर कौशल और पुनीत के नाम शामिल किये हैं.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते दवाइयों की मांग बढ़ने पर गुजरात पुलिस ने ऐसे कई नकली रेमडेसिवीर इन्जेक्शन के रैकेट्स का पर्दाफ़ाश किया है. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पत्रकार सरफ़राज शेख ने ट्वीट किया कि ऐसे 24 मामलों में कुल 63 लोगों के खिलाफ़ नकली इन्जेक्शन की कालाबाज़ारी करने और बेचने के आरोप में केस दर्ज हुए हैं.

गुजरात में नकली रेमडेसिवीर इन्जेक्शन बनाने वाले गैंग की गिरफ़्तारी की घटना सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक ऐंगल से शेयर की गई. इस मामले में गिरफ़्तार हुए 7 लोगों में 3 लोग मुस्लिम समुदाय से हैं जिनके नाम तस्वीरों के साथ शेयर किये गए जबकि बाकी गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों के नाम मेसेज में शामिल नहीं किये गए.


हरियाणा के करनाल में हो रही वेब सीरीज़ की शूटिंग के दृश्य को लोगों ने असली घटना बताकर शेयर किया :

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.