सोशल मीडिया पर 2 वीडियोज़ शेयर किए जा रहे हैं. इनमें मंदिर की तरह दिख रही एक ईमारत टूटते हुए दिख रही है. एक वीडियो में घटनास्थल पर कई लोग जमा हुए हैं और ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप कर रहे हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा है कि ये विज़ुअल्स तमिलनाडु के हैं. कुछ लोगों ने दावा किया कि भक्तों के विरोध के बाद तमिलनाडु सरकार को 200 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ने के आदेश को वापस लेना पड़ा.

ट्विटर ब्लू यूज़र गोपाल गोस्वामी ने 22 जून को वायरल वीडियोज़ में से एक वीडियो ऐसे ही दावे के साथ ट्वीट किया. (आर्काइव)

एक और ट्विटर यूज़र मंदिर तोड़े जाने का वीडियो साथ एक ट्वीट किया था. उस ट्वीट को कोट ट्वीट करते हुए उन्होंने ये वीडियो भी शेयर किया. ट्वीट को 50 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया और 1 हज़ार से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. (आर्काइव)

कुछ और यूज़र्स ने भी इन्हीं दावों के साथ ये दोनों वीडियोज़ शेयर किए जैसे ‘@bhagwakRANtee‘ और ‘@ajaychohan41‘.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने नोटिस किया कि ट्विटर हैन्डल ‘@Devil_King_TP’ ने कोट ट्वीट में “साल-2022” का ज़िक्र किया है. यहां से हमें मालूम हुआ कि शायद ये वीडियो 2022 का हो सकता है.

InVID सॉफ़्टवेयर की मदद से हमने दोनों वीडियोज़ को फ़्रेम्स में ब्रेक किया और उन्हें रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें साल 2022 में ये वीडियोज़ शेयर किये जाने के कई उदाहरण मिलें.

पहला वीडियो:

ये वीडियो हाल का नहीं है. हमने देखा कि पिछले साल भी ये वीडियोज़ इसी तरह के दावे के साथ शेयर किए गए थे कि तमिलनाडु में DMK सरकार ने मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया और भक्तों के विरोध के बाद ये आदेश वापस ले लिया गया. अश्विनी श्रीवास्तव के ट्विटर बायो के मुताबिक, वो एक पत्रकार हैं. इन्होंने 5 अगस्त, 2022 को इन दोनों वीडियोज़ में से एक ट्वीट किया था. उन्होंने अंशुल सक्सेना के ट्वीट के रिप्लाई में अपना ट्वीट शेयर किया. इसमें अश्विनी श्रीवास्तव ने दावा किया कि DMK सरकार हिंदू विरोधी है. क्योंकि सरकार ने एक और शिव मंदिर तोड़ दिया. (आर्काइव लिंक)

कई न्यूज़ रिपोर्ट्स में ज़िक्र किया गया था कि अदालत के आदेशों के मुताबिक, इन्हें तोडा गया था.

पहला वीडियो कोयंबटूर में रामलक्ष्मी नगर के पास वीरियमपलयम रोड का है जिसमें एक मंदिर पर बुलडोज़र चलाए जाने के दौरान भक्तों ने “ओम नमः शिवाय” का जाप किया था. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक याचिका में कहा गया था कि ये मंदिर सड़क पर अतिक्रमण कर रहा है. इसके जवाब में उच्च न्यायालय ने इसे तोड़ने का आदेश दिया था. इसके बाद नगर निगम ने उस क्षेत्र में एक मंदिर को गिराना शुरू कर दिया था.

कोर्ट के आदेश के बाद अधिकारियों की एक टीम इसे तोड़ने के लिए मौके पर पहुंची थी. भाजपा सदस्यों सहित कुछ स्थानीय लोग जिन्हें इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी थी. इसके विरोध में वहां जमा हुए थे. कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस भी मौजूद थी. पूर्वी क्षेत्र के सहायक नगर नियोजन अधिकारी के अनुसार, भक्तों के मंदिर परिसर में जमा होने के बाद इसे तोड़ने का काम रोकना पड़ा.

इस बीच, मंदिर को तोड़े जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई और अदालत का अंतिम आदेश अभी भी लंबित है. फिलहाल इसे तोड़े जाने की कार्रवाई रोकी गई है.

दूसरा वीडियो :

दूसरे वीडियो में भी एक मंदिर को तोड़ा जा रहा है. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 11 जनवरी, 2022 का इंडिया टुडे का एक आर्टिकल मिला. इसका टाइटल है: “मंदिर तोड़े जाने के वीडियो से तमिलनाडु में विवाद, पुलिस ने सफाई पेश की.” रिपोर्ट के मुताबिक, ये घटना चेन्नई के पास तमिलनाडु के तांबरम में हुई थी. कई हिंदू संगठनों ने DMK सरकार को हिंदू विरोधी कहा जिससे विवाद हुआ.

विवाद के बारे में बात करते हुए, तांबरम आयुक्त ने एक स्पष्टीकरण जारी किया कि 2015 मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, मंदिर के साथ दूसरी इमारतों को भी हटाया जा रहा है. पुलिस ने स्पष्ट किया कि जल निकायों पर बने अतिक्रमण के रूप में मौजूद सभी इमारतों को तोड़ा जा रहा है. उस वक्त तांबरम के पुलिस आयुक्त एम रवि ने कहा कि सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि एक चर्च परिसर का एक हिस्सा भी तोड़ा गया है. साथ में जनता को ऐसी किसी भी कंटेंट को शेयर करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है जिनसे सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है.

कुल मिलाकर, तमिलनाडु में मंदिर तोड़े जाने के जो वीडियोज़ शेयर किए जा रहे हैं, वो पिछले साल के हैं. इन्हें उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार अतिक्रमण हटाए जाने के कारण तोड़ा गया था. DMK सरकार ने इन्हें तोड़ने का आदेश नहीं दिया और न ही वापस लिया जैसा कि दावा किया जा रहा है.

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