हाल ही में ज्यूलरी ब्रांड तनिष्क ने अपने नए विज्ञापन में दो अलग धर्म के लोगों के बीच शादी दिखाई थी जिसपर विवाद खड़ा हो गया. सोशल मीडिया पर इसे एक तबके ने आड़े हाथों लिया और इस विज्ञापन को उनकी नफ़रत का शिकार होना पड़ा. कंपनी के ब्रैंड मैनेजर मंसूर खान को सोशल मीडिया पर धमकी भरे मेसेज आने लगे और आखिरकार उन्हें अपना सोशल मीडिया अकाउंट ही हटाना पड़ा. कंपनी को इस नफ़रत और विवाद की वजह से 2 दिन में ही अपना विज्ञापन भी वापस लेना पड़ा. तनिष्क 14 अक्टूबर को वापस ख़बरों में आ गया जब NDTV ने दावा किया कि कम्पनी के गांधीधाम स्टोर पर हमला हुआ और मैनेजर पर माफ़ी मांगने का दवाब बनाया गया. ट्विटर यूज़र ‘The Skin Doctor’ ने एक कथित कॉल रिकॉर्डिंग पोस्ट की जिसमें ब्रांच मैनेजर अपने स्टोर पर हमले वाली बात को ख़ारिज कर रहे हैं.

इसके बाद चैनल पर भ्रामक सूचना देने का आरोप लगा. उसपर हम आगे बात करेंगे.

तनिष्क गांधीधाम स्टोर में 12 अक्टूबर को क्या हुआ?

इकनॉमिक टाइम्स के पत्रकार DP भट्टाचार्य ने रिपोर्ट किया, “राइट विंग ने तनिष्क के गांधीधाम स्टोर पर विज्ञापन वापस लेने के बावजूद माफ़ी वाला नोट लगाने का दबाव डाला.” हाथ से लिखे गये इस नोट में लिखा है, “हम तनिष्क के शर्मनाक विज्ञापन के लिए कच्छ के हिन्दू समुदाय से माफ़ी मांगते हैं.”

जैसा कि इसके ऊपर लिखा हुआ है, ये नोट 12 अक्टूबर को लगाया गया था. ये नोट तभी से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा था. और NDTV ने स्टोर पर हमले की घटना 14 अक्टूबर को रिपोर्ट की. चैनल ने ‘हमला (attack)’ शब्द का प्रयोग किया जिसने घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया. तोड़-फोड़ या मारपीट की कोई रिपोर्ट नहीं आयी है.

लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि स्टोर को निशाना नहीं बनाया गया. एक वायरल वीडियो में एक शख्स स्टोर के कर्मचारी को धमकाते हुए दुकान के गेट पर माफ़ी वाला नोट टांगने कह रहा है. उसके आगे शख्स कहता है कि इसकी तस्वीर खींच कर उसे फ़ोन पर भी भेजी जाये.

शख्स: मैं हाथ जोड़ कर आपसे विनती कर रहा हूं कि आप इस बात को समझो और आप कल गेट पर बोर्ड लगवा दोगे.

स्टाफ़: हो सके तो हम कल सुबह 7 बजे तक लगवा देंगे.

शख्स: एक बड़ा सा बोर्ड लगाना और उसकी फोटो खींच कर मुझे भेजना.

स्टाफ़: आप अपना नंबर दीजिये.

शख्स: [अपना नंबर बोलते हुए]

ये शख्स आगे कहता है कि उसके जैसे लोगों के वजह से कर्मचारियों का पेट पलता है क्यूंकि उसके जैसे लोग ही ये प्रोडक्ट्स खरीदते हैं.

गुजरात के कच्छ (पूर्वी) के एसपी मयूर पाटिल ने वीडियो के ज़रिये बयान जारी किया और कहा स्टोर में 2 शख्स घुसे और कर्मचारी को गुजराती में लिख कर माफ़ी मांगने को कहा. ये नोट लगाये जाने के बावजूद स्टोर को कच्छ और गुजरात के कई अन्य हिस्सों से धमकी भरे कॉल्स आते रहे. पुलिस ने शिकायत मिलने के बाद स्टोर के बाहर निगरानी रखनी शुरू कर दी है (कोई भी FIR दर्ज नहीं हुई है). एसपी पाटिल ने साफ़ किया कि दुकान में तोड़-फोड़ या हमला नहीं हुआ है.

हालांकि, ऑल्ट न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं कर पाया कि पुलिस ने दुकान में सिर्फ़ 2 लोगों के घुसने का जो दावा किया है, वो सही है या नहीं. उस रात की तस्वीरों में दुकान के बहार 2 से काफ़ी ज़्यादा लोग नज़र आते हैं.

NDTV को करना पड़ा लोगों के गुस्से का सामना

गुजरात से विधायक पियूष देसाई, कर्नाटक से एमपी शोभा करंदलाजे, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव दुष्यंत कुमार गौतम, उड़ीसा से एमपी संगीता कुमारी सिंह देव, गुजरात से विधायक प्रदीप सिन्ह जडेजा और भाजपा सदस्य आशा नकुम और विकास पांडे समेत कई भाजपा नेताओं ने NDTV पर ग़लत न्यूज़ रिपोर्ट करने का आरोप लगाया.

This slideshow requires JavaScript.

इनके अलावा सुरेन्द्र पूनिया, अंशुल सक्सेना, ऑपइंडिया, रमेश सोलंकी, मिन्हाज मर्चेंट, माधव शर्मा, आशु @muglikar और प्रशांत पटेल उमराव जैसे ‘अच्छी फ़ॉलोविंग’ वाले लोगों ने चैनल की आलोचना की.

(पढ़ें: प्रशांत पटेल उमराव और उनके द्वारा फैलायी गयी अनगिनत भ्रामक सूचनायें.)

हालांकि, NDTV अकेला चैनल नहीं था जिसने स्टोर पर हमले की बात कही. India.com, टाइम्स नाउ, वन इंडिया और द लॉजिकल इंडियन ने भी इस न्यूज़ को फ़ॉलो करते हुए पब्लिश किया.

This slideshow requires JavaScript.

NDTV ने बाद में ‘हमला’ शब्द को ‘धमकी’ (‘attack to ‘threats’) से बदल दिया और पुलिस की जानकारी के साथ ट्वीट अपडेट कर दिया.

चैनल की सबसे पहली रिपोर्ट में दुकान में तोड़-फोड़ की बात की गयी थी जबकि कर्मचारियों को धमकाया गया था. हालांकि, चैनल की ऑनलाइन आलोचना करने के बीच लोग ये समझने में असफल रहे कि स्टोर को सिर्फ़ धमकी नहीं दी गयी बल्कि कुछ लोगों ने दुकान में घुस कर कर्मचारियों को माफ़ी वाला नोटिस दुकान के गेट पर लगाने के लिए मजबूर किया था. कई पुलिसवालों को दुकान के बाहर निगरानी के लिए तैनात करना पड़ा. ये वो बड़ा मुद्दा है जिसके बारे में बात नहीं की गयी. सरकारी एजेंसी PIB ने NDTV की रिपोर्ट का फ़ैक्ट चेक किया और कहा कि स्टोर पर कोई हमला नहीं हुआ, जो कि अर्धसत्य है.

 

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.