एक कथित रेट कार्ड का ग्राफ़िक शेयर करते हुए इस ‘शॉकिंग डॉक्युमेंट’ बताया जा रहा है. साथ ही कहा जा रहा है कि ‘लव-जिहाद’ सच है इसीलिए हिन्दू बेटियों को बचाया जाये. ये भी दावा है कि इसे PFI (पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया) स्पॉन्सर कर रहा है. ‘प्राउड हिन्दू‘ नाम के एक फ़ेसबुक पेज ने 19 दिसम्बर, 2020 को इसे शेयर किया.
फ़ेसबुक पर कई लोग इसे शेयर कर रहे हैं.
2018 में ऐक्टर कोइना मित्रा ने भी ऐसी एक तस्वीर ट्वीट की थी. इसमें एक न्यूज़ पेपर क्लिप में “लड़की भगाओ मुस्लिम बनाओ और इनाम पाओ” टाइटल के साथ रेट छापा गया था.
टाइम्स नाउ ने 2017 में इसे टीवी पर दिखाया था
“ISIS गतिविधि के इस केंद्र में युवा हिंदुओं को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है, वे कह सकते हैं कि वहां कुछ भी अनहोनी नहीं हो रही है, लेकिन हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि ख़लीफ़ा के प्रतिबद्ध एजेंटों द्वारा युवा हिंदुओं को कोचिंग सेंटरों और ट्यूशन क्लासेज़ में कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. आपकी स्क्रीन पर दिख रहे ये रेट कार्ड्स वितरित किए जा रहे हैं. ये रेट कार्ड, देवियों और सज्जनों, प्रोत्साहन के रूप में आयोजित किया जा रहा है. देखिए कि यह कार्ड क्या कहता है. यह धर्म की, आपके विश्वास की कीमत लगाता है. यदि आप रेट कार्ड को करीब से देखें, तो आपको दिलचस्प विवरण दिखाई देंगे… (अनुवादित)” ये शब्द टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ, राहुल शिवशंकर प्राइम टाइम शो में बोल रहे थे. इस शो में दावा किया गया कि यह रिपोर्ट केरल में कासरगोड नामक भारत की गाजा-पट्टी की है.
जब राहुल शिवशंकर ने बताया कि कैसे किसी के विश्वास का मूल्य लगाया गया है, तब स्क्रीन पर विभिन्न धर्मों/उप-जातियों/संप्रदायों की महिलाओं के 7 लाख से लेकर 1 लाख तक के विभिन्न मूल्य-वर्ग दिखाए गए. गुस्से में राहुल शिवशंकर ने आगे कहा, “मुझे आपको बताते हुए भी नहीं बन रहा है कि हिंदुओं, जाति से ब्राह्मणों के धर्म-परिवर्तन के लिए कैसा खतरनाक ब्यौरा… जो इस रेट कार्ड पर है… आपको पांच लाख का भुगतान करना है. आपको पांच लाख मिलेंगे. एक हिंदू ब्राह्मण लड़की – पांच लाख, एक सिख पंजाबी लड़की के लिए सात लाख रुपये, एक गुजराती ब्राह्मण के लिए इत्यादि इत्यादि, हिंदू क्षत्रिय लड़की – साढ़े चार लाख, हिंदू OBC/SC/ST – दो लाख, बौद्ध लड़की – डेढ़ लाख, एक जैन लड़की 3 लाख रुपये. ख़लीफ़ा ने आपके विश्वास की कीमत लगाई है. (अनुवादित)”
#WATCH | Caliphate puts a price on your faith | Conversion rate card accessed #CaliphateConvertsHindus pic.twitter.com/CYjzuSkyST
— TIMES NOW (@TimesNow) June 23, 2017
टाइम्स नाउ ने इस कहानी के विभिन्न पहलुओं पर ट्वीट करने के लिए हैशटैग #CaliphateConvertsHindus का उपयोग किया. उन्होंने रेट कार्ड पोस्टर में दिए गए संप्रदायों पर भी ट्वीट किया, जिसका स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है.
टाइम्स नाउ द्वारा जो रेट कार्ड दिखाया गया है, वो व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया पर काफ़ी समय से चल रहा है और नीचे देखा जा सकता है.
अहमदाबाद मिरर ने फरवरी 2016 में ही इस पोस्टर के आधार पर “वडोदरा में लव जिहाद एक मूल्य टैग के साथ आया (अनुवादित)” शीर्षक से एक खबर चलाई थी. इसके बाद, अहमदाबाद मिरर की कहानी को ज़ी न्यूज़,वन इंडिया, दैनिक भास्कर (मराठी), India.com और सहारा समय जैसे कई अन्य मीडिया संगठनों द्वारा चलाया गया. टाइम्स नाउ ने उस रेट कार्ड की तस्वीर को लेकर अपने प्राइम टाइम में कहीं कोई संदेह नहीं जताया, जबकि फरवरी 2016 में ही इस कहानी को चलाने वाले अधिकांश मीडिया संगठनों ने स्पष्ट रूप से कह दिया था कि लोगों को भड़काने के लिए व्हाट्सऐप पर फ़ॉरवर्ड किया जा रहा था.
फरवरी 2016 में यह तस्वीर विभिन्न फ़र्ज़ी समाचार साइटों जैसे Hindutva.Info, Jagruk Bharat और Hindu Existence द्वारा भी प्रसारित की गई.
इस ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर का सबसे पुराना संस्करण ‘बेयर नेकेड इस्लाम’ नामक वेबसाइट पर 20 सितंबर 2014 को प्रकाशित एक पोस्ट में उपलब्ध है. 2014 में जब यह पोस्टर वायरल हुआ, तो एबीपी न्यूज़ ने वेबसाइटों और पोस्टर में दिए गए अड्रेस को वेरीफ़ाई कर के इसे खारिज किया था.
सामना, जिसे शिवसेना के मुखपत्र के रूप में जाना जाता है, ने 2010 के अंतिम दिनों में अपने अखबार के पेज 6 पर यह कहानी छापी थी.
इस कहानी का सबसे शुरुआती संस्करण 5 फरवरी, 2010 को प्रकाशित ‘सिख और इस्लाम’ नामक एक ब्लॉग पर है. इस ब्लॉग में केवल एक पोस्ट है और ये ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर — जिसे टाइम्स नाउ ने दिखाया था और यहां शुरू में पोस्ट किया गया है — का मूल रंगीन संस्करण है.
इस तस्वीर में कई चीजें हैं जो इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि यह नकली है. सबसे पहले, इस पोस्टर में वाक्यांश है, “अल्लाह के नाम पर……सबसे दयालु, सबसे लाभार्थी (in the name of allah……most merciful, most benificiary)” जबकि सामान्य रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला वाक्यांश है, “अल्लाह के नाम पर, सबसे लाभकारी, सबसे दयालु (In the Name of Allah, the Most Beneficent, the Most Merciful)”. अगर यह वास्तव में किसी इस्लामी संगठन द्वारा जारी किया गया पर्चा था तो इस तरह की गलती असामान्य ही होगी. इसके अलावा, इस पर्चे के शीर्ष पर दिल के आकार की तस्वीर का होना इस पोस्टर के नकली होने का सबसे ठोस सबूत देता है.
दिल के भीतर बंदूक के आकार की तस्वीर, वास्तव में लेबनानी शिया इस्लामी आतंकवादी समूह, हिजबुल्ला, का ध्वज है. दिल के आकार की यह तस्वीर 2006 से स्वतंत्र रूप से प्रचलन में है.
यह सब, इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि यह तस्वीर फ़ोटोशॉप जैसे सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके प्रचार के लिए बनाई गई है और इसमें कुछ भी तथ्यपरक नहीं है.
इस कथित रेट कार्ड के एक अफ़वाह होने की खबरें 2014 और 2016 में ही भारतीय मीडिया के बड़े हिस्से द्वारा की जा चुकी हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर एक बार फिर इसे शेयर होते हुए देखा जा सकता है.
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