यदि आपको याद हो तो Francois Gautier ने कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी के बारे में नोस्ट्रदमस द्वारा लिखी गयी झूठी प्रशंसा को सोशल मीडिया पे डाल दिया था। वह फ्रेंकोइस द्वारा बनाया गया झूठा लेख था। खैर वह घटना किसी को हानि पहुँचाने के लिए नहीं था इस कारण से उसे अनदेखा कर सकते हैं लेकिन एक अच्छा उदाहरण था की कैसे लोग आसानी से झूटी और बेतुकी बातों को भी सच मान लेते है । परंतु इस बार इन महानुभावों ने सारी हदें पार दीं।
28 मई को दिल्ली के ई-रिक्शा चालक रविंदर को कुछ युवकों ने खुले में शौच करने से रोके जाने की वजह से बुरी तरह से पीटा। रिक्शा चालक रविंदर की अस्पताल कि राह में मृत्यु हो गई। इस हादसे की कई लोगों ने निंदा की। भाजपा के वरिस्ट नेता वेंकैया नायडू ने खुद व्यक्तिगत हस्तक्षेप का आश्वासन दिया एवं ट्विटर पे लिखा:
“बड़े दुःख की बात है की एक ई-रिक्शा चालक की इस प्रकार से मृत्यु हुई है, वह केवल स्वच्छ भारत का संदेश आगे लेके चल रहा था ““मैंने स्वयं पुलिस कमिशनर से बात की है और उन्हें दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही करने को कहा है”
“पश्चिम उत्तरीय दिल्ली के म्यूनिसिपल कमिशनर से रविंदर की पत्नी को नियम अनुसार रोज़गार देने को कहा है, उन्होंने अस्थायी काम देने का वादा किया है।”
मृतक के लिए तुरंत मुआवज़ा घोषित किया गया और एक दुर्लभ प्रसंग में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी शोक जताया। 2 गिरफ़्तारी की गयीं और जाँच अभी भी जारी है।
इस हादसे के बाद कुछ लोगो ने मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए, यह अफवाह फैला दी कि जिन लोगो ने रविंदर को मारा वे मुस्लिम थे, जब की अब तक ऐसी कोई सूचना नहीं थी।
वही फ्रैंकोईस गोटीअर जो कथित नोस्ट्रदमस द्वारा नरेंद्र मोदी के बारे में लिखे गए लेख को लोगों तक पहुँचा रहे थे अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखते हैं:
“यह स्वर्गीय रविंदर कुमार हैं, एक ग़रीब, हिंदू रिक्शा चालक जिनकी पत्नी 7 महीने से गर्भवती हैं। रविंदर स्वच्छ भारत के समर्थक थे और जब इन्होंने 2’शांतिप्रिय’ छात्रों को खुले में शौच करने से रोका, तो वे बाद में एक झुंड को लाकर इस काफिर को ढूँढने आ गए, आख़िर काफ़िरों को उनका सबक़ मिलना चाहिए और वे इंसान नहीं होते हैं। सार्वजनिक तौर पे इन लोगोने रविंदर पे मुक्के बरसाए और पत्थरों से भरे रुमाल से पीटा। वहाँ खड़े एक भी व्यक्ति ने, रविंदर को नहीं बचाया, न पुलिस को बुलाया, जब की सनकी ‘शांतिदूत’ राजधानी में इस बेचारे को पीट पीट कर मौत के घाट उतार रहे थे।”

गोटीअर ने आगे यह भी कहा की अख़लाक़ की तरह, रविंदर ने गाय का बछड़ा भी नहीं चुराया था वह केवल एक गरीब हिंदू था जो की एक अच्छा नागरिक बनने का प्रयास कर रहा था, और इसकी मृत्यु के बारे में कोई बात भी नहीं करेगा क्यूँकि वह एक हिन्दू था।
क़िस्सा तब पलटा जब मुज्ज़फरनगर से पुलिस ने सूचना दी की आरोपी कोई शेखर कपासिया हैं, और फ्रेंकोइस द्वारा बनाई गयी पूरी कहानी की काया पलट गई। फ्रेंकोइस ने फ़ेसबुक के अपने लेख में से ‘शांत्रिप्रिय’ और ‘काफ़िर’ जैसे शब्द हटाए, लेकिन न ही कोई माफ़ी माँगी ना अपने पुराने लेख का कोई ज़िक्र किया।
फ्रेंकोइस गोटीअर ने किस प्रकार से अपने लेख में बदलाव किए यह अच्छी तरह से जानने के लिए यह निचे दी गयी स्क्रीनशॉट और वीडियो देखें।
Words removed from Francois Gautier's original post

हर बार की तरह, गोटीअर अकेले नहीं थे, इसी तरह @goyalsanjeev नाम के ट्विटर उपयोगकर्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की चुप्पी यह दर्शाती है की वे मुसलमान दोषियों के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहते।
@sickularlibtard नामक एक ट्विटर हैंडेल जिसे 30 हजार लोग फॉलो करते है ने लिखा  “दो मुसलमानो ने एक हिंदू को मार डाला”
 इसके बाद प्रधान मंत्री मोदी द्वारा फॉलो किये जाने वाले भाजपा कार्यकर्ता प्रवीण बाजपेई ने तो हदें पार करके, इन युवकों का मुस्लिम नाम भी खोज निकाला।
दोषी का नाम बाहर आने के बाद, ना ही इन लोगो ने ने माफ़ी माँगी ना अपने लेख डिलीट किए, इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इनके ऐसा करने से समाज में सांप्रदायिक हिंसा को तवज्जोह मिलती है ऐसे लोग केवल नफ़रत फैलाते रहते हैं और आगे भी फैलाएँगे, इन्हे जब भी मौक़ा मिले। ये अब ऐसे ही किसी दूसरे झूठी अफवाह फैलाने में लग गए होंगे, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि लोग इसे भूल ही जाएंगे।
दुर्भावनापूर्ण ऐसी नकली खबरें नियमित रूप से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए फैलाई जा रही है जिससे समुदायों के बीच घृणा की भावना फैलती है।  इस तरह के फर्जी समाचार विभाजनकारी एजेंडे के साथ फैलाई जाती है जिसे हमें सफल नहीं होने देना चाहिए।
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