उत्तराखंड में 16 दिनों से सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को 28 नवंबर को बचाकर सुरक्षित बाहर निकाला गया. इस पूरी घटना पर पूरे देश की नज़रे टिकी हुई थी. बचाव अभियान के आखिरी चरण में 400 घंटे से ज़्यादा का समय लगा जिसके लिए रैट-होल माइनर्स की 7 सदस्य की टीम झांसी, उत्तरप्रदेश से लाई गई.

ऑपरेशन में भाग लेने वाले बचावकर्मियों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है जिसमें सुरंग के अंदर भारतीय झंडे पकड़े और हंसकर कैमरे के लिए पोज़ देता हुआ ग्रुप दिख रहा है. कई राजनेताओं और मीडिया घरानों ने बचाव की ख़बर शेयर करते वक्त इस तस्वीर का इस्तेमाल किया.

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता किरेन रिजिजू ने 28 नवंबर को चार तस्वीरों के साथ X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर इस सफल बचाव अभियान के बारे में ट्वीट किया. इन तस्वीरों में आगे बताई गई कथित तस्वीर भी शामिल है. (आर्काइव)

BJYM के राष्ट्रीय सचिव तजिंदर बग्गा (@TajinderBagga), भारत में इज़राइल के राजदूत नाओर गिलोन (@NaorGilon) और केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ (@Ra_THORe) ने भी 28 नवंबर को ये तस्वीर शेयर की.

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PTI ने अपनी सिंडिकेटेड कॉपी में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया और इसे हिंदुस्तान टाइम्स, न्यूज़ 18, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, लोकसत्ता, इंडिया टुडे जैसे कई न्यूज़ आउटलेट्स ने भी रिपोर्ट्स में शेयर किया. इंडिया टुडे ने उन्हें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) कर्मी बताया.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि नाओर गिलोन ने ट्वीट में तस्वीर का क्रेडिट X अकाउंट ‘@Exluxive_Minds’ को दिया. तस्वीर में नीचे दाईं ओर एक वॉटरमार्क है जिसमें टेक्स्ट में लिखा है: “एक्सक्लूसिव माइंडस.”

हमने X पेज ‘@एक्सक्लूसिव_माइंड्स’ चेक किया. हमें मालूम चला कि इस पेज ने 28 नवंबर को ये तस्वीर कई और तस्वीरों के इस कैप्शन के साथ शेयर की थी: “उत्तरकाशी सुरंग बचाव सफलतापूर्वक संपन्न. #UttrakhandTunnel.” इन तस्वीरों को एक ट्विटर थ्रेड में भी शेयर किया गया था. इस थ्रेड में आखिरी ट्वीट में एक डिस्क्लेमर दिया गया था जिसमें कहा गया था कि ये तस्वीरें AI-जनरेटेड थीं.

हमने तस्वीर में कई असमानताएं भी नोटिस कीं जो आमतौर पर आर्टिफ़िसियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाई गई तस्वीरों में दिखती हैं. आगे, हमने ऐसी ही कुछ गड़बड़िया दिखाई हैं. सामने के लोगों के चेहरे साफ़ और असली जैसे दिख रहे हैं, वहीं पीछे के चेहरे अजीबोगरीब लगते हैं. तस्वीर में कई लोगों की उंगलियाँ भी अजीब दिखती है जो कि AI-जनरेटेड तस्वीरों में होने वाली एक ग़लती है.

कुल मिलाकर, जो तस्वीर उत्तराखंड सुरंग बचाव अभियान में भाग लेने वाले मजदूरों/NDRF कर्मियों के रूप में शेयर की गई वो आर्टिफ़िशियली बनाई गई है. ये कोई असली तस्वीर नहीं है.

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