इतिहासकार रामचंद्र गुहा के एक ट्वीट की वजह से सोशल मीडिया पर बखेड़ा खड़ा हो गया. इस ट्वीट में ब्रिटिश लेखक और पूर्व कम्युनिस्ट फ़िलिप स्प्राट की किताब का एक हिस्सा शेयर किया गया है. इसमें लिखा है, “आर्थिक तौर पर विकसित होने के बावजूद गुजरात, सांस्कृतिक तौर पर पिछड़ा प्रांत है…इसके उलट बंगाल आर्थिक रूप से तो पीछे है लेकिन सांस्कृतिक तौर पर काफ़ी समृद्ध है.”

कई लोगों ने राम गुहा पर झूठी जानकारी फैलाने के आरोप लगाए. ऑप इंडिया ने एक लेख पब्लिश किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि गुहा को इतिहास की सही जानकारी नहीं है. गुहा के ट्वीट में क़ोट किये गए हिस्से को ढूंढ पाने में नाकाम रहने के कारण ऑप इंडिया ने ऐसा किया, ताकि वो ख़ुद को एक फ़ैक्ट-चेक संगठन के तौर पर स्थापित करने कर सके.

आगे, ऑप इंडिया ने इस आधार पर गुहा के ट्वीट को ख़ारिज़ करने की कोशिश की कि गुजरात 1960 में बतौर राज्य अस्तित्व में आया था. इसके ज़रिए दावा करने की कोशिश की गई कि 1960 से पहले ‘गुजरात’ शब्द का इस्तेमाल ही नहीं हुआ था. इसी पॉइंट को कई और लोगों ने भी रेखांकित किया.

पूर्व बीजेपी सांसद परेश रावल ने गुहा पर इतिहास को ग़लत तरीके से पेश करने का आरोप लगा दिया.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने गुहा के ट्वीट के जवाब में एक ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा, “पहले अंग्रेज़ों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाई, अब कुछ एलीटों का समूह भारतीयों में फूट डालना चाहता है.”

गुहा के ट्वीट पर कांग्रेस ने भी आपत्ति जताई.

टाइम्स नाउ ने फ़िलिप स्प्राट के हवाले से किए गए रामचंद्र गुहा के ट्वीट को कवर किया. टाइम्स नाउ ने ये सुनिश्चित किया कि विवाद सोशल मीडिया की सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचे. ये रिपोर्ट लिखे जाने तक, टाइम्स नाउ ने कम से कम 45 ट्वीट्स कर #LobbyDividesIndia और #GuhaDividesIndia हैशटैग्स को ट्रेंड कराने की कोशिश की.

रामचंद्र गुहा पर फ़र्ज़ी जानकारी फैलाने के आरोप वाले दो अलग-अलग दावे किए-

  1. 1939 में , फिलिप स्प्राट ने ऐसी कोई बात नहीं लिखी.
  2. फ़िलिप स्प्राट 1939 में गुजरात का ज़िक्र कैसे कर सकते हैं, जब गुजरात 1960 में एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आया.

फ़ैक्टचेक

1. 1939 में प्रकाशित हुई फ़िलिप स्प्राट की किताब ‘गांधीज़्म: एन एनालिसिस’ का हिस्सा.

किताब के पृष्ठ संख्या 2 पर स्प्राट लिखते हैं, “गुजरात आर्थिक तौर पर बहुत विकसित है, लेकिन सांस्कृतिक तौर पर एक पिछड़ा हुआ प्रांत है.” उन्होंने आगे लिखा कि काठियावाड़ क्षेत्र पूरी तरह से मध्यकाल में जी रहा है. इसी किताब के 32वें पन्ने पर उ्नहोंने बंगाल की तुलना गुजरात से की है और लिखा है बंगाल “आर्थिक तौर पर पिछड़े होने के बावजूद सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है.” ये किताब प्रकाशित होने के समय, अभी का गुजरात ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था.

ज़िम्मेदार पदों पर बैठे राजनेताओं को परेशान होते देखकर, गुहा ने ट्वीट किया, “अपनी प्रशंसा या गुस्सा उस व्यक्ति के भूत के लिए बचाकर रखिए, जिसे क़ोट किया गया है.”

2. 1960 में राज्य के तौर पर अस्तित्व में आने से पहले भी गुजरात शब्द का प्रयोग हुआ है.

फ़िलिप स्प्राट ही नहीं बल्कि कई भारतीय क्रांतिकारियों ने भी 1960 से पहले गुजरात नाम का इस्तेमाल किया है. रवींद्रनाथ टैगोर के द्वारा लिखा गया राष्ट्रगान पहली बार 1911 में गाया गया था. राष्ट्रगान में ‘गुजरात’ शब्द का ज़िक़्र आता है.

महात्मा गांधी ने 1948 में ‘गुजरात के लोगों के नाम’ एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी को ‘सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ महात्मा गांधी : वॉल्यूम – 4’ में देखा जा सकता है. ये गांधी सेवाग्राम आश्रम की वेबसाइट पर आर्काइव्ड है.

ऐसे कई सारे पत्र हैं जिसमें महात्मा गांधी ने गुजरात शब्द का यूज़ किया है. हमें एक आर्काइव वेबसाइट पर इन पत्रों का एक कलेक्शन मिला जिसमें महात्मा गांधी द्वारा सरदार पटेल को लिखे गए पत्रों को देखा जा सकता है. इन पत्रों को अहमदाबाद की नवजीवन पब्लिशिंग हाउस ने संभाला हुआ है.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1920 में एक गुजरात कमिटी भी बनाई थी. सरदार पटेल इसके पहले अध्यक्ष थे. ये चिट्ठी archive.org पर देखी जा सकती है.

ब्रिटिश शासन के अंतर्गत, बॉम्बे प्रेसिडेंसी के गज़ेटियर के एक आधिकारिक दस्तावेज़ (1880) में गुजरात का ज़िक़्र कई बार आया है. 1911 की जनसंख्या रिपोर्ट में भी ऐसा ही हुआ है.

इसलिए, ये कहा जा सकता है कि राम गुहा पर झूठी ख़बरें फैलाने का आरोप लगाया गया और इस आरोप का आधार ख़ुद झूठी जानकारियों को ही बनाया गया. ये मज़ेदार विडंबना है. उनके ट्वीट से आहत होने वाले कुछ लोगों ने दावा किया कि फ़िलिप स्प्राट को ग़लत क़ोट किया गया है और कुछ लोगों ने वास्तिवक लेखक की बजाय अपना गुस्सा रामचंद्र गुहा पर निकाला.

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