दुनिया भर में कोरोना वायरस एक बीमारी नहीं बल्कि एक कदम बढ़कर, एक आतंक के रूप में फैल चुका है. लोग जहां हैं, वहां रुके हुए हैं. अर्थव्यवस्था से लेकर अनेकानेक व्यवस्थाएं जड़वत हो चुकी हैं. सिर्फ़ वो चीज़ें जो जीवनयापन के लिए बेहद ज़रूरी हैं, उन्हें ही चालू रहने की अनुमति दी गयी है. हर कोई अपने घरों में कैद है. इंटरनेट के युग के ऐसी माहौल में लोगों के डर को हथियार बनाते हुए ग़लत जानकारियां और भ्रामक ख़बरों का एक बड़ा मकड़जाल बुना गया है. ग़लत दावों, ग़लत ख़बरों के ज़रिये कई मौकों पर एजेंडा भी पुश किया जा रहा है. इस मामले में कोरोना वायरस के इस दौर में इस्लाम धर्म से जुड़े लोगों को निशाना बनाया गया है. दिल्ली के निज़ामुद्दीन में हुए एक धार्मिक आयोजन और उसमें शामिल हुए कई लोगों के COVID-19 पाए जाने के बाद मुस्लिम लोगों को बड़े लेवल पर प्रोपोगेन्डा का शिकार होना पड़ा है. ये काम वीडियो, पोस्ट्स, ग़लत ख़बरों के ज़रिये किया जा रहा है. ऐसा ही एक और वीडियो हमें देखने को मिला जिसके बारे में हम यहां बात करेंगे.

कर्मवीर चमार हिन्दू योद्धा नाम की एक फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से 13 अप्रैल को एक वीडियो अपलोड किया गया. इसमें एक भीड़ खड़ी हुई दिख रही है. भीड़ को एक शख्स संबोधित कर रहा है. सभी बातें सुनने के बाद ये समझ में आता है कि भीड़ में खड़े लोग मुस्लिम हैं. उन्हें संबोधित करने वाला शख्स कहता है कि ‘जितने भी एहतियात बरते जा रहे हैं वो सभी शरीयत के हिसाब से हैं. लेकिन मेहरबानी करके कोई भी उन्हें ये न कहे कि मस्जिद को खाली करना होगा और उसपर ताला लगाना होगा.’ मोटा-मोटी बताया जाए तो ये शख्स इस बात का ऐलान कर रहा है कि मस्जिद को खाली नहीं रहने दिया जाएगा सरकार अगर ये कह रही है मस्जिद में एक वक़्त पर 5 लोगों से ज़्यादा लोग नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं तो वो सरकार के सभी आदेशों की पुरज़ोर मुखालफ़त करेंगे. और अपनी बात ख़तम करते करते वो यहां तक कह देता है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो इस बात के लिए अपना खून बहाने को भी तैयार हैं. ये एक तरह से हिंसा की ओर इशारा करता है.

ये कौम सुधरने वाली नही है, केवल एक ही इलाज है
एक मोटी लाठी इनके पिछवाड़े में होनी चाहिए।
सुनिए इस जिहादी की धमकी

Posted by कर्मवीर चमार हिन्दू योद्धा on Sunday, 12 April 2020

‘कर्मवीर चमार हिन्दू योद्धा’ नाम की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से अपलोड किये गए वीडियो को 87 हज़ार से ज़्यादा बार देखा गया है. इसके अलावा भी इसे फ़ेसबुक और ट्विटर पर धड़ल्ले से इसी दावे के साथ शेयर किया गया है.

जितनी भी जगहों पर वीडियो शेयर हुआ, कहीं भी हमें ऐसा दावा देखने को नहीं मिला कि वीडियो इंडिया का बताया गया हो. हां, लगभग सभी जगहों पर बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम लोगों को निशाने पर लिया गया. कई जगहों पर शेयर करते वक़्त लोगों ने इस बात पर नाराज़गी जताई कि यहां सरकार की नाफ़रमानी करने की बात कही जा रही है.

इसके अलावा हमें हमारे ऑफिशियल व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर इस वीडियो कि सच्चाई जानने के लिए कई रिक्वेस्ट्स आईं.

फ़ैक्ट-चेक

इस वीडियो में कही गयी बातों को जब ध्यान से सुना गया तो हमारा ध्यान 2 वाक्यों पर गया –

1.“मस्जिद की वीरानी की बात नहीं मानेंगे. हमने जेल भी देखी है, (समझ में नहीं आया) भी देखा है. हमने फ़ौज को भी देखा है. हमने हुकूमत को भी देखा है. हम अल्लाह की ज़ात से डरते हैं, किसी से नहीं डरते.”
2. “…अगर ऐसा करेंगे तो हम ये समझने पर मजबूर हो जायेंगे कि अमरीका के कहने पर मस्जिदों को वीरान किया जा रहा है.”

पहले वाक्य में ज़िक्र है कि जेल, फ़ौज और हुकूमत देखने का. ये 3 कॉम्बिनेशन पाकिस्तान की राजनीतिक हालत के लिए एकदम सही बैठते हैं. सालों तक पाकिस्तान में मिलिट्री शासन रहा और फ़िलहाल वहां डेमोक्रेसी का आलम है. इसके साथ ही ‘अमरीका के इशारे पर मस्जिदों को वीरान किया जा रहा है’ वाली बात भी इस बात का समर्थन करती दिखती है कि यहां पाकिस्तान के हालात को बयान किया जा रहा है. पाकिस्तान ने साल-दर-साल अमरीका की शह पर काफ़ी कुछ किया है और सरकार की मुखालफ़त करने वाले अधिकतर लोग इस बात का आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तानी सरकार अमरीका के इशारों पर नाचती है.

इससे हिंट लेटे हुए हमने सबसे पहले गूगल पर सर्च किया ‘molvi addressing people mosque pakistan’ मगर इससे हमें कुछ ख़ास नतीजे नहीं मिले. इसके बाद हमने एक और गूगल सर्च किया – ‘mufti addressing people mosque pakistan’.

इस सर्च के रिज़ल्ट में हमें रॉइटर्स का एक आर्टिकल मिला. रॉइटर्स एक इंटरनेशनल न्यूज़ एजेंसी है. 13 अप्रैल को पब्लिश किये गए इस आर्टिकल में बताया गया था कि कैसे पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोग सरकारी आदेश की नाफ़रमानी कर रहे हैं और लॉकडाउन का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं. इस आर्टिकल में एक जगह पर लिखा हुआ है –

एक धार्मिक पार्टी से जुड़े एक बड़े नाम ने हज़ारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि धार्मिक सभाओं के आयोजन का सरकारी फ़रमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. ये लोग एक अंतिम यात्रा के दौरान इकट्ठे हुए थे. मुफ़्ती किफ़ायतुल्लाह ने लोगों की भीड़ से कहा, “अगर आप ऐसा करेंगे तो हम ये समझने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि आप अमरीका के इशारों पर हमसे मस्जिदों को छोड़ने को कह रहे हैं. हम अपनी जान देने के लिए तैयार हैं लेकिन मस्जिद नहीं छोड़ेंगे. (रॉइटर्स की अंग्रेज़ी में लिखी रिपोर्ट का हिंदी में तर्जुमा)”

ये एकदम वही बात है जो कि हमें वीडियो में दिखाई देती है. यहां से हिंट लेटे हुए हमने एक और बार इंटरनेट पर कुछ सर्च किया. इस बार ये सर्च ट्विटर पर किया गया. ट्विटर पर मुफ़्ती किफ़ायतुल्लाह सर्च करते ही हमें ये वीडियो सामने दिखा. इस वीडियो को @SAMRIReports नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया था. अपने बायो में इन्होने बताया है कि ये साउथ एशिया मीडिया रीसर्च इंस्टिट्यूट से हैं और इस हैंडल से वो भी ख़बरें ट्वीट करते/करती हैं जो कि छप नहीं सकतीं. इन्होने वीडियो ट्वीट करते हुए बताया कि किफ़ायतुल्लाह देवबंदी पंथ के मुफ़्ती हैं.

इसके अलावा हमें यही वीडियो पाकिस्तान के यूट्यूब चैनल हकीक़त टीवी के ट्विटर अकाउंट पर भी मिला.

इस ट्वीट और रॉइटर्स की रिपोर्ट से ये तो साफ़ हो जाता है कि ये वीडियो पाकिस्तान का है. और इंडिया में इस वीडियो को शेयर किया जा रहा है और साथ ही इस्लाम धर्म से जुड़े सभी लोगों को एक निगाह से देखते हुए उनके ख़िलाफ़ ज़हर उगला जा रहा है. निज़ामुद्दीन से आई ख़बरों के बाद ऐसे हमले तेज़ हो गए हैं. इससे पहले भी हम कई ऐसे दावों की सच्चाई आप तक ला चुके हैं जिसमें कोरोना वायरस के सन्दर्भ में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों को निशाना बनाते हुए पोस्ट वायरल हुए हैं.

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Ketan is Senior Editor at Alt News Hindi.