10 अप्रैल के ब्रॉडकास्ट में ‘एबीपी न्यूज़’ ने ये दावा किया कि अग़र लॉकडाउन जारी नहीं होता तो 15 अप्रैल तक देश में कोरोना वायरस के पॉज़िटिव केस की संख्या 8 लाख 20 हज़ार तक पहुंच जाती. चैनल ने ये दावा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट के हवाले से किया है. ऐंकर ने बताया कि ICMR की रिपोर्ट में ये बात बताई गई है कि देश में अग़र लॉकडाउन लागू नहीं किया जाता तो हम इटली और चीन को कोरोना के पॉज़िटिव केस के मामले में पीछे छोड़ देते. ‘एबीपी न्यूज़’ ने 10 अप्रैल के अपने ब्रॉडकास्ट को फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

Without lockdown India would have reported 8.20 lakh cases: ICMR

Without lockdown India would have 8.20 lakh cases: ICMR

Posted by ABP Live on Friday, 10 April 2020

‘एबीपी न्यूज़’ की रिपोर्ट को फ़र्ज़ी बताते हुए ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ ने 10 अप्रैल को एक आर्टिकल पब्लिश किया था. इस रिपोर्ट को ग़लत बताते हुए 14 अप्रैल को ‘एबीपी न्यूज़’ की एंकर रुबिका लियाकत ने एक वीडियो ट्वीट किया. ट्वीट किये गए वीडियो में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल एक स्टडी रिपोर्ट के बारे में बता रहे हैं. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

‘एबीपी न्यूज़’ ने इसी दावे के आधार पर एक रिपोर्ट भी पब्लिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव विकास स्वरूप ने एक प्रेस कांफ्रेंस में विदेशी मीडिया से बात करते हुए बताया कि पीएम मोदी के लॉकडाउन का फ़ैसला बहुत सही था. ICMR की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अग़र लॉकडाउन जारी नहीं किया जाता तो कोरोना पॉज़िटिव केस की संख्या 8 लाख 20 हज़ार तक पहुंच जाती. रिपोर्ट के मुताबिक ये दावा विकास स्वरूप ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में किया था.

भाजपा कर्नाटका के ऑफ़िशियल ट्विटर हैन्डल ने ‘एबीपी न्यूज़’ के ब्रॉडकास्ट को शेयर करते हुए यही दावा किया है. भाजपा कर्नाटका ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा -“ICMR research says that around 8,20,000 people would have been infected with #COVID__19 virus by 15th April if there was no #LockDown.Thanks to an early lockdown by PM @narendramodi, the number of Corona positive cases stood around 6500 as on 10th April. #IndiaFightsCorona.” मेसेज के मुताबिक, ICMR की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अगर देश में लॉकडाउन नहीं किया जाता तो 15 अप्रैल तक कोरोना पॉज़िटिव केस की संख्या 8 लाख 20 हज़ार तक पहुंच जातीं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से ये संख्या अब तक 6,500 ही है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

अपनी इस जांच में हम देखेंगे कि आखिर ‘एबीपी न्यूज़’ का दावा सही है या फ़िर ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ की रिपोर्ट.

भाजपा कर्नाटका के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए प्रज्वल कट्टाप्पा नाम के एक यूज़र ने ‘इंडियन एक्स्प्रेस’ की रिपोर्ट शेयर की. रिपोर्ट में बताया गया है कि विकास स्वरूप ने ICMR की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ये दावा किया था कि अग़र लॉकडाउन लागू नहीं होता तो 15 अप्रैल तक कोरोना केस की संख्या 8 लाख 20 हज़ार तक पहुंच जातीं. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइन्ट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने इस दावे को खारिज किया है. उन्होंने बताया कि ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है.

ICMR की वेबसाइट पर सर्च करने से हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसका ज़िक्र विकास स्वरूप ने किया था. आगे इस बारे में और जानने के लिए हमने ICMR से संपर्क किया. ICMR के रिसर्च मेनेजमेंट सेल के हेड डॉ. रजनीकान्त ने बताया, “ICMR ने ऐसी कोई रिपोर्ट पब्लिश नहीं की है. बहुत सारे मैथमेटिकल मॉडल के पेपर पब्लिश हो चुके हैं तो उसके आधार पर शायद इन्होंने ये डाटा दिया होगा. ICMR ने ऐसी कोई रिपोर्ट पब्लिश नहीं की है.”

आखिर में ये बात साफ़ हो जाती है कि ICMR ने ऐसी कोई रिपोर्ट पब्लिश नहीं कि जिसमें लॉकडाउन नहीं किये जाने से 15 अप्रैल तक कोरोना के पॉज़िटिव केस की संख्या 8 लाख 20 हज़ार पहुंच जाने का दावा किया गया हो. ICMR की एक ऐसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया गया जो रिपोर्ट हकीकत में ICMR की है ही नहीं. उनके इस दावे को बिना किसी जांच के ‘एबीपी न्यूज़’ ने प्रसारित कर दिया. इससे ये बात भी साफ़ हो जाती है कि ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ की रिपोर्ट सही है. लियाकत ने जो वीडियो ट्वीट किया है उसी वीडियो में 10वे सेकंड पर खुद लव अग्रवाल को ये कहते हुए सुनाई दे रहे है कि ICMR ने ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है. इस तरह लियाकत का दावा कि ‘न्यूज़लॉन्ड्री’ की रिपोर्ट फ़र्ज़ी है एक दम ग़लत साबित होता है.

कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते कई सारे रिसर्च और स्टडी पेपर शेयर कर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं. पहले भी केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के दो स्कॉलर्स द्वारा तैयार किये गए मैथमेटिकल मॉडल को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन का बताकर शेयर किया गया था. इस मॉडल में कोरोना वायरस को भारत से खत्म करने के लिए 49 दिनों के लॉकडाउन की बात बताई है.

ICMR की रिपोर्ट नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय

PIB ने इस प्रेस कांफ़्रेंस के वीडियो को ट्वीट करते हुए इस स्टडी रिपोर्ट का चार्ट ट्वीट किया. ट्वीट में PIB ने इस चार्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक एनालिसिस बताया है. एक तो ये चार्ट 11 अप्रैल को पब्लिक किया गया, यानी ABP न्यूज़ के ब्रॉडकास्ट के एक दिन बाद. इसके अलावा PIB ने अभी तक अपने छान-बीन के रिज़ल्ट भी नहीं पब्लिश किए हैं जिससे इन रिज़ल्ट का कोई एक्सपर्ट रिव्यु कर सके.

रिपोर्ट्स के मुताबिक विकास स्वरूप के बयान से ठीक एक दिन बाद, 11 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने एक प्रेस कांफ़्रेंस में इस स्टडी के बारें में बताया. उन्होंने कहा, “कल मुझसे एक प्रश्न पूछा गया था कि एक पर्टिक्युलर स्टडी, क्या वो ICMR की स्टडी है? जिसके बारे में मैंने आपसे कहा था कि ICMR की ऐसी कोई स्टडी नहीं है. मैं आप सब की दृष्टि में लाना चाहूंगा कि हम लोगों ने रेट ऑफ़ ग्रोथ, केसेज़ कैसे देश में किस तरह से बढ़ रहे हैं, उससे संबंधित एक एनालिसिस की थी. उसके बारे में शायद आप बात कर रहे थे. उस एनालिसिस के द्वारा मैं आपकी दृष्टि में लाना चाहूंगा, जैसे हम सबको पता है कि 22 मार्च को जनता कर्फ़्यू देश में इम्प्लिमेंट किया था जिसमें देश में हर नागरिक ने अपना सपोर्ट दिया. 25 मार्च से हम नैशनल लॉकडाउन की स्थिति में है. अग़र देखे कि हम कोई लॉकडाउन या कन्टैन्मन्ट मेज़र नहीं करते तो ये केवल स्टेटिस्टिकल रेट ऑफ़ ग्रोथ बेज़ एनालिसिस है जिसको मैं एक बार और हाईलाइट करना चाहूंगा कि ये कोई ICMR की स्टडी नहीं है. ये केवल स्टेटिस्टिकल अन्डर्स्टैन्डिंग है जिससे हमने देखा कि अग़र हम कोई एक्शन ना लेते तो शायद जिस तरह से केसेज़ बढ़ रहे थे तो 41% की ग्रोथ रेट से अग़र केसेज़ बढ़ते तो हम आज की तारीख में शायद 15 अप्रैल तक हमारे पास 8.20 लाख केसेज़ रिपोर्ट होते और उसी के तहत हम लोग देखें तो लॉकडाउन से पहले का हाइएस्ट ग्रोथ रेट 28.9 रिकार्ड हुआ तो उसके तहत शायद हमारे 1.2 लाख केसेज़ 15 अप्रैल तक रीच कर पाएंगे. उसके कम्पेरिज़न में देखें तो अब लॉकडाउन और कन्टेन्मेन्ट मेथड को 25 मार्च से लेने के बाद अगर आज की इस एनालिसिस को देखें तो आज जब हमारे पास 7,447 केसेज़ हैं… तो शायद लॉकडाउन नहीं होता और हम उसी रेट ऑफ़ ग्रोथ से जूझ रहे होते तो आज हमारे शायद 45,000 केसेज़ हुए होते. और अगर इसी तरीके से हम कोई भी मेज़र ना लेते तो शायद आज इस वक़्त हम 2 लाख केसेज़ ऑबज़र्व कर चुके होते. तो ये स्टडी मैं आप सबकी दृष्टि में इसलिए लाना चाहूंगा कि लॉकडाउन और कन्टेन्मेन्ट मेथड बहुत इम्पॉर्टेन्ट हैं ताकि हम ये बैटल से निपट सकें.”

एबीपी न्यूज़ का ब्रॉडकास्ट वायरल

भाजपा आईटी सेल के चीफ़ अमित मालवीय ने ‘एबीपी न्यूज़’ के ब्रॉडकास्ट को ट्वीट कर यही दावा किया है. मालवीय के ट्वीट को ये आर्टिकल लिखे जाने तक 2 लाख से ज़्यादा बार देखा और 8,300 बार लाइक किया जा चुका है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

भाजपा कर्नाटका की जनरल सेक्रेटरी शोभा करंदलाजे भी ये वीडियो ट्वीट किया है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

अहमदाबाद के भाजपा महिला मोर्चा ने ये वीडियो फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक) इसके अलावा एबीपी न्यूज़ का ये वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर खूब शेयर हो रहा है.

नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 10 हज़ार के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 18 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 1 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.