कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए भारत समेत दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन जारी किया गया. देश में 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा हुई थी. इस दौरान सोशल मीडिया में कई अफ़वाहें चल रही हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जाएगा. इन्हीं अफ़वाहों को सही ठहरती हुई एक तस्वीर मेसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म जैसे व्हाट्सऐप समेत सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है.

तस्वीर में सबसे ऊपर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ लिखा हुआ है जिससे ऐसा लगता है कि इसे WHO द्वारा जारी किया गया है. तस्वीर में आप देख सकते हैं कि 4 अलग-अलग स्टेप दिए गए हैं. इनके मुताबिक पहले स्टेप में 1 दिन का लॉकडाउन जारी किया जाए, दूसरे स्टेप में 21 दिनों और तीसरे स्टेप में 28 दिनों का लॉकडाउन लागू करने की बात कही गई हैं. आखिरी स्टेप में 15 दिनों का लॉकडाउन जारी करने के लिए कहा गया है. आगे लिखा गया है कि भारत सरकार भी इसी चार्ट को फॉलो कर रही है. भारत में सबसे पहले 22 मार्च को 1 दिन का लॉकडाउन जारी किया गया था. उसके बाद ये 24 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा हुई. अब आगे तीसरे स्टेप के तहत 20 अप्रैल से 18 मई तक लॉकडाउन जारी किया जाएगा और आखिरी स्टेप में 25 मई से 10 जून तक 15 दिनों का लॉकडाउन जारी होगा.

ट्विटर हैन्डल ‘@lawrence8836237’ ने ये तस्वीर WHO प्रोटोकॉल की बताते हुए शेयर की है. फ़ेसबुक पर भी ये तस्वीर शेयर करते हुए लोगों से मज़बूत तैयारी करने के लिए कहा गया है.

ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल ऐप और व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर इस तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए कई रीक्वेस्ट मिली हैं.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल हो रही तस्वीर को अग़र ध्यान से देखा जाए तो सारी सच्चाई आईने की तरह साफ़ हो जाती है. मेसेज में कई जगह पर स्पेलिंग की गलतियां नज़र आती हैं. मेसेज में शब्दों के बीच-बीच में बेमतलब की स्पेसिंग की हुई हैं. शब्दों में कहीं पर पहला अक्षर कैपिटल है तो कहीं पर स्मॉल जैसे कि Zero, LOCKDOWN, Covid-19, sameway. कहीं APRIL लिखा है तो कहीं APR. नीचे पोस्ट की गई तस्वीर में आप वर्तनी की गलतियों को लाल रंग से हाईलाइट किया हुआ देख सकते हैं.

वायरल हो रहे मेसेज का संज्ञान लेते हुए WHO ने खुद ट्वीट कर इस दावे को ग़लत बताया है. ट्वीट कर ‘WHO साउथ-ईस्ट एशिया’ ने बताया कि उनका ऐसा कोई प्रोटोकॉल नहीं है. सोशल मीडिया में शेयर हो रहा मेसेज फ़र्ज़ी है.

आगे हमने पाया कि सोशल मीडिया में शेयर हो रहा दावा शायद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और कुछ रिसर्च स्टूडेंट्स की पब्लिश हुई स्टडी रिपोर्ट्स से किया जा रहा हो.

‘आज तक’ की 30 मार्च की रिपोर्ट के मुताबिक, “केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के दो स्कॉलर्स ने एक नया मैथमेटिकल मॉडल तैयार किया है. इस मॉडल का अनुमान है कि भारत में 21 दिन के मौजूदा लॉकडाउन से वायरस पर नियंत्रण पाना मुमकिन नहीं लगता.”

केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों की रिसर्च

केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर मैथमेटिकल साइंस से जुड़े राजेश सिंह और आर अधिकारी ने एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया है जिसका नाम है ‘Age-structured impact of social distancing on the COVID-19 epidemic in India (अनुवाद – भारत में COVID-19 की महामारी के चलते विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का प्रभाव.)’

रिसर्च में संक्रमण का एक मैथेमेटिकल मॉडल दिखाया गया है. ये जिस जनसंख्या पर आधारित है उसे उम्र और अलग-अलग उम्र के लोगों में सोशल कांटैक्ट के आधार पर बांटा गया है. रिसर्च में पाया गया कि तीन हफ़्तों का लॉकडाउन इतना प्रभावी नहीं होगा जितना प्रोटोकॉल के मुताबिक लॉकडाउन जारी करने से होगा. प्रोटोकॉल में तीन अलग-अलग लॉकडाउन बताए गए है जिसमें 21 दिन, 28 दिन और 15 दिन के लॉकडाउन का सुझाव दिया गया है. ऐसा ही कुछ वायरल मेसेज में भी दावा किया गया था.

इस तरह ये बात साफ़ हो जाती है सोशल मीडिया में शेयर हो रहा दावा गलत है. WHO ने तीन अलग-अलग लॉकडाउन जारी करने का ऐसा कोई प्रोटोकॉल जारी नहीं किया है.

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