किसी चलती गाड़ी से फिल्माए गए एक वीडियो में किसी पुल के नीचे बैनर पकड़े और आगे बढ़ते हुए लोगों की एक लंबी कतार दिखाई देती है। यह वीडियो सोशल मीडिया में इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि यह देश में बढ़ते धार्मिक भेदभाव को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ हुए एक विरोध प्रदर्शन को दर्शाता है। एक उपयोगकर्ता द्वारा इस वीडियो के साथ ट्वीट किए गए कैप्शन में लिखा है, “मोदी सरकार को यह दिखाने के लिए कि सभी धर्म के लोग इस देश के नागरिक हैं, कोई भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा, लोगों ने रैली निकाली है।”- (अनुवाद) इस ट्वीट को अब तक 1000 से अधिक रीट्वीट मिल चुके हैं।

कुछ अन्य लोगों ने ऐसे ही दावे के साथ यह वीडियो ट्विटर और फेसबुक पर साझा किया है।

कश्मीर मुद्दे को लेकर विरोध के दावे के साथ भी साझा

फेसबुक उपयोगकर्ता एनम कुरैशी ने यही वीडियो, यह जताते हुए कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द करने के सरकार के कदम का यह विरोध था, “#Savekashmir” कैप्शन के साथ पोस्ट किया। इस पोस्ट ने 18,000 से अधिक शेयर अर्जित किए हैं।

तथ्य-जांच

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वीडियो में दिखाया गया विरोध प्रदर्शन नागपुर में हुआ, लेकिन धार्मिक भेदभाव या कश्मीर को लेकर किसी आंदोलन से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यह वास्तव में ‘सेव मेरिट सेव नेशन’ (SMSN) मंच के कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा राज्य सरकार की आरक्षण नीति के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए 25 अगस्त, 2019 को आयोजित रैली को दिखलाता है। SMSN का यह आंदोलन, शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की सीमा को बढ़ाने की महाराष्ट्र सरकार की नीति के विरोध के रूप में शुरू हुआ। 26 अगस्त 2019 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है, “सामान्य (अनारक्षित) श्रेणी के समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले हजारों पुरुषों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने रविवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय 50% की सीमा के विरुद्ध शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की सीमा को 74% तक बढ़ाने की राज्य सरकार की नीति का विरोध किया।”

आप सेव मेरिट सेव नेशन के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किए गए इस रैली का वीडियो देख सकते हैं।

इसी विरोध प्रदर्शन की नीचे पोस्ट की गई आवाज़ इंडिया टीवी की एक वीडियो रिपोर्ट, देखी जा सकती है।

निष्कर्षतः, नागपुर में महाराष्ट्र सरकार की आरक्षण नीति के खिलाफ आयोजित रैली का वीडियो, दो अलग-अलग झूठे दावों के साथ साझा किया गया। पहला दावा किया गया था कि एनडीए के शासन में देश में धार्मिक भेदभाव बढ़ने के खिलाफ लोग विरोध कर रहे थे, जबकि दूसरा दावा किया गया कि यह कश्मीर फैसले का विरोध था।

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.