सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है जिसे केरल के येदुरप्पा मंदिर का बताया गया है. वीडियो में लोग अल्लाह की तारीफ़ कर रहे हैं. क्लिप में शामिल वॉइस-ओवर में कहा जा रहा है कि ये एक सरकारी नीति का परिणाम है जिसमें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों और ईसाइयों को वेदों के ज्ञान के बिना पुजारियों के पदों पर नियुक्ति की जाती है.
एक ट्विटर यूज़र ने ये क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा, “केरल में कांग्रेस समर्थित सरकार द्वारा मुस्लिम व ईसाईयो को “मंदिरों में पुजारी” के पद पर नियुक्तियों का नतीजा.”
केरल में कांग्रेस समर्थित सरकार द्वारा मुस्लिम व ईसाईयो को “मंदिरों में पुजारी” के पद पर नियुक्तियों का नतीजा
😗🙄😡😡 pic.twitter.com/3drOlGHmHb— राष्ट्रवादी 🇮🇳 🚩सनातनी🚩HiNdU (@HiNdU05019434) March 19, 2023
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये क्लिप सोशल मीडिया पर कई सालों से शेयर की जा रही है. आगे शामिल टेबल में उन हाई-नेटवर्क फ़ेसबुक पेजों की लिस्ट है जिन्होंने पहले भी ये वीडियो शेयर किया है.
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KADVA SACH | 26526 | https://www.facebook.com/groups/435704259797816/permalink/5034328606602002 |
GURU JI CHARAN 👣👣 DUKH HARAN | 212085 | https://www.facebook.com/groups/218857911601267/permalink/2297368153750222 |
ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर (+91 7600011160) और मोबाइल ऐप पर इस वीडियो को वेरिफ़ाई करने के लिए कई रिक्वेस्ट मिली हैं.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने नोटिस किया कि इस वीडियो में लोगों ने कमर में काला कपड़ा बांधा है. इसे आमतौर पर हिंदू देवता अय्यप्पा के भक्त पहनते हैं. [GettyImages पर तस्वीर देखें]
इसे ध्यान में रखते हुए हमने गूगल पर की-वर्ड्स सर्च किया. हमें यूट्यूब पर चैनल ‘SBR न्यूज़1 SBR न्यूज़1’ का 2019 में पोस्ट किया गया एक वीडियो मिला.
इस वीडियो को ध्यान से सुनने पर पता चलता है कि भक्त “ला इलाहा इल्लल्लाह, ववर मोहम्मद रसूलुल्लाह” कह रहे हैं. असल में वक्ता कई बार ‘वावर स्वामी’ का ज़िक्र करता है. सबरीमाला की वेबसाइट पर हमने देखा कि वावर एक मुस्लिम संत थे जो देवता अयप्पा के भक्त बन गए थे.
2015 में पब्लिश द इकोनॉमिक टाइम्स के एक आर्टिकल में कहा गया है कि सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर की तीर्थ यात्रा करने वाले भक्त सबरीमाला मंदिर से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित एरुमेली की यात्रा करते हैं. भक्त वहां वावर मस्जिद जाते हैं. आर्टिकल में कहा गया है, “वो मस्जिद के चारों ओर घूमते हैं और अयप्पा के नाम के साथ-साथ एक मुस्लिम संत वावर, का जाप करते हैं. हिंदू भक्त वावर को वावरस्वामी भी कहते हैं.”
ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब पर सर्च किया और हमें एक वीडियो मिला जिसका टाइटल था, “थिरुमाला थिरुपथिलू सॉंग बाय पेडाना बालाजी स्वामी अय्यप्पा स्वामी डेवोशनल सांग्स तेलुगु.” इस वीडियो में दिख रहा शख्स वायरल क्लिप में दिख रहे शख्स से मेल खाता है.
डिस्क्रिप्शन से पता चलता है कि इन भक्ति गीतों को गाने वाले व्यक्ति बालाजी स्वामी हैं और गाए जाने वाले गीत तेलुगु में हैं जैसा कि वीडियो के टाइटल में लिखा है. बालाजी स्वामी का एक व्यक्तिगत यूट्यूब अकाउंट भी है जहां वो नियमित रूप से अपने गायन के वीडियोज़ अपलोड करते हैं.
ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए बालाजी स्वामी ने पुष्टि की कि वीडियो में जो गीत है, वो असल में हिन्दू देवता अयप्पा और वावर स्वामी के बारे में था. बालाजी ने कहा कि उन्होंने कुछ साल पहले सबरीमाला की तीर्थयात्रा से पहले अयप्पा भक्तों की एक सभा के बीच एलुरु (आंध्र प्रदेश) में गीत गाया था.
“अय्यप्पा के तीर्थयात्री अक्सर इन सभाओं में भाग लेते हैं जहां सबरीमाला की 18 पहाड़ियों के प्रतीक के रूप में 18 चरणों का निर्माण किया जाता है और भक्ति गीत गाया जाता है. क्योंकि वावर स्वामी इस तीर्थयात्रा के एक अभिन्न हिस्सा हैं, इसलिए मैंने सिर्फ ‘हिंदू-मुस्लिम भाई भाई’ की भावना को बढ़ाने के इरादे से अन्य भक्तों द्वारा कहे जाने पर ये पंक्तियां गाईं थी.”
बालाजी ने ऑल्ट न्यूज़ को ये भी बताया कि विवाद के बाद से ही वो अपनी पसंद के गानों को लेकर सावधान रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने कुल 23 बार अयप्पा की तीर्थ यात्रा की है. 2021 में वायरल वीडियो के बारे में इंडिया टुडे से बात करते हुए, उन्होंने बताया था कि ये वीडियो चलसानी गार्डन में शूट किया गया था जो आंध्र प्रदेश के एलुरु में है. उन्होंने आउटलेट को ये भी बताया कि वायरल क्लिप 2017 की है.
मुसलमानों और ईसाइयों को पुजारी के रूप में नियुक्त करने का कोई सबूत मौजूद नहीं है.
जहां तक मंदिरों में मुस्लिम और ईसाई पुजारियों की नियुक्ति का संबंध है, ऑल्ट न्यूज़ को ऐसी जानकारी वाली कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली.
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केरल में ऐसे मंदिर हैं जिनका प्रबंधन राज्य द्वारा संचालित मंदिर बोर्ड, निजी मंदिर बोर्ड या सामुदायिक संगठनों द्वारा किया जाता है. पांच सरकारी स्वायत्त देवस्वोम (मंदिर) बोर्ड हैं जो राज्य में 3,058 मंदिरों का प्रबंधन करते हैं. ये हैं त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड, कोचीन देवस्वोम बोर्ड, मालाबार देवस्वोम बोर्ड, गुरुवयूर देवस्वोम बोर्ड और कुडलमानिक्यम बोर्ड. इन बोर्डों की लिस्ट यहां देखी जा सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्ड की भूमिका में मंदिरों का प्रशासन, मंदिर की संपत्तियों का प्रबंधन और भक्तों के लिए सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करना शामिल है. इसमें ये भी कहा गया है कि पुजारियों सहित कर्मचारियों की भर्ती संबंधित बोर्ड द्वारा की जाती है.
2017 में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि त्रावणकोर देवस्वोम (मंदिर) भर्ती बोर्ड ने भर्ती की सूची में 6 दलित पुजारियों को शामिल करके इतिहास रचा जिसमें गैर-ब्राह्मण समुदायों के 36 लोग थे. बाद में 2020 में इसी बोर्ड ने एक ST पुजारी की नियुक्ति भी की थी. लेकिन किसी मुस्लिम या ईसाई के भर्ती होने की सूचना नहीं है.
कुल मिलाकर, आंध्र प्रदेश में हिन्दू देवता अयप्पा के एक मुस्लिम सहयोगी वावर स्वामी की स्तुति गाते हुए अयप्पा भक्तों का एक वीडियो झूठे सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया कि केरल के मंदिरों में सरकारी नीति की वजह से मुस्लिम और ईसाई पुजारी नियुक्त किए जा रहे हैं.
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