सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें दो वीडियो एक साथ चलते हुए दिखते हैं. बताया जा रहा है कि एक वीडियो पहले का है और दूसरा बाद का. पॉपुलर कल्चर में इसे ‘बिफ़ोर-आफ़्टर’ (before-after) वीडियो कहते हैं. लेफ़्ट साइड पर मौजूद वीडियो में एक दाढ़ी वाला आदमी दिखता है जो कि नोटों को अपनी नाक और मुंह पर रगड़ रहा है. इस आदमी को ये कहते हुए सुना जा सकता है – “कोरोना जैसी बीमारी का कोई इलाज नहीं क्यूंकि ये अल्लाह का अज़ाब है आप के लिए.” राइट साइड में मौजूद वीडियो में एक दाढ़ी वाला आदमी दिखता है जिसके शरीर पर चोटों के निशान हैं और वो कहता है कि रांची की पुलिस ने उसे पीटा है. इस तरह से दो वीडियोज़ को मिलाकर ये स्थापित करने की कोशिश की गयी कि मुंह और नाक पर नोटों को रगड़ कर कोरोना वायरस फैलाने वाले शख्स को पुलिस ने पीटा.
Mil gaya aur ilaaj ho gaya Dr.
Posted by Rajesh Kumar on Thursday, 2 April 2020
एक फ़ेसबुक यूज़र ने इस वायरल वीडियो को इस मेसेज के साथ पोस्ट किया – “मिल गया और इलाज हो गया डॉक्टर.”
कई और यूज़र्स ने इस वायरल वीडियो को इसी मेसेज के साथ फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है.
फ़ैक्ट-चेक
इस फ़ैक्ट चेक में हम दोनों वीडियोज़ को एक-एक कर के चेक करेंगे.
वीडियो 1
इस वीडियो कि जानकारी पाने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया और कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. 3 अप्रैल को टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने रिपोर्ट किया कि नासिक की रूरल पुलिस ने एक 40 साल के पुरुष को मालेगांव से आपत्तिजनक कोरोना वायरस से जुड़े टिकटॉक वीडियो बनाने के लिए गिरफ़्तार किया था. इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि इसे 2 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था और मालेगांव कोर्ट में अगले ही रोज़ इसकी पेशी हुई थी.
नासिक पुलिस ने इस टिकटॉक क्लिप को ट्वीट करते हुए बताया कि इसमें दिख रहा शख्स पुलिस की गिरफ्त में है.
Lawful action has been taken against the accuse by Nashik Rural Police (Maharashtra) & he is in Police Custody.@invinciblearti@rahulroushan@SuchitShukla#coronavirus https://t.co/ooFIzIh7ql
— NASHIK RURAL POLICE (@SPNashikRural) April 2, 2020
वीडियो 2
ट्विटर पर ही हमें दूसरे वीडियो का भी सन्दर्भ मिला. किसी सरफ़राज़ हुसैन ने 31 मार्च को वायरल क्लिप ट्वीट करते हुए कहा कि उन्हें आशा है कि घायल हुए शख्स को न्याय मिलेगा. इस ट्वीट में उन्होंने झारखण्ड के DGP मांडव राव, झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कई और लोगों को टैग भी किया था. हुसैन के मुताबिक़ इस वीडियो में दिख रहा शख्स मुहैब क़ुरैशी है. उन्हें हिंदपीढ़ी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हिंदपीढ़ी से कोरोना वायरस को लेकर काफ़ी ख़बरें आईं हैं. यहां प्रशासन को कोरोना वायरस की जांच करने के मामले में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. बाद में वहां के लोग जांच के लिए राज़ी हो गए थे.
माननीय मुख्यमंत्री जी
राँची हिंदपीढ़ी मुहीब कुरेशी को हिंदपीढ़ी पुलिस ने गिरफ्त क्या और थाने में 28 घंटे उन पर अत्याचार किया गया जिस में मौजूद चोट अत्याचार का का प्रमाण है जाँच किसी निष्पक्ष 1/2 @HemantSorenJMM @JharkhandCMO @JharkhandPolice @MVRaoIPS pic.twitter.com/vvtQQ5eEHn— Sarfaraz Hussain (@Sarfara12958261) March 31, 2020
मांडव राव ने हुसैन के ट्वीट पर जवाब दिया – “रांची पुलिस ने इस घटना की जांच की शुरुआत कर दी है. ज़िम्मेदार अधिकारी के ख़िलाफ़ एक्शन लिया गया है.” रांची पुलिस ने भी इस बात की तस्दीक की है.
31 मार्च की एक दैनिक जागरण की रिपोर्ट बताती है कि इस घटना के सामने आने के बाद हिंदपीढ़ी के स्टेशन इंचार्ज सुनील कुमार तिवारी को उनके पद से हटा दिया गया. रिपोर्ट में आगे लिखा हुआ है कि विक्टिम का नाम मोहम्मद मुजीब है जबकि हुसैन के ट्वीट में मुहेब क़ुरैशी नाम लिखा हुआ था. मुजीब को हिंदपीढ़ी पुलिस ने 28 मार्च को उठाया था और 24 घंटे से ज़्यादा कस्टडी में रखा. रिपोर्ट ये भी बताती है कि उसकी काफ़ी पिटाई हुई और उसे पेशाब पीने के लिए भी मजबूर किया गया. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार मुजीब को कोरोना वायरस के चलते लागू किये गए लॉकडाउन के उल्लंघन के ज़ुर्म में उठाया था.
इसलिये जिस वीडियो में ये बताया जा रहा है कि अपने मुंह और नाक पर नोटों को रगड़ने वाले शख्स की पुलिस ने पिटाई की, वो वीडियो ग़लत है. दिखाई दे रहे दोनों शख्स अलग अलग हैं. वीडियो में दिख रहा एक शख्स महाराष्ट्र का है और दूसरा झारखंड का.
नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 3,800 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 12 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 65 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.
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