रेस्टोरेंट चेन मैकडॉनल्ड्स के एक आउटलेट में तोड़फोड़ करने वाले प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो ट्विटर पर इस दावे के साथ वायरल है कि ये प्रदर्शनकारी मुस्लिम अप्रवासी थे. और उन्होंने फ्रांस की राजधानी में तबाही मचाई थी. वीडियो में ‘पेरिस’ लिखा है. वायरल वीडियो असल में नकाब पहने प्रदर्शनकारियों की कई क्लिप्स का संकलन है जो दुकानों में तोड़फोड़ कर रहे हैं और धुएं और जलते मलबे के बीच गाड़ियों और फ़र्नीचर में आग लगा रहे हैं. वीडियो में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों और फ़ायर टेंडर्स को भी देखा जा सकता है.
ट्विटर यूज़र ‘@i_desi_surya‘ ने 1 अप्रैल को ये क्लिप को इस कैप्शन के साथ ट्वीट की, “..R@pes, MurdE##, गालियां और सुरक्षा के बेकाबू हो रहे मामले अब फ्रांस को घेर रहे हैं…ये गेस करने का भी कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने किसे शांति व्यवस्थित करने के लिए कहा होगा?” कैप्शन में यूज़ किया गया वाक्य “शांति व्यवस्था” मुस्लिम समुदाय के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला एक व्यंग्यात्मक मज़ाक है. इस पोस्ट को लगभग 1 हज़ार लाइक्स और 600 रीट्वीट्स मिले हैं. (आर्काइव)
#AnEveninginParis ..At one time, one of the most beautiful peaceful cities till they allowed immigrants to settle down alongside them.. Rampant R@pes, MurdE##, Abuses and security issues engulf France now .. no points guessing whom they allowed to “peacefully settle” 😡😡 Blame? pic.twitter.com/7OgoqVx9Am
— 🇮🇳Surya Prakash ☀️🌞🔆🇮🇳 🇺🇸 (@i_desi_surya) April 1, 2023
एक और यूज़र ‘@NagarJitendra‘ ने ये वीडियो इस कैप्शन के साथ शेयर किया- ‘पेरिस में भी क्या कोई #रामनवमी का जुलूस निकला था??’ ये पोस्ट पूरे भारत में रामनवमी पर हुई झड़पों को संदर्भित करता है साथ ही इसमें ये भी बताया गया है कि पेरिस में हुए दंगों के लिए मुसलमान भी ज़िम्मेदार थे. इस पोस्ट को 2 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स और 1200 रीट्वीट्स मिले हैं. (आर्काइव)
पेरिस में भी क्या कोई #रामनवमी का जुलूस निकला था??
pic.twitter.com/v1gWSaeyeg— Dr. Jitendra Nagar (@NagarJitendra) April 1, 2023
ये वीडियो फ़ेसबुक पर भी वायरल है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने पेरिस में संभावित दंगे के बारे में यूट्यूब पर की-वर्ड्स सर्च किया और हमें इस घटना की कई रिपोर्ट्स मिलीं. 24 मार्च, 2023 को द गार्जियन के एक वीडियो में इसी घटना को एक अलग ऐंगल से दिखाया गया है. वीडियो डिस्क्रिप्शन के मुताबिक, 23 मार्च को पूरे फ्रांस में विरोध प्रदर्शन का नौवां दिन था, सड़कों पर इमैनुएल मैक्रॉन के पेंशन रिफॉर्म्स के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने रैली निकाली. इसमें ये भी कहा गया है कि कुछ नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को फ़ास्ट फ़ूड रेस्टोरेंट मैकडॉनल्ड्स सहित दुकान की खिड़कियों में तोड़फोड़ की थी. फ़्रेंच राष्ट्रपति ने विवादास्पद कार्यकारी शक्तियों का इस्तेमाल पेंशन की उम्र बढ़ाने वाले बिल को आगे बढ़ाने के लिए किया. 22 मार्च को मैक्रॉन ने बिल पारित करने के फैसले का बचाव किया जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा बढ़ गई.
दोनों वीडियो के स्क्रीनशॉट्स की तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों फ़ुटेज एक ही घटना की हैं.
इसी घटना का एक और वीडियो Newshub ने पोस्ट किया था. दोनों फ़ुटेज (अलग-अलग ऐंगल से रिकार्ड किये गए) की समानांतर तुलना से ये बात कंफ़र्म होती है कि ये वीडियो और वायरल वीडियो, दोनों एक ही घटना के हैं. दोनों क्लिप में लाल गुब्बारे के बगल में बिल्डिंग दिखती है.
अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी मैक्रॉन सरकार द्वारा पेश किए गए पेंशन रिफ़ॉर्म बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इसमें रिटायरर्मेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 कर दी गई थी.इन विरोध और हड़ताल का नेतृत्व ट्रेड यूनियनों और मजदूरों ने किया है. हालांकि, किसी विशेष धार्मिक ग्रुप के प्रदर्शन में भाग लेने या किसी सांप्रदायिक मकसद का ज़िक्र नहीं था. यानी, इस घटना का सांप्रदायिक ऐंगल पूरी तरह से ग़लत है.
कुल मिलाकर, रेस्टोरेंट और सार्वजनिक संपत्तियों को तोड़ते हुए फ्रांसीसी प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस झूठे दावे के साथ वायरल हुआ कि ये प्रदर्शनकारी मुस्लिम थे. ये ग़लत सूचना 30 मार्च को रामनवमी के दौरान पश्चिम बंगाल, गुजरात और बिहार में सांप्रदायिक दंगों की कई घटनाओं के ठीक बाद सामने आयी. हालांकि, इस दावे का फ़ैक्ट-चेक करने पर, हमें पता चला कि फ्रांसीसी प्रदर्शनकारी मुख्य रूप से ट्रेड यूनियन सदस्य थे जो फ्रांस सरकार के पेंशन रिफ़ॉर्म का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
अबिरा दास ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.
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