बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप को पिछले महीने पश्चिम चंपारण ज़िले के बेतिया के जगदीशपुर पुलिस स्टेशन में आत्मसमर्पण करने के बाद गिरफ़्तार किया गया था. उन पर तमिलनाडु में काम कर रहे बिहार के निवासियों के बारे में झूठे और भ्रामक वीडियोज़ शेयर करने का आरोप है.

ऐसे में मनीष कश्यप की कुछ वायरल तस्वीरें सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की रही हैं कि मदुरै ज़िला अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. साथ ही अदालत ने उन्हें गिरफ़्तार करने के लिए “पुलिस को फटकार” लगाई है. इसके अलावा, कुछ यूज़र्स ने ये भी दावा किया कि बिहार के इस यूट्यूबर को अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है और ज़ल्द ही इन्हें रिहा भी कर दिया जाएगा.

ट्विटर ब्लू यूज़र ‘@AnujBajpai_’ ने दावा किया कि, “मदुरै कोर्ट ने नहीं मानी Manish Kasyap की कोई गलती. पुलिस को लगाई फटकार, विरोधियों और बिहार सरकार को करारा झटका . जल्दी रिहा होंगे मनीष कश्यप.” इस ट्वीट को 24.2k से ज़्यादा व्यूज, 2 हज़ार लाइक्स और 500 रीट्वीट मिले हैं. (आर्काइव)

एक और यूज़र ‘@imrowdy_rathore’ ने पिछले ट्वीट की तरह ही कैप्शन के साथ एक वीडियो पोस्ट किया. पोस्ट को 56 हज़ार से ज़्यादा व्यूज़, 600 रीट्वीट्स और 2,500 लाइक्स मिले हैं. (आर्काइव)

ये दावा फेसबुक पर भी वायरल है. एक यूज़र चंदन शर्मा ने “आई सपोर्ट मनीष कश्यप” नामक एक फ़ेसबुक ग्रुप में इसी दावे के साथ मनीष की एक तस्वीर शेयर की जिसके 4 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स हैं. पोस्ट को 1,500 से ज़्यादा लाइक्स और 38 शेयर मिले हैं. (आर्काइव्स यहां और यहां)

‘क्रिएटर बबुआ’ नामक एक यूट्यूब चैनल ने 5 अप्रैल को एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें दावा किया गया कि मनीष कश्यप जो कि तमिलनाडु पुलिस की रिमांड पर थे. उन्हें तमिलनाडु पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. और मनीष ज़ल्द ही बिहार वापस आ जाएंगें. वीडियो में इस ख़बर के सोर्स के रूप में मनीष कश्यप के भाई करण का हवाला दिया गया है. वीडियो को 1,3000 से ज़्यादा बार देखा गया है. (आर्काइव)

कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसी तरह के पोस्ट शेयर करते हुए दावा किया कि मदुरै कोर्ट ने मनीष कश्यप को दोषी नहीं पाया.

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फ़ैक्ट-चेक

मनीष कश्यप, जिन पर बिहार के प्रवासी मजदूरों पर तमिलनाडु में हमले की झूठी खबर शेयर करने का आरोप था, ने 18 मार्च को बिहार पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. इसके बाद, उन्हें तमिलनाडु पुलिस की एक विशेष टीम द्वारा ट्रांजिट रिमांड पर तमिलनाडु लाया गया था.

गूगल पर सर्च करने पर हमें कई खबरें मिलीं जिनमें खुलासा हुआ था कि मनीष कश्यप के खिलाफ 6 अप्रैल को तमिलनाडु पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज़ किया था. द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष कश्यप मदुरै ज़िला अदालत के सामने 5 अप्रैल को पेश हुए थे. अदालत ने आदेश दिया था कि उन्हें 15 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए, जिसके बाद उन्हें मदुरै सेंट्रल जेल भेज दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है, “अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत 19 अप्रैल तक बढ़ा दी है.” यानी, ये दावा झूठा है कि मनीष कश्यप को मदुरै अदालत ने क्लीन चिट दी है.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी इस टाइटल के साथ एक रिपोर्ट पब्लिश की, ‘ट्रबल माउंट्स फ़ॉर बिहार यूट्यूबर मनीष कश्यप इन फ़ेक वीडियो केस, SC डीनाइज़ रिलीफ़ आफ्टर TN स्लैप्स NSA.’ आर्टिकल में कहा गया है कि मनीष कश्यप ने अंतरिम ज़मानत मांगी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया. TN अदालत द्वारा कश्यप को सभी आरोपों से मुक्त किए जाने की कोई ख़बर नहीं है.

अन्य मीडिया आउटलेट्स ने भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट पब्लिश की है. नीचे न्यूज़ रिपोर्ट्स का स्क्रीनशॉट अटैच किया गया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने मनीष कश्यप के वकील निरंजन एस कुमार से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि “मनीष को मदुरै कोर्ट द्वारा कोई क्लीन चिट नहीं दी गई है. उन्हें 5 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत बुक किया गया था और फ़िलहाल वो मदुरै सेंट्रल जेल में हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल को मनीष कश्यप की उस याचिका पर तमिलनाडु, बिहार और केंद्र से जवाब मांगा जिसमें उनके खिलाफ दर्ज़ कई FIR को एक करने की मांग की गई थी. जस्टिस कृष्ण मुरारी और संजय करोल की खंडपीठ ने तीनों सरकारों को इस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ़्ते का समय दिया और मामले को 21 अप्रैल को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया.

कुल मिलाकर, यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरै कोर्ट द्वारा क्लीन चिट मिलने का झूठा दावा सोशल मीडिया पर वायरल है. हालांकि, 12 अप्रैल को इस आर्टिकल के पब्लिश होने तक किसी भी अदालत ने ऐसा कोई फैसला नहीं दिया था. मनीष कश्यप पर TN पुलिस ने NSA के तहत मामला दर्ज़ किया है. मनीष कश्यप के वकील ने इसकी पुष्टि की.

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