मंदसौर, मध्यप्रदेश में जून 2018 में 8 साल की बच्ची के साथ हुए भयानक बलात्कार को सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है। हजारों यूजर्स एक संदेश शेयर कर रहे हैं, जिसके अनुसार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मंदसौर की सड़कों पर रैली निकाली और अपराधी को रिहा करने की मांग की, इसलिए क्योंकि कुरान में गैर-मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार जायज हैं। यह संदेश फेसबुक और ट्विटर पर हजारों यूजर्स ने शेयर किया है।
यह संदेश एक वेबसाइट www.indiaflare.com के लेख के साथ शेयर किया जा रहा है। इस लेख का शीर्षक है, ‘क़ुरान में दूसरे धर्म की लड़कियों से बलात्कार जायज़, इरफ़ान खान को रिहा करो।’ शायद यही लेख इस वायरल संदेश का श्रोत हो सकता है। इस लेख में दिए गए तस्वीर में कुछ मुस्लिमों को सड़क पर हाथों में तख्तियां (placards) लिए रैली करते हुए देखा जा सकता है, जिस पर ‘इरफ़ान को रिहा करो’ लिखा दिख रहा है। यह लेख 1 जुलाई को पोस्ट किया गया है जिसे अबतक 37000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है।
यह लेख पूरी तरह से बेबुनियाद है और इसमें कई झूठे दावे किए गए हैं।
1. यह फोटोशॉप की गई तस्वीर है
ऊपर पोस्ट की गई तस्वीर जो दिखाती है कि मुस्लिमों ने आरोपी के समर्थन में रैली की थी, यह फ़ोटोशॉप की गई है। ऑल्ट न्यूज़ ने Google रिवर्स इमेज खोज की और पाया कि यह प्रदर्शन वास्तव में मंदसौर में हुआ था, लेकिन यह पीड़ित के समर्थन में और आरोपी के खिलाफ था। असली तस्वीर नीचे पोस्ट की गई है।
असली तस्वीर में साफ दिखता है कि पहली तख्ती पर ‘नहीं सहेंगे बेटी पर वार, बंद करो ये अत्याचार’ जिसे इंडियाफ्लेअर वेबसाइट पर ‘इरफ़ान को रिहा करो’ कर दिया गया है। वहीँ पीछे की तख्तियों पर लिखे ‘दरिंदे को फांसी दो’ को ‘रिहा करो’ में बदल दिया गया है।
2. मुस्लिमों ने आरोपी के खिलाफ नहीं निकाली रैली
इस लेख में यह दावा भी किया गया है कि इस मामले में आरोपी को फांसी दिलवाने के लिए कोई मुस्लिम सड़क पर नहीं उतरा लेकिन कुरान का हवाला देते हुए आरोपी के पक्ष में रैली निकाली गई। यहां तक कि इसमें उन्होंने पाठकों को चेताया भी कि वे इस रिपोर्ट के बिलकुल उलट मीडिया में चल रही किसी भी अन्य रिपोर्ट का विश्वास न करें क्योंकि वे झूठी ख़बरें हैं।
इस लेख का यह दावा भी बिल्कुल झूठा है। इस बारे में फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट बताती हैं कि क्षेत्र के मुस्लिमों ने भी इस घटना के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया था और आरोपी को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की मांग की थी। कुछ संगठनों ने आरोपियों के लिए फांसी की मांग की तो कुछ ने कहा कि वे इन आरोपियों को दफ़नाने के लिए मंदसौर या नीमच में जगह नहीं देंगे।
3. कांग्रेस ने किया आरोपियों का बचाव
लेख में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस के नेता आरोपी के पक्ष में सामने आये हैं। इसी वेबसाइट पर प्रकाशित एक दुसरे लेख में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि दोनों आरोपी बेक़सूर हैं और मामले की सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए। यह भी पूरी तरह से झूठ है।
चांदी की थाली में चाटने वाला मंदशोर कांड की सीबीआई जाँच की मांग कर रहा है जबकि मामला स्पष्ट है
Posted by फिर एक बार मोदी सरकार on Sunday, 1 July 2018
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद अपने ट्विटर अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है जहां वे एक रैली में आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की मांग कर रहे दिख रहे हैं।
#मंदसौर की बेटी के साथ हैवानियत झकझोरने वाली है। इस बर्बरतापूर्ण कृत्य की फाँसी के सिवाय कोई सज़ा हो ही नहीं सकती| सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है की मामला फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाये और 15 दिन के भीतर सज़ा हो ये सुनिश्चित करें|#JusticeForMandsaurGirl pic.twitter.com/wqnbwVrZ5h
— Jyotiraditya Scindia (@JM_Scindia) July 2, 2018
इंडियाफ्लेअर वेबसाइट के बारे में
ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह पता लगा कि इस वेबसाइट को पिछले महीने 22 जून को ही रजिस्टर करवाया गया है। वेबसाइट पर जाकर कोई भी आसानी से देख सकता है कि यहां कई भ्रामक तरह के ‘समाचार’ रिपोर्ट्स हैं।
इस वेबसाइट का ट्विटर अकाउंट @indiaflarecom भी जून 2018 में बनाया गया है, जिससे अब तक करीब 10 ट्वीट ही किए गए है।
इंडियाफ्लेअर के लेख में न केवल मुस्लिम समुदाय को भयावह तरीके से लक्षित किया गया है बल्कि नकली फोटो और गलत जानकारी द्वारा इस मंदसौर बलात्कार मामले को कठुआ मामले से तुलना करने की कोशिश भी की गई है, जहाँ आरोपी के समर्थन में कुछ लोगों ने रैली निकाली थी। ऑल्ट न्यूज ने देखा है कि हाल के दिनों में कई संदिग्ध वेबसाइटें बढ़ी हैं जो समाचार पोर्टल होने का दावा करती हैं। ये वेबसाइटें सनसनीखेज सुर्खियों के साथ लेख पोस्ट करती हैं और गलत जानकरियां फैलाती है जो अक्सर सांप्रदायिक होते हैं। पाठकों को इन वेबसाइटों से मिलने वाली जानकारी के संबंध में सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
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