“NCRB की रिपोर्ट: महिलाओं के लिये भारत सर्वाधिक असुरक्षित है कारण: भारत में 95% बलात्कार मुल्ले करते हैं 2016 मे कुल 84734 बलात्कार में से 81000 बलात्कार मुल्लों ने किया और इनकी शिकार महिलाओं में से 96% महिलाएं गैर मुस्लिम हैं इनके जनसंख्या बढेगी बलात्कार की संख्या बढते जायेगी।” यह संदेश फ़िलहाल सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर फैल रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारी संख्या में होने वाले बलात्कार के लिए मुस्लिम पुरुष ज़िम्मेदार हैं और ज्यादातर पीड़ित गैर-मुस्लिम महिलाएं हैं। यह संदेश बताता है कि ये आंकड़े साल 2016 के हैं।
यह संदेश शेयर करने वालों में एक नाम पोस्टकार्ड न्यूज़ के संस्थापक महेश विक्रम हेडगे का भी है, जिन्होंने बिना NCRB को हवाला दिए यह ट्वीट किया। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक इस ट्वीट को 1600 से ज्यादा बार रिट्वीट किया जा चूका है। इनको ट्विटर पर पीएम मोदी भी फॉलो करते हैं।
From 2016-2018,
Total 84374 rapes happened in the country81000 rapists were Musl*ms
96 % of the women and the children targeted by the rapists were Hindus
In nation it’s not Musl*ms
Who are in danger but HINDUS— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) July 3, 2018
इस तरह के भड़काऊ दावे को ट्विटर और फेसबुक पर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं।
ये कुछ उदाहरण है कि किस तरह बहुसंख्यक समुदाय के मन में मुस्लिमों को ज्यादातर बलात्कार का कारण बताकर भयभीत किया है।
क्या NCRB धर्म के आधार पर अपराध का डेटा निकालती है?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भारत में अपराध पर आंकड़ों के संकलन के लिए प्रमुख संस्था है। ‘भारत में अपराध’ (क्राइम इन इंडिया) पर एनसीआरबी डेटा का अंतिम रिपोर्ट 2016 में किए गए अपराध की घटनाओं की एक सूची है। 2016 में अपराधों को दर्ज करने के तरीकों के अनुसार यह ‘आबादी’ सेगमेंट है जो दस्तावेज में जिस तरह के अपराध दर्ज किए जाते हैं, इस आधार पर जनसांख्यिकी को परिभाषित करता है। अपराध को रिकॉर्ड करने के लिए धर्म का कोई संदर्भ नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार, ब्यूरो ‘अपराधिक नियम’ का पालन करता है। अपराध की गिनती एक ही एफआईआर मामले में पंजीकृत कई अपराध में से सबसे जघन्य अपराध को गिनती इकाई के रूप में माना जाएगा। (अनुवाद)
हमने 2016 की ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट से सम्बंधित स्क्रीनशॉट नीचे पोस्ट किए हैं। नीचे दिखाया गया डेटा 2016 में विभिन्न राज्यों में बलात्कार की घटनाओं का एक सूची है। जैसा कि देखा जा सकता है, वहां दो व्यापक श्रेणियां हैं जिनके तहत बलात्कार के अपराधों को शामिल किया जाता है- पीड़ितों का आयु वर्ग, और पीड़ितों से अपराधियों के संबंध।
1. बलात्कार पीड़ितों को आयु समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। पीड़ितों के रूप में किसी विशेष धर्म की महिलाओं का कोई उल्लेख नहीं है।
2. पीड़ितों से अपराधियों के संबंध को व्यापक तौर से दो श्रेणियों में रखा गया है जिसमें पहला, पीड़ित अपराधी से परिचित है और दूसरा पीड़ित अपराधी से अपरिचित है।
जैसा कि ‘क्राइम इन इंडिया’ के डेटा रिपोर्ट में देखा जा सकता है, धर्म का कोई संदर्भ नहीं है और ये डेटा पीड़ितों के उम्र और अपराधियों से रिश्ते तक ही सीमित है।
NCRB: गलत डेटा से तथ्यों का हेर-फेर
ऑल्ट न्यूज़ को इस दावा के संबंध में दिए गए आधिकारिक बयान में एनसीआरबी ने स्पष्ट किया है, “यह पूरी तरह से गलत डेटा है और तथ्यों की पूरी गलत जानकारी दी गयी है क्योंकि एनसीआरबी आरोपी और पीड़ितों के धर्म पर डेटा एकत्र नहीं करता है। यह दुर्भावनापूर्ण प्रचार है, जिसपर क़ानूनी कारवाई करने की आवश्यकता है। इससे संबंधित अधिकारियों को कानूनी कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी गई है।”
सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए ऐसे संदेश का प्रचार नफरत फ़ैलाने वालों का मुख्य विषय है जिसमें हर दिन और ज्यादा संदेहपूर्ण, पूर्वाग्रह और नफरत फ़ैलाने के तरीके तैयार किए जाते हैं। ऐसे संदेश सोशल मीडिया यूजर्स के उस खास जानकारी से अनजान होने का फायदा उठाते हैं, जो एनसीआरबी जैसे संस्थान की डेटा और कार्य से अवगत नहीं होते हैं।
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