13 अगस्त को दोपहर में एक खबर आई कि JNU के छात्र नेता उमर खालिद पर एक अनजान हमलावर ने गोली चलाई। इन ख़बरों के मुताबिक यह घटना कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर हुई। खालिद बच गए और हमलावर अपनी पिस्तौल वहीँ छोड़ कर फरार हो गया।

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर जल्द ही प्रतिक्रिया आने लगी। दैनिक भास्कर के पत्रकार संतोष कुमार का एक विडियो बहुत तेजी से फ़ैल गया। इस विडियो में दावा किया गया कि कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर यह घटना जरुर हुई लेकिन उस घटना के वक्त उमर खालिद वहां मौजूद नहीं थे।

संतोष कुमार ने यह दावा किया कि वह उस घटना के वक्त वहीँ पर थे जब कांस्टीट्यूशन क्लब के बाहर चाय दुकान के समीप दो लोगों के बीच अचानक झड़प शुरू हो गई थी। एक हमलावर के हाथ में बंदूक था और उसने दूसरे व्यक्ति को जमीन पर धकेल दिया और उस पर गोली मारने ही वाला था तभी अन्य लोगों ने इसका उसे धक्का दिया जिसके कारण वह कुछ दूरी पर हवा में गोली मारने के बाद वहां से भाग गया। कुमार ने यह भी दावा किया कि उमर खालिद उस जगह पर तब मौजूद नहीं थे जब फायरिंग हुई। वह बाद में कांस्टीट्यूशन क्लब से बाहर आए।

यह विडियो विकास भादुरिया ने पोस्ट किया था जो ABP न्यूज़ के पत्रकार हैं। कुछ ही समय में भादुरिया के इस वीडियो को 1600 से ज्यादा बार रिट्वीट किया गया और प्रमुख दक्षिण पंथी यूजर्स द्वारा इस वीडियो को खालिद पर हमले का प्रत्यक्षदर्शी बताकर इस घटना को एक अलग मोड़ दिया जाने लगा। पोस्टकार्ड न्यूज़ के संस्थापक महेश विक्रम हेगड़े ने भी संतोष कुमार का वीडियो शेयर किया, और कुछ वो भी जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं।

यह दावा कि उमर खालिद उस वक्त वहां नहीं थे जब यह घटना हुई थी, फेसबुक पर भी कुछ ही समय में फ़ैल गया।

संतोष कुमार का दूसरा बयान

पत्रकार संतोष कुमार प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करते हुए बयान दिए थे। उनके इस बयान को कुछ ही समय में दक्षिणपंथी यूजर्स द्वारा यह कहते हुए फैलाया जाने लगा कि उमर खालिद नाटक कर रहे हैं वह घटना के वक्त वहां मौजूद ही नहीं थे। कुछ ही समय बाद संतोष कुमार ने अपने किये गए दावों में बदलाव करते हुए यह कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि जिस लड़के पर बंदूक ताना गया था वह उमर था या नहीं।

उल्लेखनीय है कि कुमार ने पहले कहा था कि खालिद वहां मौजूद नहीं थे जब यह घटना हुई थी। ऑल्ट न्यूज़ ने उमर खालिद से संपर्क किया और इस घटना की जानकारी उनसे लेने की कोशिश की। खालिद ने कहा, “यह घटना संविधान क्लब के बाहर एक चाय दुकान के बगल में हुई थी। जब हम वहां से निकल रहे थे, तभी एक लड़का पीछे से आया, मेरी गर्दन पकड़कर मुझे धक्का दिया। मैं किचर में गिर गया। उसने एक पिस्तौल निकाला और मुझे निशाना बनाने लगा। मेरी सहज प्रतिक्रिया थी कि उसे मुझपर निशाना न बनाने दूँ और उसके हाथों को खुद से दूर रखूं। मेरे दोस्तों ने भी विरोध कर उसे एक तरफ धक्का दिया। उसके बाद वह उस जगह से भाग गया।” ऑल्ट न्यूज़ ने उमर खालिद के फेसबुक पर इस घटना के बारे में संवाददाताओं से बात करते हुए एक वीडियो भी पाया।

यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि खालिद का बयान पूरी तरह संतोष कुमार के दावे से मेल खाता है। बस इतना ही फर्क है कि खालिद के अनुसार जिस पर हमला हुआ था वो व्यक्ति वही है जबकि कुमार ने पहले यह कहा था घटना के समय उमर वहां मौजूद नहीं थे। हालांकि बाद में कुमार ने अपने बयान ने बदलाव करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता जिसपर हमला हुआ वो व्यक्ति कौन था।

ऑल्ट न्यूज़ ने बानज्योत्सना लाहिरी से भी बात की, जो खालिद के साथ कांस्टीट्यूशन क्लब में आई थी और घटना के दौरान मौके पर उपस्थित थी। उन्होंने कहा, “हमलोग सब बाहर चाय पी रहे थे। जैसे ही हम वहां से निकल रहे थे तभी कोई आया और उमर को पीछे से पकड़ लिया। मैंने सोचा शायद कोई दोस्त होगा, तभी वह उसे (उमर को) नीचे गिरा दिया। उसके दाहिने हाथ में एक बंदूक थी जो मुझे पहले नहीं दिखी। मैंने उसे हटाने का प्रयास किया तभी वह दो कदम पीछे हटा और बंदूक तान दिया। जब वह पीछे हटा तब हमने उसके हाथ में बंदूक देखा फिर वह भागने लगा। हमने उमर को कांस्टीट्यूशन क्लब के गेट के पास सुरक्षित जगह तक छोड़ा फिर हम तीनों उसे (हमलावर को) पकड़ने दौड़े, तबतक वह कुछ दूर चला गया था। हमने गोली चलने की आवाज सुनी, वह भाग गया था लेकिन बंदूक सड़क पर पड़ी हुई थी।” (अनुवाद)

ऑल्ट न्यूज़ ने शरीक हुसैन से भी बात की, वह भी उस घटना के समय उमर खालिद के साथ थे। उन्होंने कहा, “हम लोग चाय पीके जैसे ही वापस जाने लगे, किसी ने खालिद को गर्दन के पास पकड़ा और नीचे गिरा दिया। उसके पास एक बंदूक थी जो खालिद के पेट के पास थी। मैंने हमलावर के हाथ पर मारना शुरू किया और उसे कुछ दूर तक जा धकेला। वह पीछे मुड़ा और मुझपर गोली चलाई। उसके बाद वह बंदूक वहीँ छोड़ कर भाग गया। “ (अनुवाद)

उमर खालिद सहित तीनों के बयान जो वहां मौके पर मौजूद थे, इन सबके बयान एक तरह के ही हैं। इन सब ने जो कहा, वह बड़े हद तक संतोष कुमार के बयान से मेल खाता है जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हालाँकि कुमार का दावा कि खालिद उस समय वहां मौजूद नहीं थे एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी के बयान कि खालिद को ही निशाना बनाया गया था से बिलकुल विपरीत था। बाद में कुमार ने ट्वीट किया कि उन्हें नहीं मालूम कि जिसपर हमला हुआ वह खालिद थे या नहीं।

हालांकि पुलिस ने स्पष्ट किया है कि इस घटना की जांच चल रही है, चिंता का विषय यह है कि इस घटना की गंभीरता को देखते हुए उमर खालिद को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर एक आक्रामक, संगठित अभियान पहले से चल रहा है। एक पत्रकार की गवाही के आधार पर यह मामला संदिग्ध बन गया था लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान बदल दिया है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.