बुर्का पहने एक व्यक्ति की तस्वीर सोशल मीडिया में व्यापक रूप से शेयर की गई है। इसके साथ संदेश में इसे बुर्के की आड़ में ‘वोट जिहाद’ की संज्ञा दी गई है। इस संदेश के अनुसार, यह तस्वीर उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे बुर्का पहनकर वोट देने की कोशिश में रंगे हाथ पकड़ा गया। यह मुज़फ्फरनगर के भाजपा सांसद संजीव बाल्यान का भी जिक्र करता है, जिन्होंने यह कहते हुए ‘फर्जी मतदान’ का आरोप लगाया था कि बुर्का पहने मतदाताओं की मतदान अधिकारियों द्वारा जाँच नहीं की जा रही थी, जिससे फ़र्ज़ी मतदान हुआ है। मुज़फ्फरनगर में 11 अप्रैल को लोकसभा के लिए मतदान के पहले चरण में वोट डाले गए।
यह संदेश इस प्रकार है, “मुजफ्फरनगर मे संजीव बालियान ने सही मुद्दा उठाया है बुर्का वोट जैहाद को बढावा दे रहा है, मतदान केन्द्र के बाहर ही बुर्के वालियो की जांच हो चेहरे का मिलान हो 72 हूरो की इच्छा रखने वाले ही बुर्के मे हूर बनकर जा रहे है। कई जगह पर ये हूरे बुर्के मे कैद हुई पकडी गई।”
ऊपर दिया स्क्रीनशॉट, फ़ेसबूक ग्रुप ‘बीजेपी मिशन 2019‘ का है। इसे एक यूज़र तन्मय तिवारी द्वारा पोस्ट किया गया है। यह पोस्ट पहले ही 2,000 से अधिक बार शेयर किया जा चुका है। इसे ऋषिकांत सिंह पेज से भी 2500 से ज्यादा बार शेयर किया गया है। ट्विटर पर एक यूज़र, चौकीदार पुनीत पांडे के ट्वीट को 700 से अधिक बार रिट्वीट किया गया है।
मुजफ्फरनगर मे संजीव बालियान ने सही मुद्दा उठाया है @aajtak @abpnewshindi मतदान केन्द्र के बाहर ही बुर्के वालियो की जांच हो चेहरे का मिलान हो 72 हूरो की इच्छा रखने वाले ही बुर्के मे हूर बनकर जा रहे है। कई जगह पर ये हूरे बुर्के मे कैद हुई पकडी गई।@narendramodi pic.twitter.com/etC0cWRQ3G
— चौकीदार पुनीत पान्डेय( मैं मोदी हू) (@punit0022) April 11, 2019
कई यूज़र्स ने ये तस्वीरें इसी संदेश के साथ ट्वीट की हैं।
2015 की तस्वीर
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये तस्वीरें पहली बार सितंबर 2015 में सार्वजनिक रूप से दिखाई दी थीं। 30 सितंबर, 2015 को, एक फ़ेसबुक यूज़र द्वारा तीन तस्वीरें पोस्ट की गई थीं जिसमें लिखा गया था कि बुर्का पहने व्यक्ति गुजरात का एक RSS नेता है जो एक मंदिर के अंदर गोमांस फेंकते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था। यह तस्वीरों के ऑनलाइन प्रदर्शित होने का सबसे पहला उदाहरण था जिसे ऑल्ट न्यूज़ खोज पाया।
अगले दिन यानी, 1 अक्टूबर, 2015 को, ऑनलाइन मीडिया प्रकाशन ScoopWhoop ने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें एक फ़ेसबूक पोस्ट का उल्लेख था। इस पोस्ट के अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति RSS कार्यकर्ता था।
ऑल्ट न्यूज़ को वायरल दावे के अनुरूप किसी घटना की एक भी खबर नहीं मिली। हालांकि, पूर्व में प्रसारित वह दावा कि वह व्यक्ति RSS का सदस्य था, सत्यापित नहीं किया जा सका; लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि विचाराधीन तस्वीरें सितंबर 2015 से सोशल मीडिया में प्रसारित हो रही हैं, इसलिए, ये लोकसभा चुनाव 2019 से संबंधित घटनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकतीं।
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