सबसे लंबे समय तक ब्रिटेन की शासन करने वाली महारानी एलिज़ाबेथ II का पिछले सप्ताह निधन हो गया. इसके बाद सोशल मीडिया पर जवाहरलाल नेहरू का एक वीडियो शेयर किया जा रहा है जिसमें वो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में दिख रहे हैं. ये दावा किया जा रहा है कि जवाहरलाल नेहरु ने रानी के प्रति वफादारी दिखाने के लिए “1956 में लंदन की नागरिकता ले ली थी.”
वीडियो में एक व्यक्ति को नेहरू का अभिनंदन करते हुए सुना जा सकता है, “इस शहर के चेम्बरलेन के रूप में ये मेरा सौभाग्य है कि फ़ेलोशिप के राईट हैंड के रूप में और लंदन के नागरिक के रूप में आप दोनों का स्वागत करूं.”
ट्विटर यूज़र @TheRudra1008 ने इस वीडियो क्लिप को इसी दावे के साथ शेयर किया. इस वीडियो को 40 हज़ार से ज़्यादा व्यूज मिले. (आर्काइव्ड लिंक)
𝗛𝗼𝘄 𝗺𝗮𝗻𝘆 𝗼𝗳 𝘆𝗼𝘂 𝗸𝗻𝗼𝘄 𝘁𝗵𝗮𝘁 𝗡𝗲𝗵𝗿𝘂 𝘁𝗼𝗼𝗸 𝗖𝗶𝘁𝗶𝘇𝗲𝗻𝘀𝗵𝗶𝗽 𝗼𝗳 𝗟𝗼𝗻𝗱𝗼𝗻 𝗶𝗻 𝟭𝟵𝟱𝟲 & 𝘁𝗼𝗼𝗸 𝗼𝗮𝘁𝗵 𝘁𝗼 𝗯𝗲 𝘁𝗿𝘂𝗲 𝘁𝗼 𝘁𝗵𝗲 𝗤𝘂𝗲𝗲𝗻 𝗼𝗳 𝗘𝗻𝗴𝗹𝗮𝗻𝗱 ? 🤔 pic.twitter.com/HHdlVFDcoy
— 𝗔𝗵𝗮𝗺 𝗕𝗿𝗮𝗵𝗺𝗮𝘀𝗺𝗶 (@TheRudra1008) September 18, 2022
वेरीफ़ाईड ट्विटर हैंडल सुधीर ने उसी क्लिप का एक अलग वर्जन शेयर करते हुए लिखा, “रीट्वीट करें, अगर उन्होंने आपको अपने इतिहास लेसन में ये नहीं सिखाया है.” इस वीडियो क्लिप को 75 हज़ार से ज़्यादा बार देखा जा गया है. आर्टिकल पब्लिश होने से पहले ये ट्वीट डिलीट कर लिया गया. (आर्काइव्ड लिंक)
ट्विटर यूज़र अनूप वर्मा (रिटायर्ड) ने भी यही दावा किया. ये खुद को एक रक्षा विश्लेषक और राजनीतिक टिप्पणीकार बताते हैं. (आर्काइव्ड लिंक)
In 1956, Nehru took citizenship of London & took oath to be true to the Queen Elizabeth pic.twitter.com/y7dnlcbIF3
— Flt Lt Anoop Verma (Retd.) 🇮🇳 (@FltLtAnoopVerma) September 19, 2022
ट्विटर यूज़र @BeingBHK ने भी इस दावे को आगे बढ़ाने का काम किया है. इस ट्वीट को 800 से ज़्यादा रीट्वीट मिले हैं. (आर्काइव्ड लिंक)
Do you know that Jawaharlal Nehru was enrolled as a citizen of London in 1956 and he took oath to be true to Queen Elizabeth..? pic.twitter.com/DV4x0xcLlK
— BHK🇮🇳 (@BeingBHK) September 18, 2022
ये वीडियो यूट्यूब शॉर्ट्स और फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि यूज़र @TheRudra1008 ने जो वीडियो पोस्ट किया उसमें ऊपरी दाएं कोने पर एक वॉटरमार्क था जिस पर ‘ब्रिटिश पाथ’ लिखा था.
इसे ध्यान में रखते हुए हमने की-वर्ड्स सर्च किया. हमें ब्रिटिश पाथ वेबसाइट पर वीडियो क्लिप का थोड़ा लंबा वर्जन देखा. ये UK के सबसे पुराने न्यूज़रील आर्काइव्स में से एक है. ये वीडियो क्लिप उनके यूट्यूब चैनल पर भी मौजूद है.
इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “भारत के नेहरू और न्यूज़ीलैंड के मिस्टर हॉलैंड, दो महान प्रधानमंत्री गिल्डहॉल में लंदन शहर की स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं.” बीबीसी के मुताबिक, ये समारोह 3 जुलाई 1956 को आयोजित किया गया था.
स्टॉक इमेज वेबसाइट अलेमी में 1956 में फ्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ़ लंदन समारोह में भी नेहरू की तस्वीरें हैं.
लंदन शहर की स्वतंत्रता समारोह क्या है?
लंदन की ऑफ़िशियल वेबसाइट के मुताबिक, लंदन शहर के स्वतंत्रता समारोह को, “आज भी सबसे पुराने जीवित पारंपरिक समारोहों में से एक माना जाता है. इसे पहली बार 1237 में पेश किया गया था.” बीबीसी के मुताबिक, “लंदन शहर की स्वतंत्रता की परंपरा 13वीं शताब्दी की है. उस वक्त विशेषाधिकार इससे आकर्षित हुए जिसमें एक तलवार के साथ शहर में जाने की अनुमति भी शामिल थी.”
इस सम्मान को एतिहासिक संदर्भ देते हुए लंदन की ऑफ़िशियल वेबसाइट में बताया गया है, “मिडिवल शब्द ‘फ्रीमैन’ का मतलब किसी ऐसे व्यक्ति से है जो एक सामंती संपत्ति का स्वामी नहीं होता था, लेकिन उन्हें पैसे कमाने के अधिकार और अपनी ज़मीन जैसे विशेषाधिकारों की सुविधा मिलती थी. शहर के ऐसे निवासी जिन्हें अपने शहर या शहर के चार्टर द्वारा प्रोटेक्ट किया जाता था. वे स्वतंत्र थे – इसलिए शहर के लिए ‘फ्रीडम’ या ‘आज़ादी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता था.”
अगर आप इस परंपरा के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं तो सिटी ऑफ़ लंदन के यूट्यूब चैनल पर 2013 में अपलोड किया गया वीडियो देख सकते हैं. इस वीडियो में 45 सेकंड पर गिल्डहॉल मरे क्रेग में चेम्बरलेन कोर्ट के वर्तमान क्लर्क ने कहा कि ये सम्मान “बड़े पैमाने पर प्रतीकात्मक” है. हालांकि, एतिहासिक रूप से इसे व्यापार का अधिकार दिया गया. एक विशेषाधिकार जो ‘फ्रीडम’ ने दिया, वो लंदन पुल पर बिना टोल के भेड़ों को ले जाना था. इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन के पत्रकार टॉम हारवुड को ये सम्मान दिया गया था. एक ट्वीट में उन्होंने जुबानी अंदाज़ में लिखा, “ये कहते हुए खुशी हो रही है कि मुझे आज सुबह लंदन शहर की स्वतंत्रता दी गई है और इसके परिणामस्वरूप अब मुझे लंदन ब्रिज के पार भेड़ चराने की अनुमति है.”
वेबसाइट पर ये स्पष्ट किया गया है कि “आज कल शहर की स्वतंत्रता प्राप्त करने के ज़्यादातर व्यावहारिक कारण गायब हो गए हैं.” लंदन शहर की स्वतंत्रता तीन श्रेणियों में की जाती है. वर्गीकरण इस बात पर आधारित है कि टाइटल कैसे दिया जाता है. सबसे ऊपर स्वतंत्रता है. इस मामले में इसे पाने वाले को सामान्य परिषद के न्यायालय द्वारा स्वतंत्रता लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है. वेबसाइट के मुताबिक, “प्रस्तुति समारोह आमतौर पर गिल्डहॉल या मेंशन हाउस में लॉर्ड मेयर, एल्डरमेन, कॉमन काउंसलर और आमंत्रित अतिथियों के सामने होता है.” समारोह के जगह के आधार पर ऐसा लगता है कि जवाहरलाल नेहरू को मानद स्वतंत्रता प्रदान की गई थी. अन्य दो श्रेणियां विशेष नामांकन और आमंत्रण द्वारा दी जाने वाली स्वतंत्रता हैं.
वेबसाइट में सम्मान पाने वाले द्वारा पढ़ी गई घोषणा भी बताई गई है:
“मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता हूं कि मैं हमारी संप्रभु महिला महारानी एलिज़ाबेथ II के प्रति अच्छा और सच्चा रहूंगा. मैं इस नगर के महापौर की आज्ञा मानूंगा. मैं उसके फ्रेंचाइजी और रीति-रिवाजों को बनाए रखूंगा. और इस शहर को समस्या से दूर रखूंगा. मैं रानी की शान्ति के लिए खुद पर काम करुंगा. मैं रानी की शांति के विरुद्ध की गई सभाओं और षड्यंत्रों में शामिल नहीं होऊंगा, लेकिन मैं उसके मेयर को चेतावनी दूंगा, या इसे अपनी शक्ति से रोकूंगा. और इन सब बातों और आर्टिकल्स को मैं इस नगर के नियमों और रीति-रिवाजों के अनुसार अपने अधिकार में रखूंगा.” [गैर-ब्रिटिश और ब्रिटिश राष्ट्रमंडल नागरिकों के पास “हमारी संप्रभु महिला” को “महामहिम” से बदलने का विकल्प है.]
1996 से पहले, ये समारोह ब्रिटिश या राष्ट्रमंडल नागरिकों के लिए खुला था. लेकिन अब, ये सभी देशों के व्यक्तियों के लिए भी खुला है. एक विकिपीडिया पेज में इस सम्मान को पाने वाले लोगों की लिस्ट है. हमें लंदन शहर की स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले लोगों के बारे में कई ट्वीट्स भी मिले.
नेहरू के अलावा अन्य भारतीय जिन्हें ये सम्मान मिला
नेहरू के अलावा, विकिपीडिया पेज में स्वतंत्रता सेनानी वीएस श्रीनिवास शास्त्री और 1853 से 1883 तक हैदराबाद राज्य के प्रधानमंत्री सालार जंग प्रथम को सम्मान पाने वाले के लिस्ट में रखा गया है.
राजस्थान स्थित डीम्ड विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक डॉक्यूमेंट के मुताबिक, जैन विश्व भारती संस्थान, शास्त्री को 1921 में इस उपाधि से सम्मानित किया गया था. (PDF का पेज 4 देखें)
ऑल्ट न्यूज़ ने फ़्रीडम ऑफ़ द सिटी ऑफ़ लंदन समारोह के लिए एक बेहतर सोर्स सर्च करने के लिए गूगल पर एक और की-वर्ड्स सर्च किया. हमने देखा कि एम ए नईम और धर्मेंद्र प्रसाद द्वारा लिखित किताब ‘द सालार जंग’ में इसका ज़िक्र है. किताब की स्कैन की गई कॉपी सालार जंग संग्रहालय की वेबसाइट पर मौजूद है. स्कैन की गई कॉपी का रिज़ॉल्यूशन कम होने के कारण, हमने गूगल बुक्स पर किताबें ढूंढी और वहां भी हमें यही किताब मिली. पेज नंबर 21 पर ये कहा गया है कि सालार जंग इस उपाधि से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय थे. पाठकों को ध्यान देना चाहिए कि किताब गूगल बुक्स पर मिल जाती है, लेकिन विशिष्ट पेज को पढ़ने के लिए प्रीव्यू मौजूद नहीं है. इसलिए हमने स्कैन की गई कॉपी में संबंधित सेक्शन को पढ़ा और देखा कि ये समारोह 1876 में आयोजित किया गया था.
2019 में भारतीय स्टेट बैंक के UK संचालन के रीज़नल प्रमुख संजीव चड्ढा ने लंदन शहर की स्वतंत्रता सम्मान प्राप्त की.
The outgoing Regional Head of @TheOfficialSBI‘s UK operations Sanjiv Chadha today received the Freedom of the City of London. The CEO follows in the footsteps of other distinguished Indians, including Jawaharlal Nehru, the first prime minister of the Republic of India. @sbi_uk pic.twitter.com/OQEZXxcx06
— City of London (@cityoflondon) February 4, 2019
कुल मिलाकर, कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने 1956 में लंदन के शहर की स्वतंत्रता समारोह में जवाहरलाल नेहरू और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री सर सिडनी जॉर्ज हॉलैंड की एक वीडियो क्लिप भ्रामक दावे के साथ शेयर की. दावा किया गया कि ये जवाहरलाल नेहरू को “लंदन की नागरिकता” स्वीकार करते हुए दिखाया गया है. फ़ैक्ट-चेक से ये साफ़ है कि समारोह का किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता या नागरिकता से कोई संबंध नहीं है. हालांकि, ये मान्यता और कुछ विशेषाधिकार प्रदान करता है जो आज के समय में सबंधित नहीं हैं.
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