“..हम हमेशा चुप रहे; छात्रों ने जो भी किया, अच्छा किया. हमारे पास कहने को कुछ नहीं था. हम चुप रहे… उन्होंने जो कुछ भी किया वो ठीक था. लेकिन आज इन सबके बीच हम बलि का बकरा क्यों बनें? हमारी ग़लती क्या है? क्या ये कि हम हिंदू हैं? आज जब देश में ये स्थिति पैदा हुई तो दूसरी दिशा से जुलूस लेकर आये और मेरे घर में घुस आये. मेरे पापा का बिज़नेस यहीं है… मेरा भाई एक डॉक्टर है और उसका चैंबर भी हमारे घर के अंदर ही है. उन्होंने कमरे में घुसकर, सब कुछ तोड़ दिया, और कुछ भी नहीं छोड़ा. वो मेरे चाचा और मेरे भाई को ढूंढ रहे थे. मेरी माँ असहाय होकर देखती रही और उन्होंने घर की हर छोटी चीज़ को तोड़ दिया…उन्होंने मेरे पापा को पीटा…

ये एक बांग्लादेशी हिंदू महिला की लाइवस्ट्रीम का सिर्फ एक हिस्सा है जिसमें उसने बताया कि कैसे उसके परिवार पर उनकी धार्मिक पहचान के कारण हमला होने के बाद उसे देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. उसने बताया कि उसके पिता का घर बांग्लादेश के बरिशाल ज़िले में स्थित मथबरिया में है और इस बात पर ज़ोर देती है कि हमले से पहले उसके परिवार को कभी किसी के साथ कोई समस्या नहीं हुई थी.

इस वीडियो में दिख रही महिला निश्चित तौर पर अकेली नहीं है. बांग्लादेश में कई हिंदू परिवारों को इसी तरह के हेट क्राइम का सामना करना पड़ा था जब पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना (जिन्होंने 15 सालों तक देश का नेतृत्व किया था) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और 5 अगस्त को देश छोड़ दिया था, इसके कुछ ही मिनट बाद प्रदर्शनकारियों ने उनके आधिकारिक आवास पर धावा बोल दिया था. शेख हसीना के इस्तीफे के बाद, उनकी पार्टी, अवामी लीग और हिंदू अल्पसंख्यक समेत उनके सहयोगी माने जाने वाले लोगों को निशाना बनाकर जवाबी हमले की ख़बरें तेजी से सामने आईं.

हिंदू (जो देश की आबादी का लगभग 7.96% हैं) व्यवस्थित और निरंतर हमलों का शिकार हुए. इंटरनेट दंगाइयों द्वारा हिंदू घरों और मंदिरों में आग लगाने के वीडियोज और तस्वीरों से भरा पड़ा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #SaveBangladeshihindus और #AllEyesOnBangladeshihindus जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगे. कार्यशील सरकार और कानून प्रवर्तन की कमी के कारण स्थिति और भी बदतर हो गई थी.

8 अगस्त को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेते हुए, मोहम्मद यूनुस की पहली घोषणाओं में से एक इन हमलों को ज़ल्द से ज़ल्द रोकने की जरूरत पर जोर देना था. उन्होंने 9 अगस्त को छात्र नेताओं के साथ एक वीडियो बयान में कहा, “कानून-व्यवस्था बहाल करना हमारा पहला काम है. हम इसके बिना आगे नहीं बढ़ सकते… आपने अपने देश का नेतृत्व करने के लिए मुझ पर भरोसा किया है… मैंने छात्र नेताओं के निमंत्रण का जवाब दिया है… मेरे साथी देशवासियों से मेरी विनती है.. अगर आपको मुझ पर भरोसा है, तो पहला कदम है सुनिश्चित करें कि देश में कहीं भी किसी पर हमला न हो… इसके बिना, मेरी कोशिश बेकार हैं, और बेहतर होगा कि मैं अलग हट जाऊं.”

उसी दिन, बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध और ईसाई एकता परिषद ने, बांग्लादेश पूजा उज्जपोन परिषद के साथ, 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से 50 से ज़्यादा जिलों में हिंदुओं पर हमलले और अशांति की 205 घटनाओं की एक डिटेल लिस्ट जारी की. 10 पेज के दस्तावेज़ में राजनीतिक नेता, मंदिर, हिंदूओं के व्यापारिक प्रतिष्ठान और नागरिकों पर हमले का विवरण है. इसमें ये भी लिखा गया है कि सिराजगंज के रायगंज सब-डिस्ट्रिक्ट के प्रदीप कुमार भौमिक, अवामी लीग के राजनेता हराधोन रॉय और रंगपुर सिटी कॉर्पोरेशन के दो अन्य हिंदू, साथ ही बनियाचोंग पुलिस स्टेशन के एक पुलिस निरीक्षक संतोष कुमार की हत्या कर दी गई थी.

कई रिपोर्ट्स में बांग्लादेश में हिंदू नागरिकों के बीच दहशत का ज़िक्र किया गया है. बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के उपाध्यक्ष काजल देबनाथ ने 13 अगस्त को एसोसिएटेड प्रेस को बताया, “देश में सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समूह हिंदू” कांप रहा है. वे अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं, वे इसे बिना ये जाने नहीं खोल रहे हैं कि दरवाजे पर कौन दस्तक दे रहा है.” ढाका की राजधानी से लेकर दूरदराज के गांवों तक हर कोई (हिंदू अल्पसंख्यक) बहुत डरा हुआ है.”

यहां बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें ऑल्ट न्यूज़ स्थानीय रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया के सबूतों से वेरीफ़ाई कर सकता है. ये फिर भी पूरी लिस्ट नहीं है.

लाल्मोनिर्हत

लालमोनिर्हत, पश्चिम बंगाल की सीमा से लगा उत्तरी बांग्लादेश का एक जिला, रंगपुर डिवीजन का हिस्सा है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, इसकी लगभग 14% आबादी हिंदू है. सोशल मीडिया यूज़र्स ने क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ कई हेट क्राइम की सूचना दी है.

ऐसी ही एक घटना में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद, लाल्मोनिर्हत सदर उपजिला शाखा के महासचिव जीवन रॉय शामिल थे. उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई और उनका सामान तोड़ दिया. कथित तौर पर उन्हें बंदूक की नोक पर धमकी दी गई और बांग्लादेश छोड़ने के लिए तीन दिन का समय दिया गया.

#সাবাস_বাংলাদেশ

বাংলাদেশ হিন্দু বৌদ্ধ খ্রিস্টান ঐক্য পরিষদ, লালমনিরহাট সদর উপজেলা শাখার সাধারণ সম্পাদক শ্রী জীবন রায়…

Posted by Muhin Sarker on Wednesday 7 August 2024

एक अन्य पीड़ित मुहिन रॉय, एक हिंदू व्यक्ति था, जो लाल्मोनिर्हत में डिज़ाइन विज़न नाम की एक कंप्यूटर दुकान का मालिक था. उनकी फ़ेसबुक गवाही के मुताबिक, उनकी दुकान में 5 अगस्त को तोड़फोड़ की गई थी, जिस दिन शेख हसीना ने इस्तीफा दिया था. एक फ़ेसबुक कमेंट में उन्होंने अपनी शर्म और अविश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने लाल्मोनिर्हत के ऐसे भाग्य की कभी कल्पना नहीं की थी.

অতি দুঃখের সাথে জানাচ্ছি, আপনাদের আবেগের, ভালোবাসার ‘ডিজাইন ভিশন’ ভাংচুর ও লুটপাট হয়েছে। সাময়িক সেবা বিঘ্নিত হ‌ওয়ায় দুঃখিত।

Posted by Muhin Sarker on Wednesday 7 August 2024

लाल्मोनिर्हत के हातिबंधा उपजिला में, पुरबो सरदुबी गांव में कथित तौर पर 12 हिंदू घरों में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई. इसके बाद के विजुअल में विनाश देखा जा सकता है, जिसमें एक घर के अंदर का मंदिर भी शामिल है जो पूरी तरह जल गया. आसपास के अन्य घर भी जलकर राख हो गए. वीडियो में रिकॉर्डिंग कर रहे शख्स को ये कहते हुए सुना जा सकता है, ‘ये बांग्लादेश का हाल है. हिंदूओं के घर…’

#সাবাস_বাংলাদেশ

লালমনিরহাট জেলার হাতীবান্ধা থানার ফকির পাড়ার বুড়াসারডুবি গ্রামের স্বপন রায় এর বাড়িসহ অন্যান্য হিন্দু বাড়ি হামলা ও লুটপাট।

Posted by Muhin Sarker on Wednesday 7 August 2024

डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, उसी जिले में भीड़ ने तेलीपारा गांव में लाल्मोनिर्हत पूजा उद्जापन परिषद के सचिव प्रदीप चंद्र रॉय के घर में भी तोड़फोड़ की. ये घटना भी 5 अगस्त को हुई थी. 

बेगर्हैट

दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश के खुला डिवीजन के बागेरहाट क्षेत्र में हेट क्राइम के एक भयावह मामले में, मृणाल कांति चटर्जी नामक एक हिंदू स्कूल शिक्षक की भीड़ ने हत्या कर दी. 2022 की जनगणना के मुताबिक, बागेरहाट की 83.25% आबादी मुस्लिम हैं जबकि हिंदू 16.38% हैं. 

उनके दामाद ने एक वीडियो में कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की ओर झुकाव रखने वाले पड़ोसियों के साथ भूमि विवाद हुआ था. ‘मेरे ससुर एक मासूम आदमी थे, वो एक शिक्षक थे. उनके सबके साथ अच्छे संबंध थे. लेकिन पिछले दो साल से दूसरा पक्ष उसे धमकी देते हुए कह रहा है कि वे उसे जान से मार देंगे. जिस दिन शेख़ हसीना ने इस्तीफा दिया, उस दिन शाम 4-5 बजे से ही माहौल काफी गरम था. तभी रात करीब आठ बजे कुछ लोग घर में आये और जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि तुम भारत भाग नहीं पाओगे… मेरे ससुर ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. हमें नहीं पता था कि वे रात 12 बजे आएंगे. तभी करीब 10-12 लोगों ने घर को घेर लिया और खिड़कियां तोड़ने लगे. वे सभी बहुत छोटे थे, लगभग 16-17 साल की उम्र के… मेरे ससुर की दो बेटियां हैं – उनमें से एक ढाका में छात्रा है. वो कोटा आंदोलन का भी हिस्सा थीं. यूनिवर्सिटी बंद होने पर वो वापस आ गईं. हमले के दिन, मेरी भाभी, मेरी पत्नी, मेरा 6 साल का बच्चा, मेरी सास और मेरे ससुर घर पर थे. रात करीब 12 बजे वे घर का दरवाजा तोड़ कर अंदर घुस गये और मेरे ससुर के सिर पर हथौड़े से वार कर दिया. वे उसे मारते रहे… पीठ पर. दो लोग घर में घुसे, दो घर की रखवाली कर रहे थे. घर के आसपास और भी लोग थे. वहीं बाहर मेन रोड’ पर करीब 50-60 लोग जश्न मना रहे थे. कोई उन्हें बचाने नहीं आया. उनकी मौके पर ही मौत हो गई… फिर उन्होंने घर लूट लिया, हमारे सारे पैसे और सोना ले लिया. उन्होंने सब कुछ तोड़ दिया, यहां तक ​​कि शौचालय का कमोड भी तोड़ दिया। उनका मकसद घर की हर चीज़ को तोड़ना था ताकि हम अपनी ज़मीन छोड़ दें. अपने पति को बचाने की कोशिश में मेरी सास भी घायल हो गईं और उन्हें 34 टांके लगाने पड़े… उन्हें भी ज़िंदा रहने लायक नहीं छोड़ा गया था…’

কোটা আন্দোলনের নেত্রী প্রয়ন্তীর বাবার হত্যার ও বাড়ি লুটপাটের বিচার চাই বৈষম্যবিরোধী ছাত্রদের সফল আন্দোলনের দ্বারা গঠিত…

Posted by Dr-Molla Amir Hossen on Saturday 10 August 2024

बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट इंडिपेंडेंट टेलीविज़न को दिए एक बयान में, कांति चटर्जी की बेटी झूमा रानी ने भयावहता के बारे में बताया. उन्होंने कहा, ‘घर पर मेरा छोटा बेटा और बहन थे. मैंने उन्हें फर्श पर और बिस्तर के नीचे छिपाकर बचाया. इनके साथ क्या समस्या है? हम कोई पार्टी नहीं हैं. उन्होंने हम पर ही हमला क्यों किया? उन्होंने मेरे बूढ़े पिता को हथौड़े से पीट-पीटकर मार डाला.’ 

ठाकुरगांव, पंचगढ़

रंगपुर डिवीजन में बांग्लादेश के सबसे उत्तरी ज़िले पंचगढ़ में, 5 अगस्त के बाद कथित तौर पर कई हिंदू घरों को आग लगा दी गई और तोड़फोड़ की गई. पंचगढ़ में आबादी 16.55% हिंदू और 83.09% मुस्लिम हैं.

11 अगस्त के फ़ेसबुक लाइवस्ट्रीम में सामने की ओर एक भीषण आग दिखाई दे रही है और रिकॉर्डिंग करने वाले व्यक्ति को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि ये  घटना बरोईपुर गांव में जयराम नाम के एक व्यक्ति के घर पर हुई थी. उनका ये भी कहना है कि उस वक्त मौजूद जानकारी के मुताबिक इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.

 

Posted by Bindu Roy on Sunday 11 August 2024

पंचगढ़ से एक अन्य फ़ेसबुक लाइवस्ट्रीम में एक व्यक्ति को एक बड़ी भीड़ द्वारा पकड़ा हुआ देखा जाता है. उपरोक्त लाइवस्ट्रीम के ठीक 40 मिनट बाद, स्ट्रीम को बरोइपारा के बगल में, लक्ष्मी पारा में रिकॉर्ड किया गया. आरोप लगाया गया था कि वो व्यक्ति बरोईपारा के एक घर में आग लगाने वाले व्यक्तियों में से एक था. लाइवस्ट्रीम को कंडक्ट करने वाले व्यक्ति को ये सवाल करते हुए सुना जाता है कि क्या ये सच में एक स्वतंत्र बांग्लादेश था. वो अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमले के बारे में भी बोलते हैं.वीडियो में शख्स को चिल्लाते हुए सुना जा सकता है, “দেখুন সংখ্যালঘুদের ওপর কিভাবে হামলা হচ্ছে” (अनुवाद: देखें कैसे अल्पसंख्यक बांग्लादेश में हमला हो रहा है).

 

 

ময়দানদিঘী ইউনিয়ন বোদা থানা জেলা পঞ্চগড়
গ্রাম লক্ষ্মী পাড়া এই ঘটনাটি ঘটে
একজন ধরা পড়ছে জিজ্ঞাসাবাদে উনি বলে উনার বাসা দিনাজপুরে

Posted by অনুসন্ধানে সত্যের on Sunday 11 August 2024

ठाकुरगांव जिले में (जो रंगपुर डिवीजन का भी हिस्सा है) हिंदू घरों में आग लगा दी गई और तोड़फोड़ की गई. ठाकुरगांव उत्तर-पश्चिमी बांग्लादेश में एक जिला है और पश्चिम में इसकी सीमा भारत से लगती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, मुस्लिम आबादी 76.70% है जबकि हिंदू 22.26% हैं. 

एक फ़ेसबुक लाइवस्ट्रीम में ये ज़िक्र किया गया था कि उपद्रवियों ने ठाकुरगांव के फ़राबारी में मंदिर के पड़ोस में आग लगा दी थी. लाइवस्ट्रीम में कई लोगों को आग बुझाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया.

ঠাকুরগাঁও ফাড়াবাড়ী মন্দির পাড়ায় দুর্বৃত্তরা আগুন দিয়েছে
আজ সন্ধ্যা:- ৭ টা ৩০ মিনিটে।
১৩ আগস্ট ২০২৪

Posted by Shanto Roy on Tuesday 13 August 2024

अभी हाल ही में ठाकुरगांव के मेन सब-डिस्ट्रिक्ट में मोहन चंद्र नामक एक हिंदू व्यक्ति के घर में आग लगा दी गई थी. घटना के दौरान एक युवक को स्थानीय लोगों ने पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया. 20 साल का समीउल नामक व्यक्ति कथित तौर पर दाराजगांव सब-डिस्ट्रिक्ट का रहने वाला था.

जशोर

मनीरामपुर में एक हिंदू व्यक्ति के घर पर हमला किया गया और लूटपाट की गई, और वित्तीय विवाद के कारण उसके बेटे का अपहरण कर लिया गया. मनीरामपुर बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में खुलना विभाग के जशोरे जिले में एक सब-डिस्ट्रिक्ट है. 2022 की जनगणना के मुताबिक, जिले में 89.61% मुस्लिम और 10.19% हिंदू हैं.

ये घटना कथित तौर पर घोषपारा में पलाश घोष के घर पर हुई. हमले का नेतृत्व अबुल हसन नाम के एक मदरसा शिक्षक ने किया था, जिस पर पलाश घोष का 5 लाख टका बकाया था. हसन ने 10 लाख की फिरौती मांगी, घर लूट लिया, एक मोटरसाइकिल ले ली और पलाश के बेटे पियास घोष का भी अपरहण कर लिया. एक स्थानीय BNP नेता के हस्तक्षेप से चार घंटे बाद बेटे को बचाया गया. पुलिस घटना से अंजान थी.

 

 

এই স্বাধীন দেশ আমরা চাইনি ছাত্র-জনতা।
জালালপুর ঘোষপাড়া-মনিরামপুর-যশোর।
ধিক্কার জানাই।।

Posted by Palash Kumar Ghosh on Thursday 8 August 2024

एक वीडियो गवाही में पलाश की पत्नी को रोते हुए देखा जा सकता है. “वे हमारे घर आए और हमें लूट लिया. वे हमारी मोटरसाइकिल, पैसे और यहां तक ​​कि गायें भी ले गए. उन्होंने मेरे 14 साल के बेटे का भी अपहरण कर लिया. वो अपराधियों में से एक के रूप में अबुल हसन का नाम लेती है और दावा करती है कि वो दूसरों को नहीं जानती. इसके बाद पलाश को ये कहते हुए सुना गया कि भीड़ ने उसकी पिटाई की और उससे खाली स्टांप पर हस्ताक्षर कराए.

पटुआखली

पटुआखाली के मेन सब-डिस्ट्रिक्ट खलिसखाली गांव में एक हिंदू परिवार के घर पर 7 अगस्त की शाम को हमला किया गया और लूटपाट की गई. पटुआखाली,  बांग्लादेश में बरिसाल डिवीजन में लौकाथी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित पटुआखाली जिले का एक शहर और जिला मुख्यालय है. पटुआखाली में 86.08% मुस्लिम और 13.82% हिंदू हैं.

ये घटना 36 साल के अभिलाष तालुकदार और उनकी पत्नी मुक्ता देबनाथ के आवास पर रात करीब 8 बजकर 30 मिनट पर घटी. हमलावर, लाठियों और रोटियों से लैस 10 से 12 लोग उसी इलाके के थे और परिवार के परिचित थे.

ये हमला तब हुआ जब अभिलाष के ससुर, लक्ष्मण देबनाथ, जो पूर्व केंद्रीय परिषद सदस्य थे, ने उनके साथ रहने का फैसला किया क्योंकि वो क्षेत्र में राजनीतिक परिवर्तन के बाद अपने ही घर में असुरक्षित महसूस कर रहे थे. जब मुक्ता ने दरवाज़ा खोला, तो उनलोगों ने जबरन अंदर घुसकर घर में तोड़फोड़ की और सोने के गहने और 30 हज़ार रुपये नकद लूट लिए. हमलावरों ने और पैसे की मांग की, और परिवार ने उन्हें छोड़ने के लिए अभिलाष के रिश्तेदारों के माध्यम से और 50 हज़ार रुपये दिए.

ATN न्यूज़ को अभिलाष की पत्नी की गवाही के मुताबिक, भीड़ ने उनसे वो जगह छोड़ने और घटना के बारे में किसी को भी नहीं बताने के लिए भी कहा, और धमकी दी कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन्हें मार दिया जाएगा. घटना के दौरान आवाज उठाने पर उन्होंने उसे शारीरिक हिंसा की धमकी भी दी. उन्होंने इंटरव्यू में एक आरोपी रियाज मोल्ला का नाम लिया.

इसके जवाब में पटुआखाली प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में जिला BNP महासचिव स्नेहांगशु सरकार कुतरी ने परिवार पर हमले की निंदा की और इसमें शामिल लोगों के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की.

मेहरपुर

5 अगस्त के बाद से मेहरपुर में अल्पसंख्यकों पर  कई हमले किए गए हैं. मेहरपुर दक्षिण-पश्चिमी बांग्लादेश में खुलना डिवीजन का उत्तर-पश्चिमी जिला है. इसकी सीमा पश्चिम में पश्चिम बंगाल और पूर्व में कुश्तिया और चुआडांगा के बांग्लादेशी जिलों से लगती है. 2022 की जनगणना के मुताबिक मेहरपुर में 97.87% मुस्लिम और 1.20% हिंदू हैं.

प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 अगस्त तक नौ हिंदू घरों पर हमला किया गया था, जिनमें से एक अवामी लीग के सदस्य का भी था.

6 अगस्त को इस्कॉन के सुमोहन मुकुंद दास ने मेहरपुर में इस्कॉन मंदिर में हुई तोड़फोड़ के बारे में टाइम्स नाउ से बात की. उन्होंने खुलासा किया कि इस घटना में सिर्फ आगजनी ही नहीं बल्कि उपद्रवियों द्वारा बम विस्फ़ोट भी शामिल था. मुकुंद दास ने अपने डर और बेबसी को व्यक्त करते हुए मंदिर के जले हुए अवशेषों के विजुअल शेयर किए और ये बताया कि ऐसी घटनाएं बांग्लादेश में आम हैं, जहां हिंदू समुदाय के लिए कोई न्याय नहीं है. उन्होंने वैश्विक समर्थन का अनुरोध करते हुए ज़िक्र किया कि अभी भी कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है, वो छिपे हुए हैं, और भगवा कपड़े पहनकर सार्वजनिक रूप से बाहर नहीं जा सकते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि फ़ायर सर्विस को बार-बार फ़ोन करने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली.

मंदिर में तोड़फोड़ के बाद के कुछ और विजुअल्स नीचे दिए गए हैं. (तस्वीरें फ़ेसबुक से)

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मंगलवार, 6 अगस्त को कथित तौर पर पता चला कि मेहरपुर में होटल बाजार के निवासी और जिला अवामी लीग के कानूनी मामलों के सचिव पल्लब भट्टाचार्य के घर में पिछले दिन आग लगा दी गई थी. उनके दो मंजिला घर का ग्राउंड फ्लोर पूरी तरह से नष्ट हो गया. हमले के वक्त, भट्टाचार्य जापान में अपनी बेटी और नवजात पोते से मिलने गए थे, और घर खाली छोड़ दिया था. घटनास्थल पर मौजूद लोगों के मुताबिक, 5 अगस्त की शाम करीब 5 बजे युवाओं के एक ग्रुप ने पल्लब भट्टाचार्य के घर पर लाठी, डंडे और लोहे के पाइप से हमला कर दिया. उन्होंने मेन गेट तोड़ दिया, घर में लूटपाट की और फिर फ़र्नीचर में आग लगा दी.

इसके साथ ही, हमलावरों ने चित्त साहा नाम के एक अन्य व्यक्ति के व्यवसाय को निशाना बनाया और सामान लूट लिया. एक अन्य घटना में रबींद्रनाथ रोड पर लीना भट्टाचार्य के घर को भी निशाना बनाया गया, जहां चार लोगों की पिटाई की गई, कीमती सामान चोरी कर लिया गया और घर में आग लगा दी गई. इसके अलावा, मालोपारा में छह घरों में तोड़फोड़ की गई और परिवार के सदस्यों को पीटा गया.

फ़रीदपुर

फ़रीदपुर के भांगा उपजिला के नाओपारा गांव में एक 75 साल की व्यक्ति को बेरहमी से पीटा गया. फ़रीदपुर जिला दक्षिण-मध्य बांग्लादेश में एक जिला है. ये ढाका डिवीजन का एक हिस्सा है. 2022 की जनगणना के मुताबिक फ़रीदपुर में 91.49% मुस्लिम और 8.44% हिंदू हैं.

भांगा उपजिला स्वास्थ्य परिसर में भर्ती अमरेंद्र कुमार घोष पालन ने कहा कि पिछली दुश्मनी के कारण उनके पड़ोसी बाबुल मिया, मिन्हाज मिया और हसन मिया सहित छह या सात व्यक्तियों ने उन पर हमला किया था. हमले के दौरान उनके हाथ, पैर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आईं. हमलावरों ने उन पर तंज कसते हुए सवाल किया कि क्या वो पुलिस से मदद मांग सकता है.

घटना के जवाब में स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने जिम्मेदार लोगों के लिए तत्काल सजा की मांग की है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (TIB) ने सत्ता परिवर्तन के दौरान होने वाली सांप्रदायिक हिंसा पर कड़ी अस्वीकृति और निंदा व्यक्त की है.

“हमले सांप्रदायिक से ज़्यादा राजनीति से प्रेरित हैं.”

AP से बात करते हुए, विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे रहने वाले छात्र नेताओं में से एक, नाहिद इस्लाम, (जो अब अंतरिम सरकार में मंत्री हैं) ने कहा कि हिंसा धार्मिक से ज़्यादा राजनीति से प्रेरित थी.

ये ध्यान रखना ज़रुरी है कि ऐतिहासिक रूप से, अवामी लीग को हिंदू समर्थक और भारत समर्थक के रूप में देखा गया है.

ऑल्ट न्यूज़ ने ढाका में बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के एक हिंदू छात्र से भी बात की. उन्होंने हमें बताया कि हिंदुओं पर ज़्यादातर हमले 5 से 6 अगस्त के बीच हुए. कुछ हमले राजनीतिक कारणों से थे, लेकिन अन्य हमले नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए थे – उनकी दुकानों पर हमला किया गया और घर जला दिए गए. उन्होंने मवेशियों और बकरियों को भी लूट लिया. एक मामले में तो उन्होंने 58 गायें चुरा लीं. मेरे दादाजी की पबना में मिठाई की दुकान थी, उस पर भी हमला हुआ था.”

“हमें ख़बर मिली कि 6 अगस्त को ही रंगपुर डिविजन में कम से कम 10 हमले हुए थे. पंचागढ़ में भी ऐसे कई हमले हो चुके हैं. कई हिंदुओं की आजीविका के साधन ख़त्म हो गए हैं. पिछले कुछ समय में हालात थोड़े बेहतर हुए हैं. लेकिन हिंदुओं में अब भी डर का माहौल है. रंगपुर में इतने हमले हुए कि उन्हें आत्मरक्षा की तैयारी करनी पड़ी. हमलावरों को पकड़कर सेना के हवाले कर दिया गया. अब हिंदुओं के मन में ये सवाल है कि अपनी हिफ़ाजत के लिए हमें और कितनी रातें जागनी पड़ेंगी?”

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले ने भारत में सोशल मीडिया पर ग़लत सूचनाओं की बाढ़ ला दी. ऑल्ट न्यूज़ ने तीन ऐसे वीडियो की पड़ताल की जिसमें शैक्षणिक संस्थानों में अवामी लीग के युवा नेताओं पर हमलों को हिंदुओं पर हमले के रूप में शेयर किया गया था. इसके अलावा, असंबद्धित और पुराने वीडियो, आकस्मिक आग की घटनाओं को भी हिंदुओं पर हमले के रूप में शेयर किया गया.

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Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.