रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 5 मार्च को यस बैंक के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स को हटाकर 30 दिनों के लिए बैंक का कामकाज अपने हाथों में लेने की घोषणा की थी. इस फ़ैसले में ‘यस बैंक की वित्तीय स्थिति में गंभीर अनियमतिताओं’ का हवाला दिया गया था. आरबीआई ने यस बैंक पर 1949 के बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रतिबंध भी लगा दिया था. ये 3 अप्रैल तक के लिए था. भारत में बैंकिंग सिस्टम को चलाने वाली संस्था ने यस बैंक के ग्राहकों पर इस पूरे दौरान अधिकतम 50 हजार रूपये की निकासी का लिमिट भी लगा दिया था.
अब, सोशल मीडिया पर चार कंपनियों से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर शेयर हो रही है. इन कंपनियों को कांग्रेस के नेताओं का बताकर ये दावा किया जा रहा है कि इन कंपनियों ने जानबूझकर यस बैंक का कर्ज़ जमा नहीं किया. टॉप के ये चार बकाएदार हैं – पी. चिदंबरम की “फुल इनोवेशंस”, गांधी परिवार की कंपनी “यंग इंडियन”, कांग्रेस नेता और उद्योगपति नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील, और अहमद पटेल की कंपनी “रहमत फाउंडेशन”. दावे के अनुसार, इन कंपनियों पर क्रमश: 40 हज़ार करोड़ रुपये, 70 हज़ार करोड़ रुपये, 49 हज़ार करोड़ रुपये और 80 हज़ार करोड़ रुपये का बकाया है.
ऑल्ट न्यूज़ को अपने ऑफ़िशियल ऐप पर भी इस दावे का फ़ैक्ट चेक करने की कई रिक्वेस्ट मिली है.
लोगों ने इस दावे को ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी धड़ल्ले से शेयर किया.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ को एक भी ऐसी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें इन कंपनियों का नाम आया हो. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन बड़ी कंपनियों का ज़िक्र किया था जिनपर यस बैंक का बकाया है. उन्होंने रिलायंस ग्रुप, एस्सेल ग्रुप, डीएचएफ़एल (DHFL), आइएल एंड एफ़एस (IL and FS) और वोडाफ़ोन आइडिया जैसी दिग्गज कंपनियों का नाम लिया था.
वित्तमंत्री कहती हैं, “मुझे सावर्जनिक मंच से इनका नाम लेने में कोई दिक्कत नहीं है और मैं किसी ग्राहक की निजता का हनन नहीं कर रही हूं. अनिल अबानी समूह (रिलायंस ग्रुप), एस्सेल ग्रुप (मालिक सुभाष चंद्रा), डीएचएफ़एल (दीवान हाउसिंग फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड), इंफ़्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फ़ाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड और वोडाफ़ोन उन बड़ी और प्रभावी कंपनियों में से हैं जो यस बैंक की बकाएदार हैं. ये 2014 से पहले के मामले हैं.” उन्हें नीचे वीडियो में 14 मिनट से ऐसा कहते हुए सुना जा सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=QtszVFZZ238
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल अंबानी ग्रुप की नौ कंपनियों के ऊपर 12,800 करोड़ रुपये का एनपीए है. सुभाष चंद्रा की एस्सेल ग्रुप की 16 कंपनियों पर तकरीबन 8,400 करोड़ रुपये का लोन है, दीवान हाउसिंग फ़ाइनेंस कॉर्पोरेशन और डीएचएफल ग्रुप की कंपनी बीलिफ़ रिएल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड पर 4,735 करोड़ रुपये का कर्ज़ है.
टॉप के बकाएदारों की लिस्ट में साफ़तौर पर दिख रहा है कि अनिल अंबानी ग्रुप ने यस बैंक का सबसे ज़्यादा पैसा अपने पास रखा है. अनिल अंबानी ग्रुप पर 12,800 करोड़ रुपये का कर्ज़ है. इसलिए, ये कहा जा सकता है कि वायरल ग्राफिक में कांग्रेस से जुड़ी चार कंपनियों के साथ दिख रही राशि की बात काल्पनिक है. वित्त मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन ‘बड़ी कंपनियों’ के नाम जोर देकर कहे जिन्हें यस बैंक को पैसे लौटाने हैं.

इसलिए, ये दावा कि कांग्रेसी नेताओं – राहुल गांधी, सोनिया गांधी, अहमद पटेल, पी. चिदंबरम और नवीन जिंदल की चार कंपनियां यस बैंक की सबसे बड़ी बकाएदार हैं और इन्हीं की वजह से यस बैंक का संकट आया है, बिल्कुल ही आधारहीन है. ये बात भी ध्यान देने लायक है कि ऑल्ट न्यूज़ को लिस्ट में दो कंपनियों – फुल इनोवेशंस और रहमत फ़ाउंडेशन का नाम तक नहीं मिला, जो पी. चिदंबरम और अहमद पटेल से जुड़ी हैं. जैसा कि वित्तमंत्री ने स्वयं बताया, बड़ी कंपनियों में अनिल अंबानी ग्रुप और सुभाष चंद्रा के एस्सेल ग्रुप का नाम शामिल है.
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