पोलिटिकल ऐक्टिविस्ट दिल्ली हिंसा के बाद लगातार चर्चा में रहे. भाजपा के सदस्य और उनके समर्थकों ने हर्ष मंदर के एक भाषण की काटी हुई क्लिप चलाई और उनपर दंगे भड़काने और देश की अदालतों की नाफ़रमानी करने के आरोप लगाए. अब उनके ख़िलाफ़ एक दूसरा वीडियो भी आया है. एक बार फ़िर इस वीडियो के ज़रिये मंदर पर नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया गया. फ़िल्ममेकर अशोक पंडित ने ये वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि हर्ष व्हाइट कॉलर व्यक्ति की शक्ल में एक आतंकवादी हैं और वो देश में हिंसा होती हुई देखना चाहते हैं.

मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली में भड़काऊ बयान देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ़ पिटिशन दायर की थी. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने एक एफ़िडेविट पेश किया जिसमें उन्होंने कोर्ट को बताया कि हर्ष ने ख़ुद भड़काऊ भाषण दिए हैं और अदालतों की नाफ़रमानी करने सरीखी बातें भी कही हैं. इसके बाद कोर्ट ने मंदर की याचिका पर तब तक सुनवाई करने से मना किया है जब तक सुप्रीम कोर्ट उनकी टिप्पणियों पर कोई निर्णय न ले ले.

अशोक पंडित और भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय द्वारा शेयर किये गए वीडियो में मंदर कहते हैं – “मुझे लगता है कि वो (देश के कोर्ट) भारत के अल्पसंख्यकों को पिछले कुछ महीनों में, कुछ सालों में, यकीन दिलाने में असफ़ल रहे हैं. जैसे कि अयोध्या फैसला, उनका कश्मीर की तरफ़ रवैया, जामिया और अलीगढ़ में छात्रों के साथ हुई मार-पीट पर उनका रुख.”

इस वीडियो को शेयर करने वालों में भाजपा महिला मोर्चा, सोशल मीडिया की नेशनल इंचार्ज प्रीति गांधी, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ.अनिर्बन गांगुली, यूज़र गिरीश एस और ऋतु रत्नाकर जिन्हें भाजपा के नेता और फॉलो करते है.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल हो रहा वीडियो दरअसल हर्ष मंदर द्वारा जनवरी 2020 में एक कांफ्रेंस का है. उन्होंने अपने भाषण में CAA, NRC और NPR के खतरे के बारे में बताया था. पूरे भाषण का वीडियो 3 जनवरी को ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ ने यूट्यूब पर अपलोड किया था. राजनीतिक पार्टियों की आलोचना करते हुए 1:10 मिनट पर वो कहते हैं, “उनके कार्यों को देखते हुए मालूम होता है कि वो बहुत आगे बढ़ चुके हैं. अब ये आशा नहीं रखी जा सकती कि ये मामला संसद में सुलझ सकेगा.”

अपने इस बयान के तुरंत बाद 2:10 मिनट पर वो न्यायिक प्रशासन की आलोचना करते हैं, “और दूसरी कौन सी ऐसी जगह है जहां पर ये मामला सुलझाया जा सके? हमें उच्च न्यायालय में जाना होगा और आगे सुप्रीम कोर्ट में भी जाना होगा जहां इस मामले में कोई निर्णय निकाला जा सके. मैं CAA के विरोध में पिटीशन करने वालों में से एक हूं. मगर मुझे ये बताना होगा कि अब सुप्रीम कोर्ट पहले की तरह काम नहीं करता है – और लोकतंत्र के लिए ये ज़रूरी है कि उसका झुकाव बहुसंख्यकों की तरफ़ न हो. सुप्रीम कोर्ट का इसमें अहम रोल है और मुझे लगता है कि पिछले काफ़ी वक़्त से ये देखा गया है कि उन्होंने अल्पसंख्यकों को न्याय नहीं दिया है.”

आगे भाषण में 3:28 मिनट पर वे कहते है, “और तीसरी जगह जहां इस चीज़ को सुलझाया जा सकता है, वो है सड़कें. और जो लड़ाई अभी लड़ी जा रही है, वो इस तरह से लड़ी जा रही है कि हम सभी को प्रेरणा मिल रही है. लेकिन मुझे लगता है कि एक चौथी जगह भी है जहां ये लड़ाई लड़ी जायेगी. और वो हमारे दिलों में क्योंकि अगर हम अपने दिलों में लोगों की पहचान को लेकर नफ़रत पैदा करेंगे, जैसा कि सत्ताधारी पार्टी पिछले पांच-छह सालों से कर रही है… और मैं सिर्फ़ ये कहना चाहता हूं कि इस मसले को सुलझा लेना चाहिए. संसद में नहीं, कोर्ट में नहीं, सड़कों में नहीं मगर हमारे दिलों में. और मेरा मानना है कि यही वो जगह है जहां पर इस लड़ाई को सबसे अच्छे से लड़ा जा सकता है.”

इस तरह हर्ष मंदर के पूरे भाषण के सिर्फ़ 45 सेकंड के वीडियो को सोशल मीडिया में शेयर कर उन पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया जा रहा है. हर्ष मंदर सिर्फ़ प्रदर्शनों के बारे में बता रहे थे कि इस नफ़रत को केवल दिलों में ही खत्म किया जा सकता है. ऑल्ट न्यूज़ पहले भी मंदर के एक वीडियो की पड़ताल कर चुका है जिसे शेयर कर उन पर हिंसा फैलाने का झूठा आरोप लगाया जा रहा था.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.