महाशिवरात्रि के मौके पर, भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने रोशनी से जगमगाते हुए एक मंदिर की तस्वीर शेयर की थी. उन्होंने दावा किया कि अंधेरे से भरे कई दशकों के बाद श्रीनगर का ये शंकराचार्य मंदिर रोशनी से जगमगाया है. 21 फ़रवरी के इस ट्वीट को 10,000 से ज़्यादा बार लाइक और 2,400 बार रिट्वीट किया जा चुका है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
भाजपा सदस्य कपिल मिश्रा ने तस्वीर को कुछ ऐसे ही दावे से हिन्दी मेसेज के साथ शेयर किया है. मिश्रा के ट्वीट को 6,000 के करीब रीट्वीट और 25,000 लोगों ने लाइक किया है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक) इसी तरह, IAS अफ़सर संजय दीक्षित ने भी ये वायरल तस्वीर पोस्ट की है. इस ट्वीट को 2,000 बार रीट्वीट किया जा चुका है. (आर्काइव लिंक)ऑल्ट न्यूज़ ने पहले भी दीक्षित द्वारा फैलाई गई कई गलत सूचनाओं का फ़ैक्ट-चेक किया है.
वायरल तस्वीर और इसके साथ किया जा रहा दावा कि श्रीनगर में कई दशकों के बाद महाशिवरात्रि मनाई गई, न्यूज़ नैशन के कन्सल्टींग एडिटर दीपक चौरासिया ने भी शेयर किया है. (आर्काइव लिंक) भाजपा के पूर्व सांसद हरी मांझी और भाजपा के मीडिया पेनलिस्ट ओ पी मिश्रा ने ये तस्वीर शेयर की है. भाजपा से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने ANI एक वीडियो को रीट्वीट करते हुए यही दावा शेयर किया है.
ट्विटर पर कई यूज़र्स ने ये तस्वीर शेयर करते हुए यही दावा किया है.
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि शंकराचार्य मंदिर को हर साल महाशिवरात्रि के मौके पर रोशनी से सजाया जाता है.
ऑल्ट न्यूज़ ने धर्मार्थ ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. करन सिंह से बात की. ये ट्रस्ट जम्मू-कश्मीर में सभी मुख्य हिन्दू धार्मिक स्थलों की देखभाल करता है. करन सिंह ने हमें बताया, “शंकराचार्य मंदिर को हर साल महाशिवरात्रि पर सजाया जाता है और ऐसा कोई भी साल नहीं जब ऐसा न हुआ हो. इस साल जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर लिए गए निर्णय के बाद मीडिया ने शायद मंदिर की रोशनी पर ज़्यादा ही ध्यान दिया है.”
करन सिंह, जम्मू कश्मीर विधान परिषद के पूर्व सदस्य विक्रमादित्य सिंह के बेटे हैं. विक्रमादित्य ने कपिल मिश्रा के ट्वीट को कोट-ट्वीट करते हुए बताया कि धर्मार्थ ट्रस्ट श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में हर साल शिवरात्रि मनाता है. ट्रस्ट हर साल मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाता है और ये दावा कि पिछले 30 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, सरासर गलत है.
A disclaimer for all: J&K Dharmarth Trust has been celebrating Maha Shivratri for several decades at Shankaracharya Mandir, Srinagar. The lighting & decorations are done by the Trust every year and all claims of 30 years of darkness at this historic Temple are False. https://t.co/kyecfvKCec
— Vikramaditya Singh (@vikramaditya_JK) February 22, 2020
ऑल्ट न्यूज़ ने श्रीनगर स्थित कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिकू से बात की. उनके मुताबिक, ऐसा नहीं है कि पहली बार महा शिवरात्रि मनाई गई हो या ये ऐसा पहली बार हुआ हो कि शंकराचार्य मंदिर को रोशनी से सजाया गया हो. संजय टिकू ने बताया कि कुछ नेता ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि सिर्फ़ इस साल ही जम्मू-कश्मीर में आए बदलाव के बाद महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया गया और मंदिर को रोशनी से सजाया गया. उन्होंने कहा कि ये सच नहीं है.
संजय टिकू ने बताया, “हालांकि ये सच है कि इस साल शंकराचार्य मंदिर को ज़्यादा सजाया गया था मगर ये गलत है कि ऐसा दशकों के बाद पहली बार हुआ है. एक और ऐसा त्योहार है जिसे उत्साह से मनाया जाता है और वो रक्षा बंधन का त्योहार है.” ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि 2012 में रक्षाबंधन उत्सव की एक तस्वीर गेट्टी इमेजेज़ पर उपलब्ध है. नीचे की तस्वीर में, मंदिर पर लगाई गई लाइट को साफ़ तौर पर देखा जा सकता है.
संजय टिकू ने इस बात की ओर भी ध्यान खींचा कि महाशिवरात्रि के वक़्त बारिश और बादलों की वजह से मंदिर को देखने में थोड़ी मुश्किल होती है. उन्होंने बताया, “इस साल भी महाशिवरात्रि के वक़्त हल्की बारिश हुई थी.”
ऑल्ट न्यूज़ को रॉयटर्स पिक्चर्स पर की-वर्ड्स सर्च से 2005 की महाशिवरात्रि के दौरान ली गई एक तस्वीर मिली. ये तस्वीर दिन के उजाले में खींची गई है मगर 2x डिजिटल ज़ूम करने से मंदिर पर लगाई गई लाइट को आसानी से देखा जा सकता है. नीचे तस्वीर में हमने लाइट को लाल रंग के ऐरो से दिखाने की कोशिश की है.
2020 शंकराचार्य मंदिर में महा शिवरात्रि के उत्सव के दृश्य
ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब पर सर्च किया. जिससे जम्मू के एक लोकल मीडिया संगठन ‘Daily Excelsior’ का वीडियो मिला. 21 फ़रवरी को अपलोड किए गए इस वीडियो में शंकराचार्य मंदिर पर सजावट देखा जा सकता है.
ऑल्ट न्यूज़ ने श्रीनगर के एक फ्रीलांस फ़ोटो जर्नलिस्ट इमरान निसार से संपर्क किया. उन्होंने इस साल के महाशिवरात्रि को कवर किया था. इस फ़ोटो में लाइट की सजावट करीब से दिखती है. इमरान ने हमें बताया, “मैं पिछले 10 साल से श्रीनगर में रह रहा हूं. और जहां तक मुझे पता है शंकराचार्य मंदिर को पिछले 15 सालों से हर शिवरात्रि में लाइट से सजाया जाता है. मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी.”
निसार के फ़ोटो का EXIF डेटा देखने के बाद ऑल्ट न्यूज़ इस बात की पुष्टि कर सकता है कि ये फ़ोटो 21 फ़रवरी की सुबह 8 बजकर 47 मिनट पर ली गई है.
शंकराचार्य मंदिर की और तस्वीरें क्यों नहीं है?
शंकराचार्य मंदिर को ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. ये मंदिर श्रीनगर के जेबरवान रेंज से 1000 फ़ीट (300 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. फ़ैक्ट-चेकिंग वैबसाइट ‘मेटाफ़ैक्ट’ के संस्थापक और श्रीनगर में रहने वाले सागर कौल ने हमें बताया, “ये जगह शहर के प्रमुख स्थानों में से एक है. इस कारण यहां साल भर सुरक्षा के भी भरपूर इंतजाम होते हैं.” कौल के अनुसार, पर्यटकों को मंदिर में स्मार्टफोन या कैमरा ले जाने की इज़ाजत नहीं होती है. मंदिर परिसर में फ़ोटोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
विकिपीडिया पर शंकराचार्य मंदिर की जो फ़ोटो अपलोड की गई है उसे फ्रीलांस जर्नलिस्ट दिव्या गुप्ता ने 2013 में लिया था. ऑल्ट न्यूज़ ने दिव्या गुप्ता से बात की, उन्होंने कहा “मैंने ये तस्वीर वहां के अधिकारियों से अनुमति लेने के बाद खिंची थी.”
रॉयटर्स पर उपलब्ध 2005 में ली गई तस्वीर का विवरण कहता है, “श्रीनगर में हिन्दू त्यौहार महाशिवरात्रि के अवसर पर पूजा करने आए कश्मीरी हिन्दू लाइन में लगे हुए और भारतीय सैनिक हाथ में राइफल लिए हुए.”
शंकराचार्य मंदिर की कई तस्वीरों को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि इस साल सबसे ज़्यादा लाइट से मंदिर की सजावट की गई थी. इस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं का दावा कि मंदिर को दशकों बाद सजाया गया भ्रामक और गलत है. जम्मू-कश्मीर के प्रमुख हिन्दू मंदिरों की देख-रेख करने वाला धर्मार्थ ट्रस्ट और कई अन्य स्थानीय लोगों के अनुसार, शंकराचार्य मंदिर में हर साल शिवरात्रि मनाया जाता है.
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