‘BeerBicep’ एक यूट्यूब चैनल है जिसके 58 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. इस चैनल के फ़ाउंडर रणवीर अलाहाबादिया ने भारत सरकार के मंत्री और भाजपा नेता पीयूष गोयल, डॉ. एस. जयशंकर, राजीव चंद्रशेखर और स्मृति ईरानी का इन्टरव्यू किया और इसके बाद से ये चैनल तब सुर्खियों में आ गया. इन सभी इन्टरव्यूज़ के डिसक्रिप्शन में लिखा है, “Collaboration with MyGovIndia”.

न्यूज़लॉन्ड्री से इस मुद्दे पर बात करते हुए रणवीर अलाहाबादिया और उनके पार्टनर विराज सेठ ने बताया कि सरकार की तरफ से एक प्रतिनिधि ने मई में उनसे संपर्क किया और उनके पॉडकास्ट पर कुछ प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों को बुलाने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया की काफ़ी विचार-विमर्श के बाद वे सहमत हो गये थे. इस कार्यक्रम का विचार MyGov से आया था इसलिए इन इंटरव्यूज़ के लिए “Collaboration with MyGovIndia” का इस्तेमाल किया गया. उन्होंने ये भी बताया कि इस इंटरव्यू के लिए उन्हें सरकार से पैसा नहीं मिला.

बता दें कि ‘BeerBiceps’ यूट्यूब चैनल के फ़ाउंडर रणवीर अलाहाबादिया ने कई राइट-विंग इनफ़्लूएंसर्स और दक्षिणपंथ की तरफ झुकाव रखने वाले लोग जैसे राजीव मल्होत्रा, गौर गोपाल दास, विक्रम संपथ, संजीव संयाल, जे साईं दीपल, अभिजीत आइयर, आनंद रंगनाथन, जैसे लोगों का इंटरव्यू किया है. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रणवीर अलाहाबादिया ने कहा कि इसके बाद वह वामपंथी विचारधारा के लोगों को भी बुलाएंगे.

इसी बीच BeerBiceps का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है. इसमें पॉडकास्ट के होस्ट रणवीर अलाहाबादिया अपने गेस्ट, दक्षिणपंथ की ओर झुकाव रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील जे साईं दीपक से पूछते हैं कि तीन ऐसे लोगों के नाम बताएं जिन्हें भारत छोड़ देना चाहिए और कभी वापस नहीं आना चाहिए. ये सवाल अपने आप में समस्याग्रस्त है, और इसका जवाब भी नफरत की भावना से प्रेरित है जिसमें गेस्ट जे. साई दीपक ने भारत की दो प्रमुख बुद्धिजीवी और एक वरिष्ठ पत्रकार का नाम लिया. जिसके बाद से इन तीनों को सोशल मीडिया पर हरासमेंट और साइबरबुलिंग का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, BeerBiceps चैनल पर 5 मई, 2023 को “Advocate J Sai Deepak Opens Up On CAA, Modi, & India’s Democracy | AJIO Presents TRS” नाम के इस वीडियो पॉडकास्ट वीडियो में कॉनस्पिरेसी थ्योरी, झूठे दावे, हेट स्पीच और भारतीय मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति धार्मिक असहिष्णुता मौजूद है.

वीडियो के आक्रामक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हमने यूट्यूब को इस वीडियो द्वारा उनकी नीतियों के उल्लंघन से जुड़ी विस्तृत जानकारी भेजी, तो यूट्यूब के एक प्रवक्ता ने हमें जवाब दिया कि इस वीडियो को यूट्यूब के कम्युनिटी गाइडलाइन के विरुद्ध गहन समीक्षा के बाद वे यह पुष्टि कर सकते हैं कि ऑल्ट न्यूज़ द्वारा फ़्लैग किया गया वीडियो किसी पॉलिसी का उल्लंघन नहीं करता है.

आगे इस आर्टिकल में हम टाइमस्टाम्प के साथ सिलसिलेवार ढंग से इन सभी चीजों को सामने रखेंगे और बताएंगे कि कैसे ये वीडियो यूट्यूब के खुद के बनाए गए गाइडलाइंस के अनुसार नहीं है.

हमने पाया कि ये वीडियो यूट्यूब की कई पॉलिसी और कम्यूनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है. उदाहरण नीचे दिए गए हैं:

हरासमेंट और साइबरबुलिंग: वीडियो में 56 मिनट 30 सेकंड पर, होस्ट रणवीर अल्लाहबादिया ने जे. साई दीपक से तीन ऐसे लोगों के नाम बताने को कहा जिन्हें भारत छोड़ देना चाहिए और कभी वापस नहीं आना चाहिए. इसके बाद जे. साई दीपक ने भारत की तीन प्रमुख बुद्धिजीवियों का नाम लिया जिनमें रोमिला थापर, प्रोफेसर इरफ़ान हबीब और बरखा दत्त शामिल हैं. आपको बता दें कि रोमिला थापर और इरफान हबीब अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त इतिहासकार हैं और बरखा दत्त एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये सभी अक्सर कॉन्सपिरेसी थ्योरिज़ के अंतर्गत ये कहकर टारगेट किए जाते हैं कि वे भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

यहां ध्यान देने लायक बात ये है कि यूट्यूब कम्यूनिटी गाइडलाइन के मुताबिक, ये सवाल और जवाब दोनों ही घृणास्पद हैं. इस पॉडकास्ट का होस्ट एक ऐसा सवाल पूछता है जिसका जवाब देने का एकमात्र तरीका प्रमुख व्यक्तियों के नाम लेना और उनके प्रति घृणा को प्रोत्साहित करना है, जैसा कि इस पॉडकास्ट का गेस्ट जे. साई दीपक ने किया.

ये हरासमेंट और साइबरबुलिंग पर YouTube की पॉलिसी का स्पष्ट उल्लंघन है. यूट्यूब की पॉलिसी कुछ इस तरह है:

  • ऐसा कॉन्टेन्ट जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके संरक्षित समूह की स्थिति या भौतिक लक्षणों सहित आंतरिक विशेषताओं के आधार पर लंबे समय तक या दुर्भावनापूर्ण अपमान के साथ लक्षित करती है, उसे YouTube अपने प्लेटफ़ॉर्म पर अनुमति नहीं देता.
  • किसी अन्य व्यक्ति के बारे में आहत करने वाली और नकारात्मक व्यक्तिगत टिप्पणियाँ/वीडियो वाले कॉन्टेन्ट को YouTube पर अनुमति नहीं है.
  • ऐसा कॉन्टेन्ट जो दूसरों को YouTube पर या उसके बाहर व्यक्तियों को परेशान करने या धमकाने के लिए उकसाती है, उसे YouTube पर अनुमति नहीं है.

वीडियो अपलोड होने के बाद, जिन तीन हस्तियों (रोमिला थापर, प्रोफेसर इरफ़ान हबीब और बरखा दत्त) के बारे में देश छोड़ कभी वापस न आने को कहा गया उन्हें सोशल मीडिया पर कई प्रकार की धमकियों और अपमान का सामना करना पड़ रहा है. वीडियो देखने वाले उन्हें गालियां दे रहे हैं, अपमानित कर रहे हैं और देश छोड़ने के लिए कह रहे हैं. यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए हानिकारक है, बल्कि लोकतंत्र और सार्वजनिक चर्चा के लिए भी हानिकारक है.

इस वीडियो के बाद उन्हें जिस साइबरबुलिंग का सामना करना पड़ रहा है उसके कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:

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हेट स्पीच: ये पॉडकास्ट मुसलमानों और अन्य धार्मिक समूहों की मान्यताओं, प्रथाओं, इतिहास और इरादों के बारे में अपमानजनक और भ्रामक दावे पेश करके उनके प्रति नफरत भड़काता है. उदाहरण:

29 मिनट 5 सेकंड पर जे. साई दीपक कहते हैं कि भारत केवल तभी सुरक्षित होगा जब यहां हिंदू बहुमत होगा. यानी उनके मुताबिक, अन्य धर्म की जनसंख्या में बढ़ोतरी देश के लिए खतरा है.

29 मिनट 50 सेकंड पर, जे. साई दीपक कहते हैं कि मुस्लिम आबादी उन प्रांतों में बढ़ रही है जो सक्रिय रूप से ‘पाकिस्तान के लिए लड़ाई’ कर रहे हैं. अप्रत्यक्ष रूप से उनका दावा है कि मुसलमान अपनी जनसंख्या वृद्धि के आधार पर पाकिस्तान के लिए लड़ने की साजिश रच रहे हैं, जहां ना सिर्फ तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है बल्कि यह एक निराधार और भड़काऊ आरोप है. पॉडकास्ट विशेष रूप से व्यक्तियों या समूहों को उनकी पहचान, विश्वास या विचारों के आधार पर टारगेट और अपमानित करता है.

30 मिनट 56 सेकंड पर, जे. साई दीपक का दावा है कि भारतीय इस्लाम एक Mythical Creature है जो लोगों के एक विशाल समूह और उनके विश्वास का अपमान और बदनाम करता है, और धर्म के आधार पर सवाल उठाता है.

31 मिनट 52 सेकंड पर, जे. साई दीपक कहते हैं कि भारतीय इस्लाम एक थोपा हुआ विश्वास है, अधिकांश भारतीय मुसलमान धर्मांतरित हैं. ये किसी भी धर्म को मानने वालों के लिए एक अपमानजनक टिप्पणी है जो कई व्यक्तियों के भावनाओं और धार्मिक विश्वास को आहत कर सकती है.

28 मिनट 16 सेकंड पर वह एक कॉन्सपिरेसी थ्योरी के बारे में बात करते हैं जो दावा करता है कि केरल में हिंदू और ईसाई लड़कियों को ‘सेक्शुअल ग्रूमिंग’ किया जा रहा है. वह लड़कियों की कीमतों का उल्लेख करने वाले ‘रेट कार्ड’ के बारे में भी बात करते हैं. हालांकि, जे. साई दीपक इन दावों के लिए कोई निश्चित स्रोत नहीं बताते जो सीधे मुसलमानों को लक्षित करते हैं. वीडियो के इस हिस्से में पूरी चर्चा भारत में मुसलमानों और ईसाइयों के भविष्य पर एक सवाल से उपजी है. पॉडकास्ट का गेस्ट इसका जवाब यह कहकर देना शुरू करता है कि केरल में ईसाइयों को एहसास हुआ है कि उनकी सुरक्षा उनके आसपास एक महत्वपूर्ण हिंदू आबादी होने में है. ऐसा कहना एक बार फिर, भारत के सबसे दक्षिणी राज्य केरल में महत्वपूर्ण उपस्थिति रखने वाले मुसलमानों को शैतान बताने का एक अप्रत्यक्ष प्रयास था.

गलत सूचना: 18 मिनट 18 सेकंड पर वीडियो में 2021 के किसान आंदोलन से संबंधित एक घटना के बारे में ग़लत और भ्रामक जानकारी दी गई है. गेस्ट जे. साई दीपक ने दावा किया कि 26 जनवरी, 2021 को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को उतार दिया. ये एक झूठा दावा है जिसे विभिन्न फ़ैक्ट-चेकिंग संगठनों ने उसी वक़्त खारिज कर दिया था. इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) के कई सिंगनैट्री फ़ैक्ट-चेकिंग संगठनों ने भी इस दावे का फ़ैक्ट-चेक किया.

गौर करने वाली बात ये भी है कि पिछले साल गूगल और यूट्यूब ने 65 देशों से संचालित होने वाले फ़ैक्ट-चेकिंग संगठनों के नेटवर्क का समर्थन करने के लिए ग्लोबल फैक्ट चेक फंड के गठन को वित्तपोषित करने के लिए गलत सूचना के खिलाफ काम कर रहे गैर-लाभकारी मीडिया संस्थान पॉयंटर के एक भाग, इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) को 13.2 मिलियन डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की थी.

यहां विभिन्न फ़ैक्ट-चेकिंग संगठनों के कुछ लिंक (एक, दो, तीन, चार, पांच, छह) और स्क्रीनशॉट दिए गए हैं जो इस दावे को खारिज करते हैं कि 26 जनवरी 2021 को किसानों के विरोध के दौरान भारतीय ध्वज को हटाया गया था.

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न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) ने 19 नवंबर 2021 को अपने आदेश में बताया कि ज़ी न्यूज द्वारा प्रसारित तीन वीडियो में कोड ऑफ एथिक्स का उल्लंघन किया गया जो किसानों के विरोध प्रदर्शन को खालिस्तानियों से जोड़ता था. अथॉरिटी ने ये भी पाया कि ज़ी न्यूज़ ने लाल किले से भारतीय झंडे को हटाए जाने की झूठी ख़बर चलाई थी.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).