3 मार्च को रिपब्लिक टीवी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें दावा किया गया कि बलूच रिपब्लिक आर्मी (BRA) ने पाकिस्तानी सेना की 3 चौकियों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया। दावा था कि BRA के लड़ाकों ने 27 फरवरी, 2019 को केच जिले के मांड इलाके में पाकिस्तानी सेना की चौकी पर हमला किया।
कुछ दिनों बाद, दो पूर्व भारतीय सेनाधिकारियों, मेजर सुरेंद्र पूनिया और मेजर गौरव आर्या ने ट्विटर पर दो अलग-अलग दावों के साथ एक वीडियो पोस्ट किया। पूनिया ने 12 मार्च को ट्वीट किया, जबकि आर्या ने वही वीडियो 14 मार्च को ट्वीट किया। इस वीडियो में, आधी वर्दी पहने कई लोगों को, जिनकी आंखों पर पट्टी और पीठ पीछे हाथ बंधे हुए हैं, दो वर्दीधारी लोगों द्वारा पीटते हुए देखा जा सकता है। दोनों ट्वीट्स में दावा किया गया था कि यह वीडियो पाकिस्तानी सेना की चौकियों पर BRA के लड़ाकों द्वारा किए गए कथित हमले से संबंधित है। पूनिया के ट्वीट में दावा किया गया कि पीटे जा रहे आधी वर्दी पहने लोग बलूच स्वतंत्रता सेनानी हैं, जबकि आर्या के ट्वीट में दावा था कि पीटे जा रहे लोग, पाकिस्तान के अर्धसैनिक बल, फ्रंटियर कोर के सदस्य हैं।
बाद में मेजर पूनिया ने अपना ट्वीट हटा दिया, जिसका अर्काइव्ड संस्करण यहां देखा जा सकता है। मेजर गौरव आर्या का ट्वीट नीचे पोस्ट किया गया है।
On 27 Feb freedom fighters of Baloch Republic Army attacked 3 Pak Army posts in Mand area, Distt Kech, Balochistan. So ferocious was the attack that soldiers of Frontier Corps ran away. They were caught by Pak Army SSG & thrashed brutally. See Pak Army without clothes 👇 pic.twitter.com/9faFdSV8gz
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) March 14, 2019
जैसा कि ऊपर देखा जा सकता है, मेजर पूनिया ने दावा किया कि यह वीडियो पाकिस्तानी सेना के हाथों बलूच स्वतंत्रता सेनानियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि आर्या ने दावा किया कि वीडियो में पाकिस्तानी सेना के जवानों द्वारा फ्रंटियर कोर के सदस्यों की पिटाई होते दिखाया गया था, क्योंकि जब बलूच लड़ाकों ने हमला किया, तब फ्रंटियर कोर के सदस्य अपनी चौकी छोड़कर भाग गए थे।
बिना कहे यह स्पष्ट है कि दोनों दावे सही नहीं हो सकते। वास्तव में, ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि दोनों ही दावे झूठे हैं। ऑल्ट न्यूज़ द्वारा उनके दावों की तथ्य-जांच करने के बाद, दोनों सेनाधिकारियों ने ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच को चुनौती देते हुए कई ट्वीट और फेसबुक पोस्ट किए। इस लेख में, उनके इन्हीं प्रति-दावों और आरोपों/वक्रोक्तियों पर प्रकाश डाला गया है जो उन्होंने अपनी बाद की कार्रवाइयों में किए।
ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच
ऑल्ट न्यूज़ ने उस वीडियो की तथ्य-जांच की और स्थापित किया कि आर्या और पूनिया, दोनों के दावे झूठे हैं। आर्या ने दावा किया कि वीडियो में दिखाई गई घटना 27 फरवरी को हुई थी, जबकि ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह वीडियो कम से कम 22 दिन पहले यानी, 5 फरवरी को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी चौकियों पर BRA के लड़ाकों द्वारा किया गया कथित हमला 27 फरवरी को हुआ था। इस प्रकार, पूनिया और आर्या, दोनों ने जो वीडियो पोस्ट किया, वह उस हमले का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।
इसके अलावा, आर्या और पूनिया दोनों द्वारा किया गया दावा झूठा था, क्योंकि इस वीडियो में पाकिस्तानी सेना के एक प्रशिक्षण मॉड्यूल का चित्रण किया गया था, जिसमें वे यातना सहने का अभ्यास कर रहे थे। ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहाँ पढ़ी जा सकती है।
झूठे दावे का बचाव
इस तथ्य से बेफिक्र, कि उनके दावे गलत थे, मेजर गौरव आर्या और मेजर सुरेंद्र पूनिया ने एक स्वर में अपना बचाव किया।
1/1 Dear Alt News,Jai Hind 😘
1-How do you know that @majorgauravarya ‘s tweet is wrong ? Are U from army background?
2-Are U from Special Forces background ?
3-Or are U in touch with Pakistan Army ?
If your answer to all of the above is NO, then U are lying n peddling FAKE news. https://t.co/8GoZqP7u7d— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) March 18, 2019
पूनिया के उपरोक्त ट्वीट को रीट्वीट करते हुए आर्या ने आगे अपने ट्वीट में पूछा कि क्यों ऑल्ट न्यूज़ “पाकिस्तानी सेना का इतने आक्रामक तरीके से बचाव कर रहा है?” ऐसा कहते हुए वे इस तथ्य से बेखबर रहे कि वीडियो के संबंध में उनका दावा भ्रामक था।
For the record, it will take much more than @AltNews & @JantaKaReporter to scare me. Go ahead…write long articles & have me trolled. “That” Tweet stays.
One question…why are both news portals defending Pakistan Army so aggressively? What’s the truth?
— Major Gaurav Arya (Retd) (@majorgauravarya) March 18, 2019
मेजर गौरव आर्या ने एक फेसबुक पोस्ट भी लिखा, जिसमें उन्होंने दावा किया वो अर्द्धसैनिक बलों के अपने कुछ अनाम दोस्तों से बात की थी जिनका सुझाव था कि यह दावा करना अजीब है कि यह वीडियो पाकिस्तान सेना के प्रशिक्षण को दर्शाता है। अपने पोस्ट में, उन्होंने पूनिया को यह कहते हुए उद्धृत किया, “मैंने सुरक्षा बलों में इस डंडा परेड के बारे में कभी नहीं सुना है।”– (अनुवाद)
हालाँकि, ऑल्ट न्यूज़ को पहले के कई वीडियो मिले जो आर्या और पूनिया द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो से कई तरह से मेल खाते हैं। इन सभी वीडियो में, जिन लोगों की पिटाई की जा रही है, उनकी आंखों पर पट्टियां बंधी हैं और पीठ पीछे उनके हाथ बंधे हैं। जो लोग यातना दे रहे हैं, वे सभी वर्दीधारी हैं। — और जिन लोगों को यातना दी जा रही है, वे सभी समान रूप से पंक्तिबद्ध हैं।
ढाई मिनट का यह वीडियो मार्च 2018 में यूट्यूब पर पोस्ट किया गया था, जिसका शीर्षक है “SSG ट्रेनिंग सर्वाइवल मोमेंट्स 2018″।
यह, सितंबर 2017 में यूट्यूब पर पोस्ट किया गया 10 मिनट का वीडियो है जिसे “SSG ट्रेनिंग वीडियो” के रूप में पहचान दी गई है।
“SSG कमांडो ट्रेनिंग” के रूप में पहचान दिए गए 2 मिनट के इस वीडियो को फरवरी 2018 में पोस्ट किया गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=ZTG-Vw9maUE
13 मिनट का यह वीडियो यूट्यूब पर “SSG कमांडोज सर्वाइवल” शीर्षक से जनवरी 2017 में अपलोड किया गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=M0tZZgVelE8
“पाकिस्तान आर्मी कमांडोज ट्रेनिंग स्पेशल डॉक्यूमेंट्री” नाम से यह 3 मिनट का वीडियो है और अगस्त 2017 में अपलोड किया गया था।
https://www.youtube.com/watch?v=fJPzEasZW8s
हमें सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर, वर्दीधारी पुरुषों को संगठित तरीके से पीटते हुए दिखलाने वाले अन्य वीडियो भी मिले, जिन्हें इस संदेश के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये यातना दिए जा रहे बलूच हैं।
#RealFaeOfPak : #PakArmy Brutally Torture a #Baloch Youth just because he is opposed to #CPEC . #Balochistan #BalochistanIsNotPakistan #Pakistan #MeanGirlsDay #Kashmir #instagramdown #CWCTrophyTour#NationalAssembly #RanaMashood #IshaqDar #اشاعه_ماصدقتها#FreeBalochistan pic.twitter.com/YtyqA3BkOp
— Rubeena Jan (@RubeenaJan1) October 3, 2018
उपरोक्त सभी वीडियो में, एक, सामान्य पैटर्न देखा जा सकता है– वर्दीधारी पुरुषों द्वारा संगठित तरीके से अन्य वर्दीधारी पुरुषों की पिटाई। कई वर्षों से सामने आते रहे विभिन्न वीडियो की यह समानता बताती है कि यह एक प्रशिक्षण व्यवस्था है, और आर्या व पूनिया के ट्वीट में किए गए दावे जैसा इसमें कुछ नहीं है।
भ्रामक सूचनाओं के अन्य उदाहरण
यह पहली बार नहीं है जब मेजर गौरव आर्या या मेजर सुरेंद्र पूनिया ने सोशल मीडिया पर गलत जानकारी दी हो। ऐसे कई उदाहरण हैं।
1. मार्च 2017 में, आर्या ने एक पैथोलॉजी रिपोर्ट की तस्वीर ट्वीट करके दावा किया कि यह कश्मीरी अलगाववादी आतंकी और हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन की रिपोर्ट है। रिपोर्ट के दावे के अनुसार सलाहुद्दीन एचआईवी पॉजिटिव थे। हमने पाया कि वह तस्वीर फोटोशॉप की हुई थी जो ऑनलाइन उपलब्ध नमूने से बनाई गई थी। रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई सलाहुद्दीन की तस्वीर पीटीआई की फाइल फोटो थी।
2. फरवरी 2017 में, आर्या ने दो तस्वीरें ट्वीट करके दावा किया कि ये बलूच लड़ाकों को मारती पाकिस्तान की सेना की तस्वीरें हैं। आल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये तस्वीरें नवंबर 2009 की थीं। बाईं ओर की तस्वीर का श्रेय AFP को दिया गया था और यह तालिबानी आतंकवादियों को पकड़ती पाकिस्तानी सेना की थी। उसी तस्वीर को Guardian ने 2010 में उसी विवरण और क्रेडिट के साथ प्रकाशित किया था। दाईं ओर की तस्वीर में भी, बाईं ओर की तस्वीर की तरह वही सैनिक और तालिबानी आतंकवादी थे, और इस प्रकार, यह भी उसी घटना का प्रतिनिधित्व करती थी।
3. जून 2017 में, गोरखा विरोध प्रदर्शन के दौरान, आर्या ने एक खून से भरे व्यक्ति की तस्वीर इस संदेश के साथ प्रसारित की, “@MamataOfficial कृपया दार्जिलिंग के गोरखाओं के साथ आदर और सम्मान के साथ व्यवहार करें। आपने उन्हें शांति से देखा है। आप बहुत भाग्यशाली हैं।”– (अनुवाद) पता चला कि वह तस्वीर कर्नल डीके राय की थी, जिन्होंने 6/8 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली थी। 2008 में गोरखालैंड विरोध प्रदर्शन के दौरान उनपर पुलिस द्वारा हमला किया गया था और उस समय के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे।
मेजर गौरव आर्या ने दक्षिणपंथी वेबसाइट ओपइंडिया पर ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच का जवाब दिया था, जिस पर ऑल्ट न्यूज़ ने जो जवाब दिया था, वह यहां पढ़ा जा सकता है।
4. अगस्त 2017 में, पूनिया ने एक वीडियो ट्वीट किया था और दावा किया था कि कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के समर्थक प्याज के अंदर भरकर हेरोइन की तस्करी कर रहे थे।
आतंकवादी गिलानी का साथी देविंदर बहल प्याज़ में हेरोईन को छुपा कर ड्रग का धन्धा कर रहा था ! कमीनेपन और गद्धारी की हद है यह तो ! @adgpi pic.twitter.com/fphiVnteLA
— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) August 8, 2017
तथ्य-जांच वेबसाइट SMHoaxSlayer ने इस वीडियो की तथ्य-जांच की थी और इसे सऊदी अरब का 2 साल पुराना वीडियो पाया था।
गलत आरोप
मेजर सुरेंद्र पूनिया ने बिना किसी स्पष्टीकरण के अपने ट्वीट को हटा दिया। साथ ही, उन्होंने आल्ट न्यूज़ के फंडिंग को लेकर एक सवालिया वीडियो पोस्ट किया। एक फेसबुक पोस्ट करते हुए उन्होंने सवाल किया, “आप #MajorGauravArya से ज्यादा पाकिस्तानियों पर भरोसा क्यों करते हैं? कारण ?? फंड कम पड़ गए क्या? किसके लिए काम कर रहे हो?”
1/2 Alt News
I am a Special Forces Veteran. I have privilege/honour to serve n operate with best SF in the world.Danda Parade is not part of SF training anywhere in world. Any1 who tells U this is lying.
U trust Pakis more than @majorgauravarya ?
Reason ?Funds कम पड़ गये क्या🤔? https://t.co/8GoZqP7u7d— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) March 18, 2019
जिनके दावों की ऑल्ट न्यूज़ ने तथ्य-जांच की है, उनके लिए ऑल्ट न्यूज़ की फंडिंग पर सवाल उठाना बहुत आम है। हालांकि, एक सेवानिवृत्त सेनाधिकारी की ओर से ऐसी मानहानिकारक तानेबाजी दुर्भाग्यपूर्ण है। ऑल्ट न्यूज़, एक पंजीकृत अलाभकारी कंपनी, प्रावदा मीडिया फाउंडेशन के तत्वावधान में संचालित है, और हमारी वेबसाइट पर प्रावदा मीडिया फ़ाउंडेशन के फंडिंग विवरण उपलब्ध हैं।
तथ्य बदले नहीं जा सकते। पूनिया ने अपने ट्वीट को चुपचाप हटा दिया, मगर, आर्या के ट्वीट का बचाव करना उन्होंने जारी रखा, जिसमें वही वीडियो था। आर्या ने दावा किया कि उन्होंने जो वीडियो ट्वीट किया, वह 27 फरवरी को हुई एक घटना का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि वही वीडियो, कम से कम तीन सप्ताह पहले ऑनलाइन उपलब्ध था। मेजर आर्या या मेजर पूनिया ने ‘अनाम स्रोतों’ को छोड़, कोई प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया।
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