दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित हनुमान मंदिर को 3 जनवरी की सुबह तोड़ दिया गया. ये दिल्ली में सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट के तहत किया गया. इसके बाद शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला. सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और भाजपा ने एक दूसरे पर मंदिर ढहाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया. इसे टाइम्स नाउ, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया और द न्यू इंडियन एक्सप्रेस समेत और भी न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म्स ने कवर किया.

AAP ने उसी दिन भाजपा के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे अपने पार्टी के सदस्यों की तस्वीरें शेयर की. AAP नेता और दिल्ली जलबोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने भी कुछ ऐसा ही ट्वीट किया. (AAP के ट्वीट का आर्काइव लिंक, राघव चड्ढा के ट्वीट का आर्काइव लिंक)

भाजपा नेता आदेश गुप्ता ने 4 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में AAP के आरोपों का खंडन किया. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री को ऐंटी-हिन्दू कहा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों की समिति के मुखिया सत्येन्द्र जैन मंदिर तोड़े जाने को रोक सकते थे. उन्होंने आगे कहा कि मंदिर को दिल्ली सरकार के सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट के तहत तोड़ा गया है. (आर्काइव लिंक)

AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने 5 जनवरी को प्रेस को बताया कि मंदिर को आधी रात में तोड़ा गया जब बारिश हो रही थी. उन्होंने एक कथित शपथ-पत्र (promissory note) भी पेश किया जिसमें बकौल सौरभ भारद्वाज, लिखा हुआ था कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने मंदिर तोड़ने की तैयारी पहले से कर रखी थी. उन्होंने इस बात पर भी सवाल खड़ा किया कि भाजपा के मेयर को ऐसे किसी दस्तावेज़ की जानकारी कैसे नहीं हो सकती है. उन्होंने एक NGO, मानुषी संगठन का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि इस संगठन ने मंदिर तोड़ने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. आगे, सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि CBI को इस मामले की जांच करनी चाहिए और ये विरोध एक जन-आन्दोलन बनाया जाएगा.

Important press conference by AAP MLA Shri Saurabh Bhardwaj | Live

Important press conference by AAP MLA Shri Saurabh Bhardwaj | Live

Posted by Aam Aadmi Party on Monday, January 4, 2021

टाइम्स नाउ ने 5 जनवरी को AAP और भाजपा के बीच इस खींचा-तानी के बारे में रिपोर्ट किया था. यूट्यूब पर मौजूद इस रिपोर्ट के वीडियो में 43 सेकंड पर राघव चड्ढा कहते हैं, “भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने चांदनी चौक में स्थित हनुमान मंदिर तोड़ दिया. उन्हीं की संस्था ने हनुमान मंदिर तोड़ दिया. आप भगवान राम के भक्तों से, भगवान हनुमान के भक्तों से माफ़ी मांगिये मंदिर तोड़ने के लिए. हम भाजपा से मांग करते हैं कि हनुमान मंदिर बनाने की, पुनर्स्थापना की आप ज़मीन मुहैया कराइए. और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जी, भगवान हनुमान के भक्त अरविन्द केजरीवाल जी वहां मंदिर बनवाएंगे.”

इसी वीडियो में 1 मिनट 11 सेकंड पर भाजपा सदस्य मनोज तिवारी कह रहे हैं, “जिस आस्था को भुनाने के लिए हनुमान जी के मंदिर तक चले जाते हैं, वैसे ही एक हनुमान जी के मंदिर को तोड़ दिया जाता है और अरविन्द केजरीवाल जी ज़रा भी आवाज़ नहीं उठाते. और उनके रिलिजियस कमिटी के सत्येन्द्र जैन ये सारी घटनाएं करवाते हैं.”

कांग्रेस ने भी इस आरोप-प्रत्यारोप में शामिल होते हुए ट्वीट किया. (आर्काइव लिंक)

इंडिया लीगल लाइव के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट के हनुमान मंदिर को तोड़े जाने के फै़सले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. ये चुनौती एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने जीतेन्द्र सिंह विसेन की तरफ़ से दी थी.

फै़क्ट चेक:

इस फै़क्ट-चेक को 4 हिस्सों में बांटा गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि AAP, भाजपा और कांग्रेस ने हनुमान मंदिर के तोड़े जाने वाले कोर्ट के फ़ैसले का राजनीतिकरण कर दिया है. कोर्ट ने 2015 में मंदिर को पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (AAP के अधीन) और उत्तरी नगर निगम (भाजपा के अधीन) द्वारा कब्ज़ा किया हुआ हिस्सा माना था.

1. मंदिर की लोकेशन वेरिफ़िकेशन

गूगल मैप्स पर हमने हनुमान मंदिर की सही लोकेशन देखी.

लोकेशन वेरिफ़ाई करने में मदद के अलावा हमारे सोर्स (जिन्होंने ऑल्ट न्यूज़ से नाम न ज़ाहिर करने को कहा है) ने मंदिर टूटने के बाद की तस्वीरें भी शेयर की हैं.

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ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल मैप्स पर मिली तस्वीर और सोर्स द्वारा भेजी गयी तस्वीर की तुलना की. इससे साफ़ हुआ कि दोनों तस्वीरें एक ही जगह की हैं.

इस वेरिफ़िकेशन और चांदनी चौक में रहने वाले कुछ लोगों से बातचीत से साबित होता है कि ये मंदिर सड़क के बीच बना हुआ था.

द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि मंदिर को 3 जनवरी, सुबह 7 बजे तोड़ा गया था. ऑल्ट न्यूज़ ने चांदनी चौक थाने के SHO, दिल्ली के एक पत्रकार और चांदनी चौक के कई लोगों से बात की. किसी ने नहीं कहा कि मंदिर को रात में तोड़ा गया है. यानी AAP का ये दावा ग़लत है.

दिल्ली के एक पुजारी अशोक कुमार ने 6 जनवरी को द प्रिंट से कहा कि वो चाहते हैं कि मंदिर वापस उसी जगह बनाया जाये. दिल्ली कांग्रेस ने 12 जनवरी को इसी बाबत लेफ़्टिनेंट गवर्नर के सामने एक ज्ञापन पेश किया. पाठक गौर करें कि जिस हनुमान मंदिर को तोड़ा गया है, वहां कुछ अन्य हनुमान मंदिर भी हैं जो गूगल मैप्स पर देखे जा सकते हैं.

2. चांदनी चौक के पुनर्निर्माण पर मीडिया रिपोर्ट्स

चांदनी चौक को वाहन-मुक्त ज़ोन बनाने का आइडिया सबसे पहले 2003-04 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में पुनर्विकास योजना में लाया गया था. द हिन्दू की 2010 में की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और दिल्ली पुलिस को जॉइंट स्पेशल टास्क फ़ोर्स (STF) गठित कर राजधानी में ट्रैफ़िक से जुड़ी सभी जानकारी जुटाने के आदेश दिए थे. ये वो वक़्त था जब आम आदमी पार्टी का कोई वजूद नहीं था.

द हिन्दू के आर्टिकल के मुताबिक टास्क फ़ोर्स ने मुख्यतः भीड़ कम करने, मोटर वाहनों के प्रदूषण कम करने और ग़ैर-मोटर वाहन जैसे साइकिल और रिक्शा को सड़कों पर पर्याप्त जगह देने पर ध्यान केन्द्रित किया.

एक दशक से ज़्यादा का समय होने के बावजूद दिल्ली सरकार ट्रैफ़िक पर नियंत्रण करने में असफ़ल रही और दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाने लगा. द हिन्दू ने 2017 में रिपोर्ट किया था कि नॉर्थ कॉर्पोरेशन, PWD और दिल्ली मेट्रो तय नहीं कर पाए थे कि इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल करना है या नहीं. और व्यावसायिक वाहनों को चांदनी चौक में प्रवेश करने की अनुमति होगी या नहीं.

द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार पांच अनधिकृत धार्मिक ढांचों को हटाने में देरी की वजह से चांदनी चौक में फ़ुटपाथ बनाने की परियोजना में रुकावट आ रही है. चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि सभी अनधिकृत और अतिक्रमण वाले ढांचों को तोड़ना ही होगा, तभी ये परियोजना पूरी हो पायेगी.

3. चांदनी चौक पुनर्विकास के पीछे कानूनी सन्दर्भ समझें

ऑल्ट न्यूज़ ने ऐडवोकेट इंदिरा उन्निनायर से सम्पर्क किया जिन्होंने मानुषी संगठन की तरफ़ से 2007 में याचिका डाली थी. इस संगठन की संस्थापक मधु पूर्णिमा कीश्वर हैं. हमारी मधु पूर्णिमा से बात करने की अपील ठुकरा दी गयी. नीचे इंदिरा उन्निनायर से की गयी बातचीत है:

ऑल्ट न्यूज़: याचिका किस बारे में थी?

इंदिरा उन्निनायर: ये PIL साइकिल रिक्शा/बिना मोटर वाले वाहन (NMV) चलाने वाले लोगों के अधिकारों की मांग को लेकर थी. याचिका में उन्हें भी पर्याप्त जगह देने की मांग थी. ये याचिका हेमराज ऐंड अदर्स बनाम स्टेट मामले में MCD द्वारा दिल्ली में रिक्शा पर बैन लगाये जाने के बाद दायर की गयी थी. इसमें MCD के कुछ बेतुके और मनमाने नियमों को चुनौती दी गयी थी. इन्हीं में से एक नियम था- रिक्शा के मालिक द्वारा ही उसे चलाया जाना और इसके बाद दिल्ली में 99,000 रिक्शा को सील कर दिया जाना. 2006 में भी कोर्ट के एक फ़ैसले के बाद चांदनी चौक में रिक्शा पर रोक लगा दी गयी थी. इस आदेश को भी चुनौती दी गयी. इस मामले में 2007 में रिट याचिका, WP(C) 4572/2007 दायर की गयी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा.

इसके कुछ समय बाद CCVM (चांदनी चौक व्यापार मंडल) ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए अदालत पर चांदनी चौक के पुनर्विकास पर ध्यान केंद्रित करने का दबाव डाला. और मामले को मोटे तौर पर दो हिस्सों में बांटा गया- पूरे दिल्ली में होलिस्टिक (सुन्दरता बढ़ाने) विकास और चांदनी चौक में कुछ विशिष्ट सुधार. इसी दूसरे हिस्से को चांदनी चौक/शहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट प्लान के नाम से जाना गया.

ऑल्ट न्यूज़: चांदनी चौक में अतिक्रमण हटाने में देरी के पीछे क्या कारण था?

इंदिरा उन्निनायर: उत्तरी नगर निगम ने 2015 में अतिक्रमण तोड़ने की अपनी ज़िम्मेदारी को हाई कोर्ट में चुनौती दी. MCD ने कहा कि ये 60 फ़ीट चौड़ी सड़कें दिल्ली सरकार (PWD) के तहत आती हैं और वो खुद (MCD) इनसे अतिक्रमण नहीं हटा सकती. हाई कोर्ट ने और DMC ऐक्ट के सेक्शन 298 के तहत इस चुनौती को ख़ारिज कर दिया और MCD ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फ़ैसले को सही ठहराया कि ये सड़कें MCD के तहत हैं और इनसे अतिक्रमण भी MCD को ही हटाना होगा. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इसमें MCD और दिल्ली सरकार (और दिल्ली पुलिस) को साथ मिलकर काम करना होगा. उत्तरी दिल्ली नगर निगम इस फै़सले को एक के बाद एक चुनौती देती रही और अतिक्रमण हटाने में देरी करती रही. इसने 2019 में भी पिछले ऑर्डर को चुनौती दी जिसे खारिज किया गया, जिसके बाद फिर एक बार इस आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. अक्टूबर 2020 में दिल्ली हाई कोर्ट ने शहजहांनाबाद/चांदनी चौक रिडेवलपमेंट प्लान में हो रही देरी का खुद संज्ञान लेने का फ़ैसला किया. ये देरी DMC के अपने काम से भागने के कारण हो रही थी… स्पेशल टास्क फ़ोर्स और इसपर काम कर रही अन्य अथॉरिटीज़ को रिक्शा और अन्य NMV वाहनों के लिए जगह तैयार करने का काम सौंपा गया था जिसमें कोई भी काम पूरा नहीं हो पाया है. जबकि ये नेशनल अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी (NUTP), दिल्ली मास्टर प्लान 2021 और स्ट्रीट डिज़ाइन गाइडलाइन्स (SDG) 2010 की प्राथमिकता होनी चाहिए थी. लेकिन इस मसले को ग़ैर-ज़रूरी समझते हुए पीछे छोड़ दिया गया.

ऑल्ट न्यूज़: धार्मिक मामलों की कमिटी द्वारा सुझाये गये अन्य रास्ते को क्यों मना किया गया?

इंदिरा उन्निनायर: गवर्नमेंट ऑफ़ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ़ डेल्ही (GNCTD) ने अचानक से 4 साल बाद हनुमान मंदिर पर किसी भी कार्रवाई को रोकने की बात कही. जबकि GNCTD और नॉर्थ DMC ने ही इसकी पहचान अतिक्रमण के तौर पर की थी. हालांकि GNCTD के इस प्रयास को भी हाई-कोर्ट ने निरस्त कर दिया क्योंकि
(1) धार्मिक कमिटी का फ़ैसला पिछले हाई-कोर्ट ऑर्डर्स से विपरीत था.
(2) मंदिर का रिडेवलपमेंट के आड़े आना तय था.

ऑल्ट न्यूज़: चांदनी चौक में हनुमान मंदिर समेत अन्य अतिक्रमण हटाने के पीछे किसका आदेश था?

इंदिरा उन्निनायर: कोर्ट के आदेशों में साफ़-साफ़ कहा गया कि “DMC ऐक्ट सेक्शन 299 के तहत MCD को मई 2015 के आखिर तक अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया जाता है. इसमें दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को भी पूरा सहयोग देना होगा.” यानी, अतिक्रमण को हटाने की ज़िम्मेदारी उत्तरी DMC की थी जिसमें दिल्ली पुलिस को सहयोग करने के लिए कहा गया था. ये सहयोग इसलिए ज़रूरी था ताकि अतिक्रमण हटाने में कानून व्यवस्था बनी रहे और कोई अशांति न पैदा हो.

ऑल्ट न्यूज़: AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि मंदिर तोड़े जाने के लिए मानुषी संगठन ने रिट याचिका डाली थी. क्या ये सच है?

इंदिरा उन्निनायर: इन अतिक्रमण वाले जगहों की पहचान खुद उत्तरी DMC ने की थी. ये कहना ग़लत है कि मानुषी संगठन ने मंदिर तोड़ने के लिए याचिका डाली. याचिका का उद्देश्य रिक्शा और अन्य छोटी मोटर-रहित गाड़ियों को जगह प्रदान कराया जाना था.

कोर्ट ने कब और क्या फ़ैसले दिये, ये समझते हैं

इंदिरा उन्निनायर और उनकी लीगल टीम ने ऑल्ट न्यूज़ को ज़रूरी कोर्ट ऑर्डर्स की जानकारी दी जिनसे पता चलता है:

1. उत्तरी DMC ने 2015 में हनुमान मंदिर को धार्मिक अतिक्रमण वाली जगहों में सूचित किया था. कोर्ट ने उत्तरी DMC को इसे तोड़ने का आदेश दिया.

2. उत्तरी DMC ने ये ज़िम्मेदारी गवर्नमेंट ऑफ़ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ़ डेल्ही (GNCT) को सौंपने की कोशिश की जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.

3. GNCT ने 2019 में अपना रुख बदलते हुए हनुमान मंदिर बचाने के अन्य उपाय सुझाने की कोशिश की. दिल्ली हाई-कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि मंदिर निर्माण के आड़े आ रहा था.

4. सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में हाई-कोर्ट का आदेश बरकरार रखा और कहा कि उत्तरी DMC ही अतिक्रमण हटाएगी जिसमें दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस इसका पूरा सहयोग करेगी.

इंदिरा उन्निनायर की दी गयी जानकारी के आधार पर हनुमान मंदिर विवाद से जुड़े ज़रूरी कोर्ट आदेश कुछ इस तरह हैं:

2012

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को बरकरार रखते हुए कहा, “गवर्नमेंट ऑफ़ NCT डेल्ही, MCD, डेल्ही डेवेलपमेंट अथॉरिटी और दिल्ली पुलिस को मिलकर स्पेशल टास्क फ़ोर्स गठित करना है. इसकी ज़िम्मेदारी दिल्ली में ट्रैफ़िक से जुड़ी सभी जानकारी जुटाने, भीड़-भाड़ कम करने, मोटर वाहनों का प्रदूषण कम करने और रिक्शा समेत सभी मोटर रहित वाहनों को सुविधा के मुताबिक जगह प्रदान करने की होगी. दिल्ली सरकार को 6 हफ़्तों के भीतर इससे जुड़ा नोटिफ़िकेशन जारी करना होगा. साथ ही इस लक्ष्य के लिए होने वाले खर्च का बजट भी बनाना होगा.”

2015

  • PWD ने अप्रैल 2015 में चांदनी चौक में हनुमान मंदिर समेत कई अन्य जगहों पर हुए अतिक्रमण को सूचिबद्ध किया. GNCTD की धार्मिक समिति ने उपायुक्त (केंद्रीय, राजस्व) के साथ बैठक की. ये बैठक अतिक्रमण हटाने / स्थानांतरित करने पर अंतिम निर्णय लेने के लिए स्थानीय विधायक, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली पुलिस के साथ मुद्दों पर चर्चा करने के संबंध में थी.

  • GNCTD ने अप्रैल 2015 में दिल्ली हाई-कोर्ट को चांदनी चौक रिडेवलपमेंट और 5 धार्मिक निर्माणों समेत अन्य अतिक्रमण वाली जगहों का स्टेटस अपडेट दिया. कोर्ट के सामने पेश होने वाली एक भी अथॉरिटी ने इन अतिक्रमणों पर सवाल नहीं खड़ा किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी DMC को मई 2015 के अंत तक इन्हें हटाने के आदेश दिए.
  • उत्तरी DMC ने अगस्त 2015 में एक एप्लिकेशन देते हुए कहा कि चांदनी चौक के अतिक्रमण वाली सड़क GNCTD के तहत आती है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस एप्लिकेशन को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने GNCTD समेत सभी अथॉरिटीज़ को अतिक्रमण हटाने वाले अपने पिछले आदेश में सहयोग करने का आदेश दिया.
  • उत्तरी DMC ने अक्टूबर 2015 में दिल्ली हाई-कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इसने दावा किया कि चांदनी चौक की सड़क अब उत्तरी DMC नहीं बल्कि GNCTD के अधीन आती हैं. शीर्ष अदालत ने 2018 में इस दावे को खारिज कर दिया.
  • उत्तरी DMC ने दिसम्बर 2015 में दिल्ली हाई-कोर्ट को पांचों धार्मिक निर्माणों की स्टेटस रिपोर्ट दी. कोर्ट को सूचित किया गया कि मंदिर के पुजारी से बात की गयी है और वो मंदिर को किसी अन्य जगह पर बनाने के लिए मान गए हैं. उत्तरी DMC ने कहा कि मंदिर हटा दिया जाएगा.

2016

  • उत्तरी DMC ने मार्च 2016 में दिल्ली हाई-कोर्ट के सामने स्टेटस रिपोर्ट रखी और पांचों धार्मिक ढांचों द्वारा घिरी हुई ज़मीन का नाप बताया, जैसा कि उत्तरी DMC ने अपने सर्वे में पाया था.

2018

  • मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरी DMC का 2015 का आदेश खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि चांदनी चौक की सड़कें उत्तरी DMC नहीं बल्कि GNCTD के अधीन आती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की ज़िम्मेदारी नगर निगम (उत्तरी नगर निगम) की ही है. हालांकि, इस प्रक्रिया में दिल्ली सरकार को भी पूरा सहयोग करना होगा.

2019

  • GNCTD की धार्मिक कमिटी ने नवम्बर 2019 में मंदिर को तोड़ने के बजाय इसके अन्य उपाय सुझाये. उन्होंने कहा कि मंदिर तोड़ने की बजाय उससे लगे चबूतरे को तोड़ निर्माण पूरा किया जाए. ये नवम्बर 2019 के आदेश में बताया गया है और हाई-कोर्ट ने इसे GNCTD का यू-टर्न मान लिया. यानी, GNCTD पहले तय हुई बातों से मुकर गयी. चूंकि, ये हाई-कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पिछले सभी आदेशों के उलट था, दिल्ली हाई-कोर्ट ने धार्मिक कमिटी के इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया. हाई-कोर्ट ने निर्माण कार्य से जुड़े दस्तावेज़ों को देखते हुए निष्कर्ष निकाला कि मंदिर का बीच में आना तय है और इसे तोड़ना ही होगा.ऊपर बताये गए हाई-कोर्ट के आदेश ने ये चीज़ें साफ़ कीं:

1. मंदिर से जुड़े तथ्य: दिल्ली हाई-कोर्ट ने इस बात की ओर इशारा किया कि हनुमान मंदिर असल में 2 मंदिर हैं – पहला, हनुमान मंदिर; और दूसरा, 8 मीटर दूर शिव मंदिर. आदेश में उत्तरी नगर निगम को दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की मदद से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया गया. (तीसरा पैरा पढ़ें)

2. हनुमान मंदिर को कहीं और जगह देना: आदेश में कहा गया, “मंदिर के पुजारी से संपर्क किया गया और वो मंदिर को हटाये जाने के लिए कहीं और जगह मिलने की शर्त पर राज़ी हैं. मंदिर को दूसरी जगह दी जाएगी.” इसमें ये भी कहा गया है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के ACP ने बताया है कि मंदिर 1974 से ही मौजूद है. द प्रिंट ने (पीटीआई के इनपुट के आधार पर) ये ग़लत जानकारी दी कि मंदिर 100 साल पुराना है.

3. धार्मिक कमिटी के उपाय पर हाई-कोर्ट: दिल्ली हाई-कोर्ट ने कहा कि धार्मिक कमिटी ने बिना सोचे समझे पिछले आदेशों को नज़रंदाज़ करते हुए ऐसा रास्ता अपनाने के बारे में सोचा जिसे प्रयोग में लाना मुमकिन नहीं है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने DMC और GNCTD को साफ़तौर पर ढांचे को हटाये जाने के आदेश दिए थे. (14वां पैरा पढ़िए)

2020

  • सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2020 में GNCTD की स्पेशल लीव पेटीशन (SLP- किसी मामले में अपील सुनी जाने के लिए याचिका) को रद्द कर दिया. कोर्ट ने एक बार फिर साफ़ किया कि अतिक्रमण हटाने की ज़िम्मेदारी उत्तरी DMC की है जिसमें GNCTD को उसकी मदद करनी होगी.
  • श्री मनोकामना सिद्ध श्री हनुमान सेवा समिति ने नवम्बर 2020 में मामले में हस्तक्षेप की याचिका (WP(C) 4572/2007) दायर की और दावा किया कि हनुमान मंदिर के रख-रखाव का काम उसे सौंपा गया था. इस समिति ने कहा कि 30 अक्टूबर, 2020 को उत्तरी DMC ने 1 नवम्बर, 2020 को मंदिर तोड़ने का जो आदेश दिया, उससे वे आहत हुए हैं. 13 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश (SLP(C) 323/2020) को देखते हुए दिल्ली हाई-कोर्ट ने श्री मनोकामना सिद्ध श्री हनुमान सेवा समिति की याचिका स्वीकार करने से मना कर दिया.

सभी तथ्यों का निष्कर्ष

हनुमान मंदिर (हनुमान मंदिर और शिव मंदिर) पांच धार्मिक निर्माणों में से एक है. अतिक्रमण का सर्वे उत्तरी दिल्ली नगर निगम (भाजपा के अधीन) और PWD (AAP के अधीन) दोनों ने किया था और अपनी-अपनी स्टेटस रिपोर्ट 2015 में प्रस्तुत की. उत्तरी DMC ने 2016 में अपनी स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि अनधिकृत हनुमान मंदिर को हटाना पड़ेगा. दिल्ली हाई-कोर्ट ने अप्रैल 2015 में उत्तरी DMC को इन अतिक्रमणों को हटाने के आदेश दिए. कोर्ट के सामने किसी भी अथॉरिटी ने मंदिर के अतिक्रमण में शामिल होने पर सवाल नहीं उठाया.

कोर्ट के आदेशों के आधार पर ये साफ़ है कि अतिक्रमण हटाने की ज़िम्मेदारी (जिसमें हनुमान मंदिर शमिल है) उत्तरी DMC की ही थी. इस अनधिकृत मंदिर को गिराने के बाद AAP, भाजपा और कांग्रेस ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना शुरू कर दिया. और अब इसे ‘पुनः स्थापित’ करने की मांग करने लगे, जिसके आदेश दिल्ली कोर्ट ने पहले ही दिए हुए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा, “अतिक्रमण हटाने की ज़िम्मेदारी नगर निगम की है (उत्तरी DMC).” हालांकि, जब मंदिर हटाया जाये तो दिल्ली सरकार को DMC का पूरा सहयोग करना होगा.

इस मुद्दे से जुड़ी कुछ ग़लत जानकारियां:

  1. AAP ने ग़लत दावा किया कि मंदिर रात में तोड़ा गया.
  2. AAP विधायक सौरभ भरद्वाज ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ग़लत दावा किया कि NGO मानुषी संगठन ने मंदिर तोड़ने के लिए याचिका डाली.
  3. द प्रिंट ने पीटीआई के आधार पर ग़लत रिपोर्ट किया कि हनुमान मंदिर 100 साल पुराना है.

पाठकों को मालूम हो कि इस तरह की तू-तू मैं-मैं पहली बार नहीं हो रही है. द क्विंट ने पिछले साल दिसम्बर में रिपोर्ट किया था कि AAP और उत्तरी DMC में किराया बकाया होने पर विवाद हुआ था.

4. मंदिर ढहाने का वीडियो साम्प्रदायिक ऐंगल के साथ शेयर किया गया

मेजर सुरेन्द्र पूनिया ने चांदनी चौक में हनुमान मंदिर को गिराए जाने वाला वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “हिम्मत है तो दिल्ली में सड़कों के बीचों बीच सैंकड़ों मज़ार/मस्जिद हैं…1 भी तुड़वा कर दिखा दो.” ये वीडियो 90,000 से ज़्यादा लोग देख चुके हैं. सुरेन्द्र पूनिया ने इसे फे़सबुक पर भी इसी दावे के साथ शेयर किया.

मंदिर गिराने को लेकर ये दावा निराधार है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, 2006 में जंगपुरा-बी स्थित नूर मस्जिद को दिल्ली हाई-कोर्ट के आदेश (order No. 9358/2006) के बाद हटा दिया गया था. भाजपा सांसद परवेश वर्मा ने 2019 में दिल्ली के लेफ़्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल को जंगपुरा (B) स्थित 54 मस्जिदों और श्मशानों की सूची दी थी जो अनधिकृत ज़मीन पर बने थे.


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