4 अक्टूबर की दोपहर, आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि दिल्ली में “बांग्लादेशी ड्रग माफिया” द्वारा रुपेश बैसोया नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी।

कुछ घंटों बाद, यही दोहराते हुए उन्होंने अपना एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि बैसोया की हत्या इसलिए कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने तैमूर नगर की अवैध बांग्लादेशी झोपड़पट्टी से कथित तौर पर संचालन करने वाले ड्रग विक्रेताओं का विरोध किया था। मिश्रा ने ड्रग माफिया की सहायता के लिए दिल्ली पुलिस को दोषी ठहराया और इन झोपड़पट्टियों को तुरंत हटाने की मांग की। उन्होंने ट्विटर और फेसबुक दोनों पर इस वीडियो को पोस्ट किया है जिसे संयुक्त रूप से 24,000 से अधिक बार देखा गया है।

इस वीडियो को पोस्ट करने के एक घंटे बाद, मिश्रा ने ट्वीट किया कि उन्होंने बैसोया परिवार का दौरा किया। उन्होंने तीसरी बार दोहराया कि दिल्ली निवासी की हत्या “बांग्लादेशी ड्रग माफिया” ने की थी।

मिश्रा के दावों के बाद, एक ट्विटर यूजर मनु गुर्जर (Manu Gurjur) ने रुपेश बैसोया की छाती में गोली मारे जाने का सीसीटीवी फुटेज पोस्ट किया। उन्होंने भी दावा किया कि दिल्ली निवासी की हत्या “बांग्लादेशी ड्रग माफिया” ने की थी। ट्वीट्स के थ्रेड में, गुर्जर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, और किसी मीडिया संस्थान ने इस घटना की खबर नहीं की।

गुर्जर के ट्वीट को सोशल मीडिया पर हैशटैग #JusticeForRupeshBaisoya के साथ कई लोगों ने रीट्वीट किया। इनमें वे भी थे जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी समेत वरिष्ठ भाजपा नेता फॉलो करते हैं (1, 2, 3)।

सच्चाई क्या है?

यह घटना 30 सितंबर को हुई थी और दिल्ली पुलिस ने कथित अपराधियों को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया था। तीनों गिरफ्तार लोगों में से कोई “बांग्लादेशी” नहीं था। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपराधियों को लूट के एक अलग मामले में पकड़ा गया था जिसमें उन्होंने 2 अक्टूबर की रात को बंदूक दिखलाकर बाइक, सोने की चेन और मोबाइल फोन लूट लिए थे।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) विजय कुमार ने बताया कि पूछताछ के दौरान, इन लोगों ने 34 वर्षीय रुपेश बैसोया की हत्या में भी अपनी भागीदारी कबूल की, जिसे उसके निवास के बाहर गोली मार दी गई थी।

पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान संगम विहार के आकाश, राजपुर खुर्द के अजय राठी और किशनगढ़ के सूरज के रूप में की। राठी के पास से एक पिस्तौल भी बरामद हुई।

ऑल्ट न्यूज ने डीसीपी विजय कुमार से बात की, तो उन्होंने पुष्टि की कि ऊपर बताए गए तीनों लोग गिरफ्तार किए गए हैं, हालांकि, सूरज सहयोगी था जो हत्या से सीधा जुड़ा हुआ नहीं था। डीसीपी विजय कुमार ने यह भी कहा कि तीनों में से कोई बांग्लादेशी या ड्रग माफिया नहीं, बल्कि दिल्ली के निवासी हैं और अन्य अपराधों में भी शामिल रहे हैं।

द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है, “रविवार को, वाहन चोरी करने के बाद आरोपी तैमूर नगर में एक महिला से नशीली दवा खरीदने गए। पुलिस ने बताया कि उनका विक्रेता से झगड़ा हो गया, जिसके बाद उन्होंने वहां से भागने की कोशिश की तो रुपेश ने उन्हें रोका। गिरफ्तारी के भय से आकाश ने रुपेश को गोली मार दी और वे वहां से भाग गए।” (अनुवाद)

2 अक्टूबर के इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बैसोया अपने इलाके में ड्रग की अनियंत्रित समस्या को लेकर पुलिस में कई शिकायतें दर्ज कराई थीं। उनके परिवार ने कहा कि मारने की धमकी मिलती रही है। तथापि, किसी भी मीडिया रिपोर्ट में इस हत्या को “बांग्लादेशी” ड्रग माफिया से नहीं जोड़ा गया है और इसके अलावा, पुलिस ने पहले ही कथित अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है जो सभी दिल्ली के निवासी हैं।

हाल के दिनों में, कथित ‘बांग्लादेशी घुसपैठ’ के खिलाफ द्वेष-भाव में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। सोशल मीडिया में करोड़ों अवैध प्रवासियों के शरण लेने के झूठे दावों की भरमार हो गई है। ऐसी परिस्थितियों में एक विधायक द्वारा झूठी सूचनाओं को प्रसारित करने के गंभीर और खतरनाक नतीजे हो सकते हैं। कपिल मिश्रा के निराधार दावे डर का माहौल बना रहे हैं। पुलिस द्वारा कथित अपराधियों के पकड़े जाने के बाद भी उनके वीडियो अभी भी उनके ट्विटर प्रोफाइल और फेसबुक पेज पर मौजूद हैं। विधायक ने गलत सूचना फैलाने के लिए न तो माफी मांगी है और न ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस मामले का ‘बांग्लादेशियों’ से कोई ताल्लुक नहीं है।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.