फेसबुक ने हाल ही में अपनी एड लाइब्रेरी रिपोर्ट जारी करनी शुरू की है, जहां “राजनीति और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों से संबंधित विज्ञापन जिन्हें फेसबुक या इंस्टाग्राम पर चलाया गया है” के आंकड़े खोजे जा सकते हैं। ऑल्ट न्यूज़ ने इस रिपोर्ट का विश्लेषण किया जिससे पता चला कि 7 फरवरी से 2 मार्च, 2019 के बीच फेसबुक द्वारा सार्वजनिक किए गए कुल विज्ञापन राजस्व का सबसे ज्यादा लगभग 70% खर्च भारतीय जनता पार्टी, भाजपा-समर्थक पेजों और केंद्र सरकार द्वारा किया गया है।
पद्धति
फेसबुक द्वारा प्रकाशित संपूर्ण आंकड़ों में 2,500 पेज हैं जिनसे फरवरी-मार्च 2019 के दौरान 4.1 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन चलाए गए।
ऑल्ट न्यूज़ ने उन पेजों का विश्लेषण किया जिन्होंने इस अवधि में 10,000 रुपये या ज्यादा खर्च किए। ऐसे 221 पेज थे, जिनसे विज्ञापनों पर 3.8 करोड़ रुपये से कुछ अधिक खर्च किए गए थे।
इन 221 पेजों के विश्लेषण से पता चला कि भाजपा, इसके समर्थक पेज और केंद्र सरकार ने, फेसबुक विज्ञापनों पर कुल खर्चों का 69.57% अथवा 2.7 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
भाजपा पेजों से सर्वाधिक खर्चा
भाजपा सदस्यों और मंत्रियों के फेसबुक पेजों और सीधे इस पार्टी द्वारा संचालित प्रचार के लिए इस्तेमाल पेजों का राजनीतिक विज्ञापनों पर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा था। एक भाजपा समर्थक पेज ‘भारत के मन की बात’ ने अकेले 1.2 करोड़ रुपये खर्च किए। ‘भारत के मन की बात‘ भाजपा का एक अभियान है जिसे फरवरी में शुरू किया गया था। देशभर के 10 करोड़ से ज्यादा लोगों के सुझाव लेकर पार्टी को चुनाव घोषणा-पत्र बनाने में सहायता करना इस अभियान का लक्ष्य है।
दूसरे स्थान पर BJD था जिसका कुल खर्च 8.6 लाख रुपये से कुछ अधिक है। 5.6 लाख रुपये से ज्यादा खर्चे के साथ कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। इनके बाद YSR कांग्रेस (2.8 लाख रुपये), TDP (1.9 लाख रुपये), AIADMK (32,812 रुपये), AAP (26,537 रुपये), BSP (11,478 रुपये) और शिवसेना (10,000 रुपये) रहे।
उपरोक्त संख्याओं को अगर हम केंद्र और भाजपा सरकारों द्वारा किए गए खर्चों से मिला दें तब भी भाजपा सबसे ऊपर रहती है। केंद्र सरकार के हिसाब में सर्वाधिक खर्च सरकारी पेजों का रहा, जिनमें अकेले ‘MyGov India’ के पेज से फेसबुक ने 34 लाख रुपये की राजस्व उगाही की।
सरकारी पेजों समेत सबसे बड़े 10 राजनीतिक विज्ञापनदाताओं में से आठ भाजपा से संबंधित रहे जिनसे लगभग 2.3 करोड़ रुपये फेसबुक विज्ञापनों पर खर्च किए गए।
इसके विपरीत, सर्वाधिक खर्च करने वाला विपक्ष का पेज कर्नाटक सरकार की पहल थी जिसने कुल 7 लाख रुपये से कुछ अधिक खर्च किए, जबकि उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजेडी के नवीन पटनायक के आधिकारिक पेज ने कुल 8.5 लाख रुपये से कुछ अधिक का खर्चा किया था। नीचे दी गई तालिका में सबसे बड़े खर्चे वाले 10 विपक्ष के पेज हैं जिनका राजनीतिक विज्ञापनों पर संयुक्त रूप से 21 लाख रुपये से अधिक का खर्चा हुआ है।
इनके अलावा और भी कई बड़ी राशि खर्च करने वाले फेसबुक पेज ऐसे थे जिनका किसी पार्टी से सीधा संबंध घोषित नहीं किया है।
भाजपा-समर्थक पेजों का सर्वाधिक खर्चा
हमने 126 ऐसे पेज देखे, जिनका किसी राजनीतिक पार्टी से अपने सीधे संबंधों को घोषित नहीं किया गया, मगर किसी खास पार्टी के समर्थन में विज्ञापन चलवाएगए। इनमें, 115 पेज भाजपा-समर्थक (खर्चा 74 लाख रुपये से अधिक), छ: पेज कांग्रेस-समर्थक (खर्चा 2 लाख रुपये से कुछ अधिक), तीन AAP-समर्थक पेज (खर्चा 80,505 रुपये) और दो TMC-समर्थक पेज (खर्चा 24,339 रुपये) थे।
भाजपा-समर्थक 115 पेजों में से अकेले ‘Nation with NaMo’ ने 64 लाख रुपये से कुछ अधिक खर्च किया था।
इस 64 लाख रुपये में से 52,24,286 रुपये के विज्ञापन बिना विवरण के थे। फेसबुक के नियमों के अनुसार, अगर कोई विज्ञापन, राजनीति या राष्ट्रीय मुद्दे से संबंधित है तो विज्ञापनदाता को बतलाना होगा कि इसके लिए कौन भुगतान कर रहा है। अगर वे इसे पूरा नहीं करते हैं तो फेसबुक विज्ञापन हटा देता है।
इस सोशल नेटवर्किंग साइट(फेसबुक) ने जब यह जाना कि ‘Nation with NaMo’ पेज बिना विवरण दिए विज्ञापन चला रहा था कि तो फेसबुक ने इस पेज के द्वारा प्रायोजित विज्ञापन हटा दिए (जैसा कि ऊपर दिए गए स्क्रीनशॉट में दिखता है)। हालांकि, हमने पाया कि 28 फरवरी 2019 के बाद से यह पेज विज्ञापनदाता के विवरण बतला रहा है।
विज्ञापनदाता का विवरण नहीं बतलाना, केवल भाजपा तक सीमित नहीं था। कई विपक्ष-समर्थक पेजों ने भी राजनीतिक विज्ञापन बिना विवरण दिए प्रायोजित किए थे।
नीचे दी गई तालिका में सबसे बड़े 10 पार्टी-समर्थक पेज दिए गए हैं, जिनमें से आठ भाजपा के समर्थक हैं। नीचे बैंगनी रंग में दिख रहे सभी पेज, वैसे हैं जो विज्ञापनदाता के बारे में बिना बताए हुए राजनीतिक सामग्री प्रायोजित करते हैं। इनमें ‘Nation with NaMo’ नहीं है जिसने हाल ही विज्ञापनदाताओं के बारे में बतलाना शुरू किया और AAP-समर्थक पेज ‘Fans Of Harmohan Dhawan’ है जो विज्ञापनदाता के विवरण देता है।
भाजपा और इसके समर्थक पेजों द्वारा राजनीतिक सामग्री प्रायोजित करते हुए एक महीने में ही 2.7 करोड़ रुपये खर्च करना यह दर्शाता है कि राजनीतिक दलों के लिए सोशल मीडिया का क्या महत्व है। यह स्पष्ट है कि पार्टियां, युवा वोटरों को प्रभावित करने वाले इन विज्ञापनों की बड़ी संख्या से लोगों की राय को आकार देने के लिए बड़ी धन राशि खर्च करने की चाहत में हैं।
हमें उन पेजों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, जिन्होंने किसी पार्टी से अपना संबंध घोषित नहीं किया है मगर उनके पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। उदाहरण के लिए जैसा कि हमने इस विश्लेषण में बतलाया कि भाजपा-समर्थक पेजों ने एक महीने में प्रायोजित सामग्री पर 74 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए थे। इन पेजों के फंड का स्रोत अस्पष्ट है जिसे सामने लाने की जरूरत है। यदि ये पेज प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राजनीतिक दलों द्वारा संचालित हैं, तो उनके खर्चे का भारत के चुनाव आयोग के समक्ष सही ढंग से खुलासा होना चाहिए।
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