“हर गाँव में बिजली पहुँच गई, लेकिन बिजली का बिल गरीब कैसे भरेगा। वो उसके लिए कर्ज लेगा और फांसी लगा लेगा”

यह बयान वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का बताकर ‘योगी आदित्यनाथ की सेना’ नाम के फेसबुक पेज ने 3 मई, 2018 को पोस्ट किया है। इस पेज के 3 लाख से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इस पेज ने “चमन-चूतियों की बात ही निराली है” शब्दों के साथ रवीश कुमार के बयान वाली यह तस्वीर पोस्ट की है। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक इस फ़ेसबुक पोस्ट को 8 हज़ार से भी ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है। इसी पोस्ट को जी न्यूज़ फैन ग्रुप में भी शेयर किया गया है, जिसमें साढ़े 6 लाख से भी ज़्यादा सदस्य हैं।

चमन-चूतियों की बात ही निराली है 🤣

Posted by योगी आदित्यनाथ की सेना on Wednesday, 2 May 2018

इसी तस्वीर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ फैन पेज ने उन्ही शब्दों के साथ पोस्ट किया है, जिसे अबतक 4 हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चूका है। इस पेज के 7 लाख से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

‘योगी आदित्यनाथ की सेना’ नाम के पेज से पहले भी कुछ बयान रवीश कुमार का बताकर शेयर किए गए हैं। ध्यान से देखा जाये तो जिस बयान के साथ तस्वीर बनायी जाती है उस पर ‘YogisenaGkp’ नाम कहीं ना कहीं लिखा रहता है। हाल ही में इस पेज ने पत्रकार राना अयूब का भी फर्जी बयान जारी किया था जिसे हजारों बार शेयर किया गया फिर व्हाट्सप्प पर भी फैलाया गया। अगर आपको भी किसी माध्यम से ‘YogisenaGkp’ निशान से किसी चर्चित व्यक्ति के बयान वाली तस्वीर मिले तो इसे सच मानकर शेयर ना करें।

एक अन्य पोस्ट दावा करती है कि रवीश कुमार ने यह कहा, “मोदी सरकार के आने के बाद से अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वो पत्रकार है, कोई भी आता है और #दलाल बोलकर निकल जाता है।”

ऑल्ट न्यूज़ ने इन बयानों की सच्चाई जानने के लिए रवीश कुमार से संपर्क किया, उन्होंने बताया कि इन दोनों में से एक भी बयान उनका नहीं हैं।

सिर्फ यही नहीं, इस पेज ने JNU से गायब नजीब के ISIS में शामिल होने की झूठी खबर को सच बताकर रवीश कुमार पर आरोप लगाते हुए यह पोस्ट किया था कि इस बारे में कोई खबर क्यों नहीं चलाई, जिसे 7000 से ज्यादा बार शेयर किया गया है।

#दलाल और #दोगला एक दूसरे के ही पर्याय है क्या ? 😎

Posted by योगी आदित्यनाथ की सेना on Thursday, 1 March 2018

ऑल्ट न्यूज़ ने बताया था कि JNU के नजीब का ISIS में शामिल होने की खबर एक अफवाह मात्र थी जिसे फ़ैलाने में भाजपा के कुछ नेता भी शामिल थे। इस पेज ने एक फर्जी ट्वीट भी रवीश कुमार का बताकर पोस्ट किया है। इस ट्वीट को “तभी आज लोग इसे दल्ला कहते हैं” कहते हुए पोस्ट किया गया है जिससे इसे पढने वालों को यह लगे कि यह ट्वीट रवीश कुमार ने किया है।

तभी आज लोग इसे दल्ला कहते हैं ।

Posted by योगी आदित्यनाथ की सेना on Saturday, 24 February 2018

ऊपर के इस पोस्ट में जो ट्वीट ट्विटर हैंडल @RavishKumar_Ind से किया गया दिख रहा है, वो रवीश कुमार का नहीं बल्कि एक पैरोडी अकाउंट से किया गया है। रवीश कुमार का ट्विटर अकाउंट @ravishndtv है और इस अकाउंट से काफी लम्बे समय से वो एक्टिव नहीं हैं। उन्होंने खुद 22 अगस्त, 2015 को ट्विटर से लम्बे-विराम लेने की घोषणा करते हुए ट्वीट किया था।

“मुझे दुःख है कि मोदी जैसा गुंडा मेरे देश का प्रधानमंत्री है।” एक यह बयान भी फ़िलहाल रवीश कुमार का बताकर कई ग्रुप और पर्सनल आईडी से पोस्ट किए जा रहे हैं। इसे एक करोड़ हिंदुओं का ग्रुप (एड होते ही 150 हिंदुओ को एड करो) जय श्री राम नाम से एक फेसबुक ग्रुप में 5 मई, 2018 को पोस्ट किया गया है, इस ग्रुप में 2 लाख से भी अधिक सदस्य हैं। एक और भा.ज.पा: Mission 2019 नाम के ग्रुप में भी फर्जी बयान वाली यह तस्वीर शेयर की गयी है। इस ग्रुप में 66 हजार से अधिक सदस्य हैं।

BJP _ Mission 2019-post

यह फर्जी बयान अब फिर से शेयर की जा रही है, जबकि इसके बारे में रवीश कुमार ने 8 सितम्बर, 2017 को ही अपने अधिकारिक फेसबुक पेज से बताया था कि “मैंने प्रधानमंत्री के बारे में ऐसा नहीं कहा।” उन्होंने इस फर्जी बयान की कई तस्वीरें भी अपने पोस्ट में शेयर की थी।

मैंने प्रधानमंत्री के बारे में ऐसा नहीं कहा।

अफ़वाहों का तंत्र इतना व्यापक हो चुका है कि खंडन का भी मतलब नहीं रह गया…

Posted by Ravish Kumar on Thursday, 7 September 2017

रवीश कुमार को अक्सर फर्जी ख़बरों के माध्यम से निशाना बनाया जाता है। पहले भी ऑल्ट न्यूज़ ने बताया था कि किस तरह भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने रवीश कुमार के भाषण की अधूरी विडियो से उन्हें निशाना बनाया था। अभी हाल ही में हमने बताया था कि किस तरह गीता रेप केस से सम्बंधित एक दावा रवीश कुमार का बताकर फैलाया जा रहा था, जो बिलकुल झूठा था। एक और खबर में किसी अनजान को रवीश कुमार की बहन बताकर उनके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया था।

हाल ही में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2018 में भारत की रैंकिंग पिछले साल के मुकाबले दो स्थान नीचे खिसककर 138 हो गई है। जिस तरह से मौजूदा सरकार की आलोचना करने के कारण रवीश कुमार जैसे पत्रकार दक्षिणपंथियों का निशाना बन रहे है, इससे यह स्पस्ट होता है कि भारत में पत्रकारिता के लिए हालात और मुश्किल होते जा रहे हैं।

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