“अब भारत बोलेगा.! सिम कार्ड के बाद बाबा रामदेव ने लॉन्च किया मैसेजिंग ऐप KIMBHO, व्हाट्सऐप को मिलेगी टक्कर.. अपना #स्वदेशी मैसेजिंग प्लेटफार्म। गूगल प्ले स्टोर से सीधे डाउनलोड करें”, पतंजलि के प्रवक्ता ने यह ट्वीट किया। 30 मई, 2018 को, बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने किम्भो नामक एक मैसेजिंग ऐप लॉन्च किया है। किम्भो को व्हाट्सएप को टक्कर देने के लिए स्वदेशी विकल्प के रूप में बताया गया है, जो पतंजलि उत्पादों के ‘राष्ट्रवादी’ ब्रांडिंग के अनुरूप है।
अब भारत बोलेगा.!
सिम कार्ड के बाद बाबा रामदेव ने लॉन्च किया मैसेजिंग ऐप KIMBHO, व्हाट्सऐप को मिलेगी टक्कर..
अपना #स्वदेशी मैसेजिंग प्लेटफार्म। गूगल प्ले स्टोर से सीधे डाउनलोड करें।@yogrishiramdev@Ach_Balkrishna@bst_official @ANI@ani_digital@PTI_Newshttps://t.co/IxTGyLhMbq— tijarawala sk (@tijarawala) May 30, 2018
हालांकि, कुछ ही घंटों में यह ऐप सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। यह आरोप लगाया गया कि बाबा रामदेव ने ‘बोलो मैसेंजर’ नामक एक मैसेजिंग ऐप की बस रिब्रांडिंग की है, जिसे अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया के फ्रेमोंट में स्टार्टअप द्वारा विकसित किया गया था। इसे स्वदेशी ऐप का रूप देकर लॉन्च कर दिया गया।
So @yogrishiramdev whitelabled Bolo Messenger app (startup based in Fremont, CA, USA) and now marketing it is as a Swadeshi Product 😂😂 pic.twitter.com/zzJbe2imtv
— Kapil (@kapsology) May 31, 2018
क्या किम्भो को फ्रेमोंट, कैलिफ़ोर्निया में विकसित किया गया था? इस दावे के पीछे सच क्या है? ऑल्ट न्यूज़ ने इस दावे की पड़ताल करने का फैसला किया।
सोशल मीडिया पर किये जा रहे इस दावे की तथ्य-जाँच के लिए हमने गूगल प्ले एंड्राइड से किम्भो ऐप इनस्टॉल करने की कोशिश की तो हमने पाया कि इस ऐप को अब गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है। हालांकि, इसे अब भी एप्पल स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। ऐप इनस्टॉल करते समय हमने पाया कि ‘बोलो’ शब्द कई ऐप के स्क्रीन पर मौजूद था, जिसका मतलब यह हो सकता है कि किम्भो पहले से मौजूद ऐप ‘बोलो चैट’ का परिवर्तित रूप है।
इंस्टालेशन के बाद किम्भो से निम्नलिखित संदेश आया और फिर इस बात को दोहराया गया कि यह ‘भारत का पहला संदेश एप्लिकेशन’ है।
इसके बाद हमने किम्भो (www.kimbho.com) का वेबसाइट देखा। हमने पाया यह वेबसाइट अब हटा लिया गया है। हालांकि हम गूगल के माध्यम से वेबसाइट के कैश संस्करण तक पहुंचने में सक्षम थे, जिसका बैकअप यहां देखा जा सकता है।
उपरोक्त वेबसाइट में किम्भो द्वारा पोस्ट किए गए ऐप के स्क्रीनशॉट इंटरफ़ेस के शीर्ष पर ‘बोलो टीम’ शब्द भी दिखता हैं। उसी तरह के स्क्रीनशॉट को आधिकारिक किम्भो ट्विटर अकाउंट से भी पोस्ट किया गया है।
किम्भो वेबसाइट पर ऊपर सोशल मीडिया लिंक फेसबुक, ट्विटर और संपर्क लिंक को रखा गया है। हमने पाया कि ये तीन निम्नलिखित यूआरएल से जुड़े हुए हैं।
1) फेसबुक: https://www.facebook.com/bolo.chat
2) ट्विटर: https://twitter.com/bolochatapp
3) कांटेक्ट: hi@bolo.chat
बोलो चैट का फेसबुक पेज ऑल्ट न्यूज़ के अंग्रेजी लेख के बाद डिलीट कर दिया गया है, लेकिन इसका बैकअप यहाँ देखा जा सकता है।
इसके फेसबुक पेज पर देखने से पता चला कि इस ऐप को पहली बार 2 साल पहले फरवरी, 2016 में लांच किया गया था।
ट्विटर पर बोलो चैट के लांच होने की घोषणा 18 दिसंबर, 2015 को की गई थी।
Proudly launched #bolo today 🙂
— Bolo (@bolochatapp) December 18, 2015
फेसबुक पेज में एक वेबसाइट www.bolo.chat भी सूचीबद्ध है। यह वेबसाइट अब उपलब्ध नहीं है। हालांकि, ‘bolo.chat’ गूगल करने पर, इस पुराने बोलो ऐप और पतंजलि के बीच का लिंक एक बार फिर देखा जा सकता है।
हम एंड्रॉइड ऐप स्टोर पर बोलो चैट से संबंधित पेज तक पहुंचने में भी सक्षम थे, जिसे अब हटा लिया गया है। इसका कैश संस्करण यहां देखा जा सकता है। उस पेज ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि ‘बोलो चैट’ ऐप पतंजलि ने ले लिया है।
सभी सबूत स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि बाबा रामदेव की पतंजलि ने ‘बोलो चैट’ नामक पहले से मौजूद ऐप का दोबारा सिर्फ रिब्रांडिंग कर दिया है और इसे ‘स्वदेशी’ किम्भो ऐप के रूप में दिखाया है। यह पता लगाने के लिए कि क्या यह ऐप वास्तव में ‘स्वदेशी’ है या नहीं, ऑल्ट न्यूज़ ने ‘बोलो चैट’ ऐप से सम्बंधित जानकारी का पता लगाने का फैसला किया।
ऐप्पल ऐप स्टोर पर यह देखा जा सकता है कि किम्भो ऐप का विक्रेता ‘Appdios Inc’ नाम की कंपनी है।
हम लिंक्डइन प्रोफाइल के जरिये Appdios Inc के संस्थापक सुमित कुमार और अदिति कमल का पता लगाने में सक्षम हुए। वास्तव में, लिंक्डइन पर सुमित कुमार की डिस्प्ले पिक्चर ‘बोलो चैट’ की प्रचार में उपयोग किये जा रहे व्यक्ति की तस्वीर ही है। सुमित कुमार की लिंक्डइन प्रोफाइल में भी यह कहा गया है कि वह ‘बोलो चैट’ के संस्थापक हैं।
उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार Appdios Inc के दोनों संस्थापक फ़िलहाल कैलिफ़ोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में रह रहे हैं और फ़िलहाल क्रमशः Hike और Google के लिए काम कर रहे हैं।
हमने पाया कि Appdios Inc कंपनी फ्रेमोंट, कैलिफोर्निया में पंजीकृत है और सुमित कुमार इसके अध्यक्ष हैं।
दिलचस्प तौर पर हमने यह भी पाया कि Appdios Inc कैलिफोर्निया के राज्य सचिव की वेबसाइट के मुताबिक इस कंपनी को बंद कर दिया गया है। Appdios Inc द्वारा जारी किया गया अंतिम बयान 3 अगस्त 2016 को था, जबकि ‘बोलो चैट’ ऐप दिसंबर 2015 में लॉन्च किया गया था।
ऑल्ट न्यूज़ के अंग्रेजी लेख के बाद पतंजलि के प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि “#पतंजलि ने #किम्भो एप मात्र 1 दिन के लिए प्ले स्टोर पर ट्रायल पर डाला था” और एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि यह अभी डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं है।
#पतंजलि ने #किम्भो एप मात्र 1 दिन के लिए प्ले स्टोर पर ट्रायल पर डाला था। मात्र 3 घंटे में ही 1.5 लाख लोग इसे डाउनलोड करने लगेेेे। हम इस भारी व उत्साहजनक रेस्पॉन्स के प्रति आभारी हैं।
Technical work is in progress &#KIMBHO APP will be officially launched soon @yogrishiramdev pic.twitter.com/hbcq8qpiPS— tijarawala sk (@tijarawala) May 31, 2018
कुछ ही सालों में बाबा रामदेव की पतंजलि ने उपभोक्ता वस्तुओं के उद्योग में एक जगह बनाई है, जो योग गुरु की छवि पर और एमएनसी उत्पादों पर ‘स्वदेशी’ या देश में बने उत्पादों का उपयोग करने के लिए उनके प्रचार पर निर्भर है। तेजी से बढ़ते इस बाजार में पतंजलि के लिए ‘स्वदेशी’ की अपील एक सफल व्यापर की रणनीति रही है। ऐसे परिदृश्य में फ्रेमोंट, यूएसए में स्थित कंपनी द्वारा बनाई गई एक 2 साल पुरानी ऐप को ‘स्वदेशी’ ऐप के रूप में पेश करना ना सिर्फ शर्मनाक बल्कि गुमराह करने वाला कार्य भी है।
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