राहुल गांधी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें वो एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे हैं. इस क्लिप में कांग्रेस नेता को ये कहते हुए सुना जा सकता है, “…जो काले किसान के खिलाफ कानून आए थे, 3 कानून.”

भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने ट्विटर पर ये क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा, “काले किसान? ये किसानों का अपमान है…राजस्थान से छत्तीसगढ़ तक, कांग्रेस ने किसानों को बदहाली की कागार पर ला कर खड़ा कर दिया है.”

भाजपा कार्यकर्ता अरुण यादव और प्रीति गांधी ने भी ये क्लिप ट्वीट की.

प्रीति गांधी ने लिखा, “ध्यान से सुनिए राहुल जी क्या कह रहे हैं…. कानून नहीं, किसान काले हैं.”

अभिमन्यु सिंह, ने भी ये क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा, “काले किसानों के खिलाफ कानून”. इनके बायो के मुताबिक, ये हरियाणा के मुख्यमंत्री के निजी सचिव हैं.

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने इस वीडियो की असलियत जानने के लिए सबसे पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के यूट्यूब चैनल चेक की. और 18 जनवरी को हिमाचल प्रदेश में दिए गए राहुल गांधी का एक भाषण मिला. भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उसी दिन ये ट्वीट्स किए थे जिस दिन ये भाषण दिया गया था.

राहुल गांधी ने भाषण की शुरुआत शांति बनाए रखने के लिए हिमाचल प्रदेश के लोगों की तारीफ़ करते हुए की और फिर आगे उन्होंने लोकतंत्र के पतन के बारे में बात की.

3 मिनट 58 सेकेंड पर, राहुल गांधी ने कहा, “लोकतांत्रिक देश है. यात्रा से पहले हमने काफी कोशिश की…जनता के मुद्दे जब भी हम पार्लियामेंट में उठाने की कोशिश करते हैं, हमें बोलने नहीं दिया जाता. माइक ऑफ़ कर दिया जाता है जो कैमरा पार्लियामेंट हाउस की प्रोसीडिंग को दिखानी चाहिए, वो सीधा स्पीकर का चेहरा..कभी स्पीकर का चेहरा दिखाएगा या किसी और कैबिनेट मंत्री का दिखायेगा.. तो हम पार्लियामेंट हाउस, लोकसभा में राज्यसभा में बोल ही नहीं सकते.”

उन्होंने आगे कहा, “नोटबंदी के बारे में बोलने की कोशिश की, ग़लत GST के बारे में बोलने की कोशिश की, अग्निवीर के बारे में बोलने की कोशिश की, मगर वो रास्ता बंद मिला. प्रेस के बारे में तो आप जानते हो…आपने कभी देखा पिछले पांच साल में की मीडिया ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया हो, कभी देखा आपने कि भईया हिंदुस्तान में बेरोजगारी फ़ैल रही है..अग्निवीर की जो कमियां है, जो आप अब को मालूम है उसके बारे में आपने मीडिया में देखा?”.

इसके ठीक बाद 5 मिनट 35 सेकेंड पर राहुल गांधी ने कहा, “जो काले किसान के खिलाफ कानून आए थे, तीन कानून.. जो हर किसान समझ गया, उसके बारे में आपने मीडिया में देखा? बिल्कुल नहीं.. मीडिया में आपको प्रधानमंत्री का चेहरा दिखेगा, बॉलीवुड के एक्टर्स दिखेंगे और क्रिकेट के खिलाड़ी दिखेंगे, मगर जो जनता की समस्याएं हैं उसके बारे में आपको मीडिया में कोई चर्चा नहीं दिखेगी, तो मीडिया का रास्ता भी बंद.”

ऊपर दिए गए बयान के बाद, राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के माध्यम से न्यायपालिका भी दबाव में है, इसलिए एकमात्र समाधान जो बचा था वो भारत की सड़कों पर चलना शुरू करना था.

पूरे भाषण से साफ समझ आ रहा है कि भाषण देने के दौरान राहुल गांधी की जुबान फिसल गई थी. वो अलग-अलग सरकारी नीतियों की कमी के बारे में न्यूज़ मीडिया में कवरेज की कमी के बारे में बात कर रहे थे जिनमें से एक कृषि कानून था जिसकी वजह से 2021 में किसानों का एक साल लंबा विरोध चला था, और जिसके बाद सरकार ने तीनों कानूनों को रद्द करने का फैसला किया था. इन कृषि कानूनों को आमतौर पर “कृषि के तीन काले कानून” के रूप में भी जाना जाता था.

समकालीन भारतीय राजनीति को जानने वाला कोई भी व्यक्ति ये समझ सकता है कि राहुल गांधी किसानों का अपमान नहीं कर रहे थे. असल में ये साफ है कि भाजपा नेताओं ने जानबूझकर उनके भाषण का ग़लत मतलब निकाला. प्रीति गांधी ने अपने कैप्शन में लिखा, “ध्यान से सुनिए राहुल जी क्या कह रहे हैं….कानून नहीं, किसान काले हैं.” इससे भी इस बात का पता चलता है कि भाजपा नेताओं को पता है कि राहुल गांधी की जुबान फिसल गई थी.

इससे पहले, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी द्वारा की गई कांग्रेस और भाजपा के बीच तुलना को संदर्भ से बाहर कर के भाजपा नेताओं ने क्लिप किया हुआ वीडियो शेयर किया गया था. इसमें दावा किया गया था कि राहुल हिंदू पुजारियों के खिलाफ बोल रहे थे.

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