बच्चों को अगवा करने की अफवाहें एक बार फिर व्हाट्सएप पर छा गई हैं। व्हाट्सएप ग्रुपों में चल रहे एक संदेश में दावा किया गया है कि अगवा किए गए बच्चों के शव, एक कंटेनर के अंदर से बरामद किए गए हैं, जिनमें उनके आंतरिक अंग नहीं थे। यह संदेश एक ऑडियो क्लिप के रूप में शेयर किया गया है, और इसके साथ एक तस्वीर है जिसमें एक कब्र में एक साथ पंक्तिबद्ध कई शव दिखते हैं।

ऑल्ट न्यूज़ को, प्रसारित हो रहे इस संदेश के बारे में एक पाठक द्वारा सतर्क किया गया। इस ऑडियो क्लिप में आवाज पुरुष की है, जिसमें कहा गया है — “तमिलनाडु पुलिस को एक कनटेनर से बच्चों की लाश मिली, इन बच्चों के जिस्म के अन्दर का हिस्सा निकाला गया है, जैसे किडनी, लीवर। तमिलनाडु पुलिस ने बताया इन सारे बच्चों को अलग अलग देशों से किडनैप करके लाया गया है ..नोट:-अपने घर के बच्चों को सम्भालो, उनका ख्याल रखो, अपने सारे ग्रुप मे ये मैसेज सेन्ड करो। इस फोटो को इतना फैलाओ ताकि कुत्ता पकड़ा जाना चाहिए। अगर जिसने ये नहीं फैलाया वो अपनी माँ का सपूत नहीं। अपने फोन में चाहे कितने भी ग्रुप हो 1, 2 , 3, 4 या 25, ये सारे ग्रुप मे भेजो, हरामखोर पकड़ा जाना चाहिए।”

यह संदेश और फोटो फेसबुक पर भी शेयर किया गया है। दुरुपयोग की आशंका के मद्देनजर, ऑल्ट न्यूज़, ने ऑडियो क्लिप को यहाँ पोस्ट नहीं किया है।

2015 की पुरानी और असंबद्ध तस्वीर

इस संदेश के साथ शेयर की गई सफेद कफन में लिपटे शवों की तस्वीर जून 2015 की है और इसे पाकिस्तान में खींचा गया था।

गेट्टी इमेजेज पर यह तस्वीर उपलब्ध है। उसमें दिए गए विवरण के अनुसार, “26 जून 2015 को कराची के एक कब्रिस्तान में पाकिस्तानी ईदी चैरिटी स्वयंसेवकों ने भीषण गर्मी से मरे लोगों के लावारिस शवों को दफनाया। पाकिस्तानी कल्याण स्वयंसेवकों ने कराची में दशकों की सबसे खराब गर्मी से मरे 50 लोगों का 26 जून को सामूहिक अंतिम संस्कार किया, जिनके शव ले जाने कोई नहीं आया था।”- (अनुवाद)

फरवरी 2019 में भारतीय वायुसेना के हवाई हमले के बाद, इस तस्वीर को हमले के कारण हताहतों के ’सबूत’ के रूप में भी शेयर किया गया था। इस बारे में ऑल्ट न्यूज़ की तथ्य-जांच यहां पढ़ी जा सकती है।

यह संदेश 2017 में भी वायरल हुआ था

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ठीक यही संदेश पहले भी, 2017 में, शेयर किया गया था। मगर, उसके साथ वाली तस्वीर, वह नहीं थी, जो अब शेयर की जा रही है।

 

तथ्य-जांच करने वाली वेबसाइट Snopes के अनुसार, उपरोक्त तस्वीर वास्तव में सीरिया में 2013 के घोउटा रासायनिक हमले के बाद की है।

बच्चों को अगवा करने की अफवाहें अप्रैल-मई 2018 में भी फैली थीं, जिसका दुष्परिणाम यह हुआ था कि विभिन्न राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि हो गई थी। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया था कि इन अफवाहों में बहुत ही अनुकूलित तौर-तरीकों का पालन किया गया था, जिसके तहत वायरल संदेशों में भाषा और बताए गए स्थान के आधार पर संदेश बदल दिए जा रहे थे। ये अफवाहें देशभर में वायरल हुईं थी, उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात और तमिलनाडु से लेकर उड़ीसा तक। इन संदेशों ने सांप्रदायिक मोड़ भी ले लिया था, जब जुलाई 2018 में बच्चों के अपहर्ताओं के रूप में रोहिंग्या मुसलमानों को निशाना बनाया गया था।

मैसेजिंग एप्प और सोशल मीडिया यूजर्स, इस तरह के संदेशों के संबंध में बेहद चौकस रहें, और उन्हें आगे न बढ़ाएं।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.